काजू की उत्पत्ति ब्राजील में हुई पर आज इसकी खेती दुनिया के अधिकतर देशों में की जाती है। भारत इसके मुख्य उत्पादकों में शामिल है। दुनिया का 23 प्रतिशत काजू भारत में पैदा होता है।
रेनू जे. त्रिपाठी : यात्रा केवल मनुष्य ही नहीं करते बल्कि समय-समय पर बहुत से फल, सब्जियां और मेवे भी प्रवासी के रूप में दूर देशों तक पहुंच वहां की भोजना परम्परा को समृद्ध करने और आर्थिकी को मजबूत बनाने में योगदान देते रहे हैं। ऐसा ही एक मेवा है काजू (Cashew)। काजू कतली, काजू बर्फी, काजू पड़ा गाजर का हलवा, फेनी (काजू से बनने वाली शराब) के शौकीन तमाम भारतीय तो शायद यह मानने को तैयार ही नहीं होंगे कि कुछ शताब्दियों पहले तक काजू भारत में पैदा ही नहीं होता था। दरअसल इसे पुर्तगाली भारत लाये। धीरे-धीरे इसको यहां की आबो-हवा रास आने लगी और अब तो यह यहां घर-घर की रसोई का हिस्सा बन चुका है।
वनस्पति विज्ञानी बताते हैं कि यह एक उष्णकटिबंधीय वृक्ष है जिसके मोटे कवच वाले फल का बीज काजू (Cashew) कहलाता है। काजू की उत्पत्ति ब्राजील में हुई पर आज इसकी खेती दुनिया के अधिकतर देशों में की जाती है। भारत इसके मुख्य उत्पादकों में शामिल है। दुनिया का 23 प्रतिशत काजू भारत में पैदा होता है। यहां केरल और महाराष्ट्र इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं। गोवा, कर्नाटक, तामिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल में भी इसका अच्छा उत्पादन होता है। हालांकि अब झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी इसकी खेती होने लगी है। झारखंड का जामताड़ा बड़े काजू उत्पादक जिले के तौर पर उभर रहा है।
काजू की सही देखभाल और उपज के लिए धूप ज़रूरी है। इसकी फसल छाया बर्दाश्त नहीं करती। यह कम अवधि के लिए 36 डिग्री तक का तापमान सह कर सकती है पर इसके लिए सबसे अनुकूल तापमान 24 से 28 डिग्री है। सामान्य तौर पर काजू का पेड़ 13 से 14 मीटर तक बढ़ता है। हालांकि इसकी बौनी कल्टीवर प्रजाति का वृक्ष मात्र 6 मीटर ही ऊंचा होता है। एशियाई देशों में अधिकतर समुद्र तटीय इलाके काजू उत्पादन के बड़े क्षेत्र हैं। काजू बहुत तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है। इसमें पौधारोपण के तीन साल बाद फूल आने लगते हैं और उसके दो महीने के भीतर ही फल पककर तैयार हो जाता है।
काजू का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। इसका सफेद मुलायम हिस्सा मेवा है तो छिलके का इस्तेमाल पेंट, लुब्रिकेंट्स आदि को बनाने में किया जाता है। सीमित मात्रा में काजू खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है, हड्डियां मजबूत होती हैं और गुर्दों को ताकत मिलती है। कुछ शोधों के अनुसार दिल की बीमारियों, कमजोर याददाश्त और ब्लड प्रेशर में भी इससे लाभ मिलता है।