इस आश्रम में महात्मा गांधी के जीवन-दर्शन को सहेजने का प्रयास किया गया है। उनसे जुड़ी यादों के रूप में कुछ दुर्लभ तस्वीरें, कुछ कपड़े और कुछ बर्तन हैं। आश्रम का एक बहुत ही खास हिस्सा है गांधी दर्शन पुस्तकालय जिसमें दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह है।
यात्रा पार्टनर नेटवर्क : कौसानी, उत्तराखंड के बागेश्वर जिले का एक बहुत छोट-सा कस्बा जिसे कभी महात्मा गांधी ने “भारत का स्विट्जरलैंड” कहा था। लेकिन, ये पहाड़ी कस्बा सिर्फ अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य की पहचान का मोहताज नहीं हैं। आप इसे मोहन दास कर्मचंद गांधी के साथ भी जी सकते हैं जिनके प्रतीक के तौर पर अनासक्ति आश्रम अहिंसा, सादगी, प्रकृति के साथ साक्षात्कार और कर्मयोग का संदेश दे रहा है।
दरअसल, आजादी की चेतना जगाने के लिए बापू कुमाऊं के भी कई इलाकों में घूमे थे। कौसानी इतना भाया कि उन्होंने यहां लंबा प्रवास किया। वह 24 जून 1929 को कौसानी पहुंचे और सात जुलाई तक यहां रुके। बापू की कुमाऊं में सर्वाधिक यादों को समेटने वाला कौसानी ही है। दरअसल, महात्मा गांधी कौसानी केवल दो दिन के लिए आये थे लेकिन यहां के प्राकृतिक सौंदर्य और अलौकिक शांति के चलते 14 दिन तक रुके रहे। उनके 14 दिन के इस प्रवास के दौरान कुमाऊं में स्वतंत्रता आंदोलन को जो धार मिली, वह बढ़ती चली गई। जिस जगह महात्मा गांधी रहे, उसे अब अनासक्ति आश्रम के नाम से जाना जाता है। यहीं रहते हुए बापू को अनासक्ति योग पुस्तक लिखने की भी प्रेरणा मिली।
1966 में मिला “अनासक्ति” नाम
महात्मा गांधी ने कौसानी में जहां प्रवास किया था, वहां पहले जिला पंचायत का एक भवन था जिसका निर्माण ब्रिटिश काल में ही हुआ था। महात्मा गांधी के जाने के बाद यहां प्रार्थना सभा होने लगी। इसके बाद नए भवन का निर्माण किया गया। गांधी स्मारक निधि की ओर से 1966 में इस बंगले को “अनासक्ति आश्रम” का नाम दिया गया। “अनासक्ति” यानी राग-द्वेष से मुक्ति। इस आश्रम में महात्मा गांधी के जीवन-दर्शन को सहेजने का प्रयास किया गया है। उनसे जुड़ी यादों के रूप में कुछ दुर्लभ तस्वीरें, कुछ कपड़े और कुछ बर्तन हैं। आश्रम का एक बहुत ही खास हिस्सा है गांधी दर्शन पुस्तकालय जिसमें दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह है। पर्यटकों की मानसिक शांति के लिए यहां प्रदूषणमुक्त 24 कमरे भी तैयार किए गए हैं। इस आश्रम में पहुंचने पर अनायास ही आजादी के आंदोलन के दौर की याद ताजा हो जाती है। यदि मौसम साफ हो तो आप इस आश्रम से हिमालय के हिम-धवल शिखरों को निहारने का सौभाग्य भी प्राप्त कर सकते हैं।
कहां ठहरे
कौसानी देश के प्रमुख हिल स्टेशनों में शामिल है। यहां विभिन्न आय वर्ग के लोगों की जेब के अनुकूल कई होटल और लॉज हैं।
ऐसे पहुंचें कौसानी
सड़क मार्गः कौसानी सड़क मार्ग से हल्द्वानी, काठगोदाम, नैनीताल, अल्मोड़ा, और रामनगर से जुड़ा है जहां से केमू और उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों के अलावा टैक्सियां भी उपलब्ध हैं।
रेलवे स्टेशनः कौसानी के निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम और हल्द्वानी हैं। इन दोनों रेलवे स्टेशनों के लिए लखनऊ, दिल्ली, कोलकाता, कानपुर, बरेली, देहरादून, जैसलमेर, जम्मू आदि से ट्रेन उपलब्ध हैं। हालंकि रामनगर में भी रेलवे स्टेशन है पर वहां गिनीचुनी ट्रेन ही आती-जाती हैं।
हवाई अड्डाः कौसानी का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है। पंतनगर से हल्द्वानी करीब 25 किमी है।