विशाल गुप्ता “अजमेरा”
जैसलमेर, जोधपुर, अजमेर और पुष्कर के बाद हमारा अगला गन्तव्य था “झीलों की नगरी” कहा जाने वाला उदयपुर। अजमेर जंक्शन से करीब 300 किलोमीटर की दूरी तय कर उदयपुर सिटी एक्सप्रेस उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन पहुंची तो दोपहर बाद के साढ़े तीन बज रहे थे। होटल के कमरे में कुछ देर आराम करने के दौरान ही तय हुआ कि आज शहर में घूमा जाये और अगले दिन सवेरे शहर से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित ऐतिहासिक सज्जनगढ़ दुर्ग (Sajjangarh Fort) देखने चलेंगे।
सवेरे नाश्ता करने के बाद हम होटल से ही शेयरिंग टैक्सी कर सज्जनगढ़ दुर्ग (Sajjangarh Fort) के लिए रवाना हो गये। अरावली पर्वतमाला की घुमावदार सड़कों से होते हुए हम बमुश्किल बीस मिनट में बांसदरापहाड़ी के शिखर पर पहुंच गये जहां सज्जनगढ़ दुर्ग स्थित है। उदयपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित इस दुर्ग को इसकी खूबसूरती की वजह से “उदयपुर का मुकुटमणि” भी कहते हैं। अक्सर बादलों से घिरे रहने वाले इस दुर्ग से पिछोला झील का नजारा बहुत ही शानदार होता है।
समुद्र तल से करीब 944 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सज्जनगढ़ दुर्ग (Sajjangarh Fort) मेवाड़ राजवंश से सम्बन्धित एक पूर्व राज निवास है। यह महाराणा सज्ज्न सिंह की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना थी जिसे उन्होंने अपने शासनकाल के अन्तिम वर्षों के दौरान शुरू किया था। उनका इरादा यहां मूल रूप से एक खगोलीय केन्द्र के रूप में नौ मंजिला परिसर का निर्माण करना था जहां से मानसून की गति और उसकी सूक्ष्म गतिविधियों की सटीक गणना की जा सके। इसी कारण इसे “मानसून महल” (Monsoon Palace) भी कहा जाता है। इस दुर्ग की स्थापना का एक उद्देश्य शाही परिवार के लिए एक रिसॉर्ट के रूप में काम करना भी था। दुर्भाग्य से मात्र 26 वर्ष की उम्र में (1874 और 1884 के बीच केवल 10 वर्षों के शासन के बाद) उनकी असामयिक मृत्यु हो गयी। उनके पुत्र व उत्तराधिकारी फतेह सिंह ने इसका निर्माण कार्य पूरा कराया।
ऐसा भी कहा जाता है कि महाराणा सज्जन सिंह ने अपने पैतृक घर चित्तौड़गढ़ को दृश्य देखने के लिए इस दुर्ग को पहाड़ी की चोटी पर बनवाया था। पहले यह मेवाड़ के शाही परिवार के स्वामित्व में था। अब यह राजस्थान सरकार के वन विभाग के नियन्त्रण में है और जनता के लिए खोल दिया गया है। इस दुर्ग व इसके आसपास कई फिल्मों की शूटिंग हुई है। वर्ष 1983 में बनी जेम्स बाण्ड सीरीज की फिल्म ऑक्टोपसी के कुछ दृश्यों को यहां शूट किया गया था।
सज्जनगढ़ दुर्ग की वास्तुकला (Architecture of Sajjangarh Fort)सज्जनगढ़ दुर्ग (Sajjangarh Fort) एक पांच मंजिला भवन है जिसमें तीन मंजिलें नीचे की तरफ गयी हुई हैं जबकि दो मंजिलें ऊपर की तरफ हैं। इसका निर्माण सफेद संगमरमर से राजस्थानी राजपूत शैली में किया गया है। इसकी कई अन्दरूनी दीवारों पर चूने के गारे का प्लास्टर है। इसमें ऊंचे बुर्ज, कई स्तम्भ, विशाल गुम्बद और झरोखे हैं। इसमें एक भव्य राजदरबार, कई कक्ष और शानदार डिजायनर सीढ़ियां हैं। पत्ती-फूलों समेत विभिन्न आकृतियों की जटिल नक्काशी से इसे अच्छी तरह सजाया गया है।
राजस्थान में पानी की कमी रहती है। इसी वजह से जल इकट्ठा करने के लिए एक भूमिगत कुण्ड भी बनाया गया। दुर्ग के चारों तरफ खूबसूरत गुम्बद और परिसर में कई फव्वारें हैं। पहली मंजिल पर एक छोटा-सा म्यूजियम है जिसमें सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में पाए जाने वाले फ़्लोरा और फौना को मॉडल्स के द्वारा दिखाया गया है। इस हॉल के बीच में फॉउन्टेंस भी लगे हुए हैं।
उदयपुर की यात्रा के लिए सलाह (Tips for traveling to Udaipur)
उदयपुर का मौसम पूरे वर्ष गर्म और नम रहता है, इसलिए इसके अनुरूप आरामदायक कपड़े और जूते पहनें। इस दुर्ग से सूर्यास्त का नजारा अत्यन्त भव्य होता है। इस दौरान यह दुर्ग नारंगी रोशनी में नहाया हुआ लगता है। इन दृश्यों को देखने के लिए सायंकाल यहां पर्यटकों का हुजूम उमड़ा पड़ता है। अगर आप भीड़ से बचना चाहते हैं तो सूर्यास्त से पहले ही यहां घूमने का कार्यक्रम सुनिश्चित करें। यहां की खूबसूरत यादों को सहेजने के लिए अच्छी क्वालिटी का कैमरा अवश्य साथ लेकर चलें।
कब जायें सज्जनगढ़ दुर्ग (When to go to Sajjangarh Fort)
सज्जनगढ़ दुर्ग (Sajjangarh Fort) सप्ताह के सातों दिन प्रातः आठ से सायंकाल छह बजे तक खुला रहता है। इसमें प्रवेश करने के लिए टिकट लेना होता है। यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है। रेगिस्तान क्षेत्र होने की वजह से उदयपुर अप्रैल से जून के बीच बेहद गर्म होता है जिसकी वजह से इस मौसम में यात्रा करने से बचना चाहिए।
उदयपुर व आसपास के घूमने लायक स्थान (Places to visit in and around Udaipur)
उदयपुर व इसके आसपास सज्जनगढ़ दुर्ग के अलावा भी कई प्रसिद्ध किले, महल, झील, धार्मिक स्थल, पार्क व अन्य पर्यटन स्थल हैं। इनमें बड़ा महल, सिटी पैलेस, चित्तौड़गढ़ किला (118 किलोमीटर), कुम्भलगढ़ किला (84 किमी), बागोर की हवेली, सहेलियों की बाड़ी और हल्दीघाटी (49 किमी) प्रमुख ऐतिहासिक स्थल हैं। एकलिंगजी मन्दिर, जगदीश मन्दिर, नीमच माता मन्दिर, सहस्त्रबाहु मन्दिर और जग मन्दिर यहां के प्रमुख धर्मस्थल हैं। पिछोला झील, दूध थाली, गोवर्धन सागर, कुमारी तालाब, रंगसागर झील, स्वरूप सागर और फतेह सागर यहां की सात प्रमुख झीलें हैं। इन झीलों को सामूहिक रूप से “उदयपुर की सात बहनें” के नाम से भी जाना जाता है। ये झीलें कई शताब्दियों से उदयपुर की जीवनरेखा हैं। इनके अलावा अहर म्यूज़ियम, विंटेज कार संग्रह, क्रिस्टल गैलरी, वैक्स म्यूजियम, भारतीय लोककलामण्डल और संग्रहालय, सुखाड़िया सर्किल, महाराणा प्रताप स्मारक, ताज लेक पैलेस, सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क, उदयपुर फिश एक्वेरियम, चेतक सर्कल, अम्बराई घाट, हाथी पोल बाजार, गुलाब बाग, चिड़ियाघर, लेदर क्राफ्ट शिल्पग्राम और सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य भी घूमने योग्य स्थान हैं।
ऐसे पहुंचें सज्जनगढ़ दुर्ग (How to reach Sajjangarh Fort)
वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा उदयपुर का महाराणा प्रताप एयरपोर्ट यहां से लगभग 28 किलोमीटर दूर है। यह एयरपोर्ट दिल्ली, मुम्बई, जयपुर, कोलकाता जैस देश के कई प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से कैब या प्री-पेड टैक्सी बुक करके सज्जनगढ़ दुर्ग आसानी से पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग : उदयपुर रेलवे स्टेशन मानसून महल से करीब आठ किलोमीटर पड़ता है। जयपुर, कोटा, अजमेर, जैसलमेर, दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ, इन्दौर, कोटा आदि से यहां के लिए ट्रेन मिलती हैं।
सड़क मार्ग : उदयपुर शहर रोड नेटवर्क द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, जयपुर, कोटा, मुम्बई, इन्दौर, कोटा, अहमदाबाद आदि से अच्छी तरह से जुड़ा है। राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों से यहां के लिए सरकारी और निजी बसें चलती हैं।