@Yatrapartner. साहसिक गतिविधियों के शौकीन घुमक्कड़ों के लिए ट्रैकिंग (Trekking) एक बेहतर विकल्प है। ट्रैकिंग हमें न केवल प्रकृति के साक्षात्कार का अवसर प्रदान करती है, बल्कि यह हमारे दमखम, साहस, धैर्य, बुद्धिमत्ता और तुरन्त निर्णय लेने की शक्ति (प्रत्युत्पन्नमति) की परीक्षा भी है। हाल के दिनों में भारतीयों का रुझान ट्रैकिंग की ओर बढ़ा है। वीकेन्ड पर बड़ी संख्या में युवा आसपास के ट्रैकिंग रूट का रुख करते हैं। ऐसे भी घुमक्कड़ हैं जो नये-नये और दूरदराज के ट्रैकिंग रूट को नापना पसन्द करते हैं। यूं तो पूरे भारत में तमाम ट्रैकिंग रूट हैं पर हिमालयी क्षेत्र और सहयाद्रि के ट्रैकिंग रूट्स की बात ही अलग है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ बैहतरीन ट्रैक्स पर लिये चलते हैं। (Major Tracks of India)
केदारकंठ ट्रैक (Kedarkantha Track)
उत्तराखण्ड में केदारनाथ धाम के आंचल में समुद्र तल से 3,810 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है केदारकंठ ट्रैक। ट्रैकिंग (Trekking) प्रेमियों के लिए जन्नत कही जाने वाली यह जगह भारत में विंटर ट्रैकिंग के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। इस रूट के बर्फ से लदे पहाड़, कल-कल बहती छोटी-छोटी पहाड़ी नदियां, झीलें, हरियाली, पर्वतीय शैली के गांव, संस्कृति एवं खानपान मन और आत्मा दोनों को ही सकारात्मकता प्रदान करते हैं। केदारकंठ ट्रैक का त्रिकोणीय आकार इसके सफर को और रोमांचक बनाता है।
रूपकुण्ड ट्रैक (Roopkund Track)
उत्तराखण्ड का ही एक और प्रसिद्ध और लोकप्रिय ट्रैक है रूपकुण्ड ट्रैक जो समुद्र तल से 5,029 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रहस्यमय झील रूपकुण्ड तक ले जाता है। इस ट्रैक पर जाने के लिए आपको एक गाइड साथ रखना होगा।
गोमुख-तपोवन ट्रैक
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में स्थित गोमुख-तपोवन ट्रैक हिमालय के सबसे कठिन और सुन्दर ट्रैक में से एक है। इसको गंगोत्री ट्रैक के नाम से भी जाना जाता है। समुद्र तल से 3,415 मीटर ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री हिमालय का सबसे बड़ा ग्लेशियर माना जाता है। गंगोत्री से लगभग 19 किलोमीटर दूर स्थित गौमुख से भागीरथ तृतीय समेत हिमालय के कुछ भव्य हिमशिखरों के दर्शन होते हैं। गौमुख से मात्र कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर एक घास का मैदान है जिसे तपोवन कहा जाता है।
#Lahaulspiti- हिमाचल प्रदेश का ठंडा रेगिस्तान लाहौल-स्पीति
वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रैक (Valley of Flowers Track)
उत्तराखण्ड का वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रैक हिमालयी क्षेत्र में भारत के सबसे पुराने और लोकप्रिय ट्रैक में से एक है जो आपको विश्व विरासत स्थल फूलों की घाटी तक ले जाता है। सामान्य तौर पर यह ट्रैक एक जून से 31 अक्टूबर तक खुला रहता है। यह ट्रैक जंगलों, अल्पाइन फूल वाले घास के मैदानों और पुष्पावती नदी के तट से होकर गुजरता है। इस रूट पर कई ग्लेशियर और झरने हैं। फूलों की घाटी इस धरती पर एक अलग ही दुनिया है जहां ब्रह्मकमल समेत 300 से अधिक किस्म के फूल खिलते हैं।
व्यास कुंड ट्रैक
हिमाचल प्रदेश का व्यास कुंड ट्रैक मनाली से शुरू होकर सोलंग नाले के माध्यम से 3,150 मीटर की ऊंचाई पर धुंडी की ओर जाता है। धुंडी से मार्ग ऊपर की ओर बकारथच तक जाता है जो 3,300 मीटर की ऊंचाई पर है। मोराइन पर धीरे-धीरे चढ़ाई के बाद यह ट्रैक व्यास कुंड की ओर जाता है। करीब 16 किलोमीटर लम्बा यह ट्रैक हिमालयी क्षेत्र के सबसे आसान ट्रैक में से एक माना जाता है।
हाम्टा पास
हिमाचल प्रदेश के हाम्टा पास में ट्रैकिंग के लिए देशभर से पर्यटक आते हैं। कुल्लू घाटी के हाम्टा पास से शुरू होकर स्पीति घाटी पर खत्म होने वाला यह ट्रैक ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए काफी अच्छा आप्शन हो सकता है।
किन्नर कैलास ट्रैक
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित यह ट्रैक तिब्बत सीमा के पास समुद्र तल से 24,000 की फीट की ऊंचाई से गुजरता है। इस रूट पर स्थित किन्नर कैलास धाम का शिवलिंग 79 फिट ऊंचा है। साथ ही यहां बौद्ध संस्कृति को जानने और समझने का मौका भी मिलता है। यहां पर ट्रैकिंग करने का सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर तक का है। सर्दी के महीनों में यहां बर्फ की मोटी परत जम जाती है जिस वजह से ट्रैकिंग करना आसान नहीं होता। इस ट्रैक पर जाने से पहले बारिश को लेकर मौसम विभाग का पूर्वानुमान अवश्य जान लेना चाहिए।
ग्रेट लेक्स ट्रैक
जम्मू-कश्मीर का 72 किलोमीटर लम्बा कश्मीर ग्रेट लेक्स ट्रैक समुद्र तल से 7,800 फीट की ऊंचाई पर सोनमर्ग से शुरू होता है। गदसर पास में यह 13,750 फीट की ऊंचाई से गुजरता हुआ नारनग में 7,450 फीट पर समाप्त होता है। काफी उतार-चढ़ाव भरे इस ट्रैक पर पांच खूबसूरत झीलों के साथ ही बर्फ से ढके पहाड़ों के भी दर्शन होते हैं। इसे भारत के सबसे सुन्दर ट्रैक में से एक माना जाता है।
चादर ट्रैक(Chaadar Track)
लद्दाख का चादर ट्रैक (फ्रोजन रिवर एक्सपेडिशन) भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण ट्रैक्स की सूची में सबसे ऊपर है। सर्दी के मौसम में सिन्धु की सहायक नदी जांस्कर के जमने पर इस ट्रैक की संरचना होती है। दरअसल, जमी हुई जांस्कर नदी को ही चादर ट्रैक कहते हैं जो सर्दियों के दौरान जांस्कर घाटी के वाशिंदों और पर्यटकों को मार्ग उपलब्ध कराता है। स्थानीय लोग इसे व्यापार मार्ग के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इस पर जनवरी की शुरुआत से फरवरी के अंत तक और कभी-कभी मार्च के पहले सप्ताह तक ट्रैकिंग की जा सकती है। इसका शुरुआती बिंदु चिलिंग है। ज़ांस्कर पहुंचने के लिए आप लेह-श्रीनगर हाइवे की मदद ले सकते हैं। जांस्कर से थोड़ा आगे चिलिंग है।
गोइचा ला ट्रैक
सिक्किम के गोइचा ला से गुजरते हुए हिमालय के बर्फ से ढके शिखरों को निहारने का अपना अलग ही आनन्द है। खासकर भारत में हिमालय की दूसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंघा पर होने वाले सूर्योदय को देखना कभी न भूलने वाला अनुभव होता है। यहां ट्रैकिंग के दौरान सिक्किम की परम्परा और संस्कृति को करीब से देखने-समझने का अवसर मिलता है।
चेम्ब्रा पीक ट्रैक
केरल के वायनाड जिले में स्थित चेम्ब्रा पीक ट्रैक की खूबसूरती और खुशबू आपको दीवाना बना देगी। हरेभरे जंगलों, मसालों के खेत-बागानों और चाय के बागानों के बीच से गुजरने वाला यह ट्रैक अपनी तरह का एक अलग ही ट्रैक है। समुद्र तल से 2,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चेम्ब्रा पीक दुर्लभ वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का खजाना है।
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राजमाची किला ट्रैक
महाराष्ट्र में लोनावला से क़रीब 15 किलोमीटर दूर स्थित राजमाची किला भारत के मशहूर ट्रैकिंग स्थलों में से एक है। समुद्र की सतह से 2,710 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह किला हरीभर पहाड़ियों पर ट्रैकिंग करने के शौकीनों के लिए अच्छा विकल्प है। यह ट्रैक ज्यादा लम्बा भी नहीं है। इस किले के टॉप पर पहुंचने में सिर्फ़ 40-45 मिनट ही लगते हैं।
अलंग किला
नासिक की कलसुबाई श्रेणी में स्थित अलंग किला मुम्बई से करीब 140 किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने के लिए काफी मुश्किल भरे रास्तों से गुजरना होता है पर चारों ओर बिखरा प्राकृतिक सौन्दर्य़ सारी थकान को छू मंतर तक देता है। अलंग किला समुद्र की सतह से 4,852 फीट की ऊंचाई पर एक विशाल पहाड़ पर स्थित है जहां आसपास कई गुफाएं हैं। मुम्बई क्षेत्र के इस सबसे कठिन ट्रैक पर ट्रैकिंग के लिए अक्टूबर से मई तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है।