मसूरीः “पहाड़ों की रानी”, दुनिया दीवानी

मसूरी (Mussoorie) की लोकप्रियता की प्रमुख वजह इसकी प्रकृतिक सुंदरता और मौसम तो है ही, साथ ही यह नैनीताल की तरह दिल्ली का निकटतम हिल स्टेशन भी है। यही कारण है दो-चार दिन की छुट्टी मिलते ही लोग यहां की राह पकड़ लेते हैं।

यात्रा पार्टनर नेटवर्क : हरीभरी पहाड़ियों के उस पार झांकती हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां, जल प्रपात, बादलों से ढंकी घाटियों का अद्भुत नजारा और इससे भी बढ़कर यहां का मौसम। मई-जून में जब भारत के मैदानी इलाकों में आसमान से आग बरसती है, उस दौर में भी सर्दी का एहसास! ये मसूरी (Mussoorie) है। समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से मात्र 34 किलोमीटर दूर बसी “पहाड़ों की रानी”। यह इसका मौसम, जैव विविधता, झरने-पहाड़ ही हैं जिनको देखने और प्रकृति का आनंद उठाने के लिए पर्यटक खिंचे चले आते हैं।

मसूरी (Mussoorie) की लोकप्रियता की प्रमुख वजह इसकी प्रकृतिक सुंदरता और मौसम तो है ही, साथ ही यह नैनीताल की तरह दिल्ली का निकटतम हिल स्टेशन भी है। यही कारण है दो-चार दिन की छुट्टी मिलते ही लोग यहां की राह पकड़ लेते हैं।

प्रमुख पर्यटक आकर्षण

मसूरी लेकः देहरादून-मसूरी विकास प्रधिकरण द्वारा विकसिक की गई मसूरी लेक यहां का नवीनतन टूरिस्ट आकर्षण है। यह देहरादून-मसूरी मार्ग पर मसूरी से छह किलोमीटर पहले स्थित है। आप चाहें तो यहां पैडल वाली बोट्स में बोट राइड कर सकते हैं और घाटी का बेहद खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं। 

केंपटी फालः रामगांव में स्थित केंपटी फाल मसूरी आने वाले पर्यटकों के बीच सबसे लोकप्रिय स्थान है। इस झरने में करीब 40 फीट की ऊंचाई से गिरता पानी पांच अलग-अलग धाराओं में बंट जाता है। यहां नहाने का अपना अलग ही मजा है। आप चाहें तो यहां परिवार या दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने के लिए भी जा सकते हैं।


लाल टिब्बाः मसूरी के लैंडऑर में स्थित लाल टिब्बा का अर्थ है लाल पहाड़। भारतीय सेना की छावनी के साथ ही ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन का ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन भी यहीं पर है। लिहाजा यहां एंट्री रिस्ट्रिक्टेड है। आप चाहें तो यहां की पहाड़ी पर 20 मीटर ऊंचे टॉवर पर रखे पुराने टेलिस्कोप के जरिए इस पहाड़ी की खूबसूरती को निहार सकते हैं। इसके अलावा यहां घुड़सवारी का आनंद भी उठाया जा सकता है।

चाइल्डर्स लॉजः लाल टिब्बा के निकट यह मसूरी की सबसे ऊंची चोटी है। टूरिस्ट कार्यालय से यह पांच किलोमीटर दूर है। यहां तक घोड़े पर या पैदल भी पहुंचा जा सकता है। यहां से बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों को देखना बहुत रोमांचक लगता है।


गन हिलः गन हिल मसूरी का दूसरा सबसे ऊंचा प्वाइंट है जो मॉल रोड से करीब 400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। आप चाहें तो यहां रोपवे से पहुंच सकते हैं या फिर आधा घंटे लंबा एक ट्रैक है जिसके जरिए कोर्ट कॉम्प्लेक्स से आप यहां पहुंच सकते हैं। गन हिल पर ऊपर पहुंचने के बाद आप टेलिस्कोप की मदद से हिमालय की बर्फीली चोटियों को बेहद करीब से देख औऱ महसूस कर सकते हैं। 

द मॉलः मसूरी के दिल में बसा है मॉल रोड जहां हर वक्त पर्यटकों की भीड़ रहती है। आप चाहें तो शाम के वक्त यहां टहलने निकल सकते हैं। शॉपिंग करने का इरादा है तब भी मॉल रोड आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है। यह दो किलोमीटर लंबा स्ट्रेच है जो लाइब्रेरी पॉइंट से शुरू होकर पिक्चर पैलेस तक जाता है। 

नागा टिब्बाः ट्रैकिंग के लिए आदर्श जगह है नागा टिब्बा। यह ऊंची चोटी घने जंगलों से आच्छादित है।

यमुना पुलः मछली पकड़ना यहां का एक बड़ा आकर्षण है। लेकिन, इसके लिए परमिट लेना पड़ता है।  

म्युनिसिपल गार्डनमसूरी का वर्तमान कंपनी गार्डन या म्युनिसिपल गार्डन आजादी से पहले तक बोटेनिकल गार्डन भी कहलाता था। कंपनी गार्डन के निर्माता विश्वविख्यात भूवैज्ञानिक डॉ॰ एच. फाकनार लोगी थे। सन्‌ 1842 के आस-पास उन्होंने इस क्षेत्र को सुंदर उद्यान में बदल दिया था। बाद में इसकी देखभाल कंपनी प्रशासन की ओर से होने लगी। इसलिए इसे कंपनी गार्डन या म्युनिसिपल गार्डन कहा जाने लगा।

तिब्बती मंदिरः बौद्ध सभ्यता की गाथा कहता यह मंदिर पर्यटकों का मन मोह लेता है। इस मंदिर के पीछे की तरफ कुछ ड्रम लगे हुए हैं जिनके बारे में मान्यता है कि इन्हें घुमाने से मनोकामना पूरी होती है।

कैमल बैक रोडः तीन किलोमीटर लंबा यह मार्ग रिंक हॉल के समीप कुलरी बाजार से शुरू होकर लाइब्रेरी बाजार तक है। इस सड़क पर पैदल चलना या घुड़सवारी करना अच्छा लगता है। हिमालय में सूर्यास्त का दृश्य यहां से बहुत सुंदर दिखाई पड़ता है। कैमल रॉक मसूरी पब्लिक स्कूल से जीते-जागते ऊंट जैसी लगती है।

झड़ीपानी फालः यह फाल मसूरी-झड़ीपानी मार्ग पर मसूरी से 8.5 किमी दूर स्थित है। पर्यटक झड़ीपानी तक 7 किमी की दूरी बस या कार द्वारा तय करके यहां से पैदल 1.5 किमी दूरी पर झरने तक पहुंच सकते हैं।

भट्ठा फालः यह फाल मसूरी-देहरादून रोड पर मसूरी से सात किमी दूर स्थित है। पर्यटक बस या कार द्वारा यहां पहुंचकर आगे की तीन किमी दूरी पैदल तय करके झरने तक पहुंच सकते हैं। सनहाने और पिकनिक के लिए यह अच्छी जगह है।

लाखा मंडलः मसूरी-यमुनोत्री रोड पर यह मसीरी से 80 किलोमीटर दूर है। यहां पुरातात्विक महत्व की मूर्तियां मिलती हैं। कुछ लोग इसका संबंध महाभारत काल से भी जोड़ते हैं।

ऐसे पहुंचें

यह “पहाड़ों की रानी” उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के रेलवे स्टेशन से 34 किलोमीटर दूर है जहां से यहां तक बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। देहरादून रेलवे स्टेशन के पास ही बस स्टॉप है जहां से मसूरी  जाने के लिए बस मिल जाती है। देहारादून  बस स्टॉप के सामने ही टैक्सी सेवा का विकल्प भी मौजूद है। देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। आप चाहें तो देहरादून तक विमान से भी पहुंच सकते हैं। देहरादून देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से रेल सेवा से जुड़ा है। देहरादून-मसूरी मार्ग एक पर्वतीय मार्ग है, इस करण इस पर तीन पहिया वाहन (ऑटो या विक्रम) वाहन नहीं चलते हैं।

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