@yatrapartnernetwork :
हिमाचल प्रदेश में घूमने का कार्यक्रम बनाते समय प्रायः शिमला, कुल्लू, मनाली, कुफरी, धर्मशाला और लाहौल स्पीति के नाम ही सबसे पहले दिमाग में आते हैं। इन सब के बीच शोजा गाँव भी कल्पना से कहीं ज्यादा सुन्दर और शब्दों से परे हैं। सच मानिये यहां पहुंचकर हरे-भरे पहाड़ों के पीछे से झांकते हिमालय के शिखर देखकर सर्पीले पर्वतीय रास्ते की सारी थकान पलभर में काफूर हो जाती हैं।
यह सेराज घाटी थी जिसकी गोद में बसा है शोजा गांव। यहां से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां बहुत ही सुन्दर दिखाई देती हैं। यह स्थान जालोरी पास से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर समुद्र की सतह से लगभग 2,368 मीटर की ऊंचाई पर है। पूरा क्षेत्र तरह-तरह की वनस्पतियों से परिपूर्ण और कई प्रकार के जीव-जन्तुओं का वास स्थल है। यहां बांज और कॉनिफर के पेड़ बहुतायत में हैं। बांस के झुरमुट हैं तो अल्पाइन घास के मैदान भी हैं। यहां पर इंडियन ब्लू रॉबिन, नटक्रैकर, व्हाइट-थ्रोटेड टाइट को देखा जा सकता है। ऊंचाई वाले स्थानों पर नीली भेड़, हिमालयन भूरा भालू, कस्तूरी मृग, हिम तेंदुआ आदि निर्भय होकर घूमते हैं।
शोजा व आसपास के दर्शनीय स्थान (Places to visit in and around Shoja)
जलोरी पास
शहरी जीवन की हलचल से दूर जलोरी पास एक बेहद खतरनाक उच्च पर्वतीय दर्रा है। जिन्हें रोमांच पसंद है, उनके लिए यह जगह एकदम आदर्श जगह है। यहां कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है जिनमें नायक-नायिकाओं को ट्रैकिंग करते हुए दिखाया गया है। भारी बर्फबारी के कारण दिसम्बर से जनवरी के दौरान यह पास बन्द रहता है।
सेरोल्सार (सरोलेसर) झील :
बांज और देवदार के जंगलों से घिरी यह एक छोटी-सी झील है। जालोरी पास से ट्रैकिंग कर यहां पहुंचा जा सकता है। झील का पानी क्रिस्टल की तरह साफ है। पास में ही एक पुराना मन्दिर भी है।
रघुपुर किला :
यह ऐतिहासिक किला जलोरी पास से करीब तीन किलोमीटर की चढ़ाई पर हैं। माना जाता है कि मण्डी के शासकों ने खुद को बाहरी आक्रमण से बचाने के लिए इसे बनवाया था। आज एक बड़े कक्ष औ रढह चुकी दीवारों के अवशेषों को छोड़कर यहां कुछ भी नहीं बचा है। फिर भी यहां के अतीत को महसूस करने और प्राकृतिक दृश्यों का आनन्द लेने के लिए सैलानी यहां आते हैं। इस किले से घाटी को 360° पर देखा जा सकता है। धौलाधार पर्वतमाला का विहंगम दृश्य देखने के लिए इससे अच्छा कोई और स्थान हो ही नहीं सकता।
वाटरफॉल प्वाइन्ट :
शोजा से करीब एक किलोमीटर दूर वाटरफॉल प्वाइन्ट एक ऐसा स्थान है जिसे हर पर्यटक को जरूर देखना चाहिए। यहां का पानी एकदम ताजा, क्रिस्टल क्लियर और मीठा है।
तीर्थन घाटी :तीर्थन या त्रिथान घाटी एक ऐसा स्थान है जहां पहुंच कर बहुत ही सुकून और शांति का अनुभव होता। यह जगह बड़े शहरों में मशीनी जीवन जीते लोगों की थकान दूर कर चुस्ती-फुर्ती और नया उत्साह भरने वाली है। बड़े शहरों से निकल कर पहली बार यहां पहुंचे लोगों को शायद यह विश्वास ही न हो कि कोई जगह इतनी शान्त और नव-ऊर्जा देने वाली हो सकती है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के बफर जोन में स्थित इस घाटी में आप ट्राउट फिशिंग, रैपलिंग और रॉक क्लाइम्बिंग का भी मजा ले सकते हैं। यह विश्व प्रसिद्ध कुल्लू घाटी के दक्षिणी छोर पर स्थित है।
नागिन का मन्दिर :
यह मन्दिर देवी बूढ़ी नागिन को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान की संरक्षक और अभिभावक के रूप में जानी जाने वाली इस देवी के सौ पुत्र थे। स्थानीय लोगों के लिए यह मन्दिर अत्यन्त पूज्य है।
शोजा जाने का सही समय (Best time to visit Shoja)
वह दौर गया जह हिल स्टेशनों पर कुछ खास महीनों में ही जाने की सलाह दी जाती थी। आधुनिक सुविधाओं, संसाधनों और साहसिक खेलों के लिए वातावरण तैयार किये जाने की वजह से अब पर्वतीय स्थानों पर हर मौसम में पर्यटक पहुंच रहे हैं। पर ध्यान रहे, कड़ी सर्दी (दिसम्बर-जनवरी) के मौसम में जलोरी पास बन्द रहता है और शोजा में पारा अक्सर शून्य से नीचे चला जाता है। इसलिए यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर के बीच का है। इस दौरान यहां के ढलानों पर तरह-तरह के फूल खिले रहते हैं जो इसके सौन्दर्य को और बढ़ा देते हैं।
कैसे पहुंचे शोजा (How to reach Shoja)
वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा भुन्तर एयरपोर्ट (कल्लू-मनाली एयरपोर्ट) यहां से करीब 80 किलोमीटर दूर है। यहां के लिए शिमला, दिल्ली आदि से फ्लाइट मिलती है। एयरपोर्ट से शोजा के लिए टैक्सी मिल जाती हैं।
रेल मार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिन्दर नगर यहां से 164 किलोमीटर दूर है। चण्डीगढ़ रेलवे स्टेशन यहां से करीब 279 किमी पड़ता है।
सड़क मार्ग : कुल्लू से शोजा के लिए नियमित रूप से बस मिलती हैं। शिमला, कुल्लू और मनाली से यहां के लिए टैक्सी भी कर सकते हैं।