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अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी कमेंग से तिब्बत सीमा के पास स्थित तवांग शहर जाने वाली सड़क ऊंचे–ऊंचे पहाड़ों और झीलों के करीब से गुजरते हुए एकाएक बर्फ से घिरकर संकरी नजर आने लगती है। यह सेला दर्रा (सेला ला अथवा सा-नगा-फू) है। तवांग और पश्चिम कमेंग जिलों के मध्य में स्थित यह दर्रा तवांग शहर तक पहुंचने का न केवल मुख्य मार्ग है बल्कि इस छोटे-से पर्वतीय शहर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।
अपने भौगोलिक और सामरिक महत्व के लिए जाना जाने वाला सेला दर्रा अरुणाचल प्रदेश में समुद्र तल से 4,170 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। उच्च तुंगता (हाई एल्टीट्यूड) वाला यह दर्रा तवांग जिले के सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है।
इस क्षेत्र में बहुत कम वनस्पति होती है और आमतौर पर सालभर बर्फ से ढका रहता है। यह भारत के उन गिनेचुने दर्रों में शामिल है जहां हर समय बर्फ की चादर जैसी बिछी रहती है और वाहनों के गुजरने के लिए इसे बार-बार साफ करना पड़ता है। इसकी प्राकृतिक सुन्दरता आश्चर्यजनक है और भौगोलिक परिवेश अद्भुत। यहां से पूर्वी हिमालय श्रृंखला के कुछ सबसे शानदार दृश्य देखे जा सकते हैं। यह एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण होने के साथ-साथ बौद्धों का एक प्रमुख धार्मिक स्थल भी है। इस दर्रे पर स्थित सेला झील अरुणाचल प्रदेश की सबसे सुन्दर झीलों में से एक है। इसके आसपास 100 और झीलें भी हैं। इनमें से प्रत्येक का बौद्ध समुदाय में विशेष धार्मिक महत्व है।
यह दर्रा पूरे साल पर्यटकों के लिए खुला रहता है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इसके लिए लगातार सक्रिय रहता है। इसके बावजूद भूस्खलन और भारी बर्फबारी के दौरान यह अस्थायी रूप से बन्द हो जाता है। संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण सेला दर्रा जाने के लिए इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है।
अनुश्रुति
एक अनुश्रुति के अनुसार, 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान भारतीय सेना के जवान राइफलमैन जसवन्त सिंह रावत ने इस दर्रे के नजदीक चीनी सैनिकों के खिलाफ अकेले युद्ध किया था। जसवन्त सिंह को उनके अदम्य साहस एवं कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए मरणोपरान्त महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उनके सम्मान में यहां जसवन्त गढ़ युद्ध स्मारक का निर्माण किया गया है।
ऐसे पहुंचें #selapass
निकटतम हवाई अड्डे असम के तेजपुर के सलोनीबाड़ी एयरपोर्ट से सेला दर्रा करीब 248 किलोमीटर पड़ता है। तेजपुर का ही रंगापार नार्थ जंक्शन इसका निकटतम रेलवे स्टेशन है जो करीब 243 किलोमीटर पड़ता है। दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, हैदराबाद, तिरुपति, कन्याकुमारी, तिरुवनन्तपुरम, कोयम्बटूर, गोवा, गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ आदि से यहां के लिए ट्रेन मिलती हैं। तेजपुर, रंगापार, तवांग, पश्चिम कमेंग आदि से बस या टैक्सी कर सेला दर्रा पहुंच सकते हैं।