कल 7 मई को अक्षय तृतीया 2019 है और इसी दिन से शुरू होगी विश्व प्रसिद्ध चारधाम की यात्रा। हिमालय के चारधाम की यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत आस्था का विषय है। लोगों का मानना है कि ये चारधाम की यात्रा जीवन के सारे दुःख दूर कर मोक्ष की ओर ले जाती है। 7 मई को ही यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के दिन खोले जाएंगे। इसके अलावा 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख केदारनाथ धाम के कपाट 9 मई और भू-वैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट 10 मई को खोले जाएंगे।
केदारखंड’ में कहा गया है कि भक्ति के बिना ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं। इसलिए यमुनोत्री के बाद ही गंगोत्री धाम की यात्रा करनी चाहिए, क्योंकि देवी गंगा ही ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं।
गंगोत्री
पौराणिक कथा है कि देवी गंगा ने राजा भगीरथ के पुरखों को पापों से तारने के लिए नदी का रूप धारण किया था। भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो गंगाजी धरती पर अवतरित हुईं, इसीलिए उनका भागीरथी नाम भी है। उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3102 मीटर (10176 फीट) की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री धाम में इन्हीं मां गंगा की पूजा होती है। स्वर्ग से उतरकर गंगाजी ने पहली बार गंगोत्री में ही धरती का स्पर्श किया। बताते हैं कि गंगाजी के मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने करवाया था। वैसे, गंगाजी का वास्तविक उद्गम गंगोत्री से 19 किमी. की दूरी पर गोमुख में है, लेकिन श्रद्धालु गंगोत्री में ही गंगाजी के प्रथम दर्शन करते हैं।
गंगोत्री यात्रा मार्गः ऋषिकेश से शुरू होने वाली गंगोत्री यात्रा के पथ में आप उत्तरकाशी में भगवान विश्र्वनाथ व शक्ति मंदिर, भाष्कर प्रयाग, गंगनानी में गर्म पानी का कुंड, धराली में पौराणिक शिव मंदिर समूह, मुखवा में गंगाजी के शीतकालीन पड़ाव और भैरवघाटी में मां गंगा के क्षेत्रपाल भैरवनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग
जौलीग्रांट यहां का नज़दीकी हवाई अड्डा है जहां से गंगोत्री की दूरी 275 किमी है।
रेल मार्ग
ऋषिकेश, यहां तक पहुंचने का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जहां से 248 किमी का सफर तय करके आप यहां पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग
हरिद्वार-ऋषिकेश से कई तरह की बसें यहां तक के लिए चलती हैं।