Yatra Partner Desk: जैसा की हम सब जानतें हैं कि इस बार के Haridwar Kumbh 2021 की तैयारियां कोरोना वायरस संक्रमण के साए के बीच चल रहीं हैं। और इस बीच आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा है कि कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है, जो सनातन धर्म का परचम पूरे विश्व में फहराता है। संपूर्ण विश्व से आने वाले श्रद्धालु भाग कुंभ की आलौकिक छटा को देखकर सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति से प्रभावित होते हैं। कुंभ मेले के दौरान अखाड़े की पेशवाई, नागा संन्यासियों का शाही स्नान और बैरागी संतों के खालसे मुख्य आकर्षण का केंद्र होते हैं। शाही स्नान का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है।
उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड और धर्मनगरी हरिद्वार की पावन भूमि पर कुंभ मेले के दौरान गुरु गद्दी के सानिध्य में जो श्रद्धालु और भक्त पतित पावनी मां गंगा में स्नान और धर्म अध्यात्म का अवसर प्राप्त कर लेता है, उसका जीवन स्वयं ही सफल हो जाता है। 11 मार्च महाशिवरात्रि पर होने वाले पहले शाही स्नान को लेकर संत महात्माओं और श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है।
स्वामी बालकानंद गिरी ने कहा कि कुंभ मेला दिव्य और भव्य ही नहीं, बल्कि पारंपरिक स्वरूप में भी होगा। अखाड़े अपने-अपने स्तर से इसके लिए तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। महाकुंभ के लिए विशेष योग 12 वर्षों की बजाए 11 वर्ष में पड़ रहा है। यही वजह है कि इस बार कुंभ 11 वर्ष में ही आयोजित हो रहा है। कुंभ स्नान से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है। कुंभ मेला धर्मनगरी हरिद्वार के अलावा प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है। समुद्र मंथन से निकले अमृत की बूंदे इन चार स्थानों पर ही गिरीं।