भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट से 200 से 440 किलोमीटर दूर स्थित लक्षद्वीप के शानदार रेतीले समुद्र तट, मूंगे की चट्टानें और जैव विविधता लोगों को बहुत लुभाती है। गर्मी के मौसम में यहां का तापमान 35 डिग्री तक पहुंच जाता है जबकि जुलाई, अगस्त और सितम्बर में अच्छी-खासी बारिश होती है।
लक्षद्वीप के 36 छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है। भारत के इस सबसे छोटे केन्द्र प्रशासित प्रदेश का सतही क्षेत्रफल मात्र 32 वर्ग किलोमीटर है। इसके सूर्य-चुम्बन (सन-किस्ड) वाले समुद्र तटों और हरे-भरे लैण्डस्केप को देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
आप यूं ही घूमने का कार्यक्रम बना रहे हों , अक्टूबर से फरवरी के बीच का समय यहां जाने के लिए सबसे अच्छा है। हनीमून पर जाने वालों के लिए यहां के मिनिकॉय द्वीप, अगत्ती द्वीप, बांगरम द्वीप, कावरत्ती द्वीप, कलपेनी द्वीप और कदमत द्वीप सबसे अच्छे ठिकाने हैं। कावरत्ती का मरीन संग्रहालय भी देख सकते हैं।
लक्षद्वीप में आप पैडल बोटिंग, स्कूबा डाइविंग, नौकायन, स्नैचिंग, कयाकिंग, कैनोइंग, सफरिंग, तैराकी, जेट स्की, बनाना बोट राइड, पावर पतंग, पतंग सर्फिंग, क्वाड बाइक राइडिंग, वेक बोर्डिंग, पैरासेलिंग आदि का भी आनन्द ले सकते हैं।
यहां मछली, झींगा और केकड़ा के तरह-तरह के व्यंजन तो मिलते ही हैं, ऑक्टोपस की कई तरह की डिश भी सर्वसुलभ हैं। तला हुआ कुरकुरा ऑक्टोपस खाना यहां के लोगों को बहुत पसन्द है। यहां के खान-पान पर केरल का काफी प्रभाव है। हालांकि उत्तर भारतीय और चीनी व्यंजन भी मिल जाते हैं।
सभी पर्यटन उद्देश्यों के लिए केरल का कोच्चि लक्षद्वीप का द्वार मार्ग है। कोच्चि से यहां के लिए वायुयान सेवा के साथ ही जहाज सेवा भी है। पवन हंस की हेलीकॉप्टर भी यहां के लिए उड़ान भरते हैं। कोच्ची शिप पोर्ट से यहां के अलग-अलग द्वीपों पर पहुंचने में 14 से 18 घण्टे लगते हैं जबकि हवाई जहाज से सिर्फ डेढ़ घण्टे में अगत्ती एयरपोर्ट पहुंच जाते हैं।