@yatrapartnernetwork:विजयनगर साम्राज्य के उत्थान और पतन का गवाह रहा यह किला चित्तूर (Chittoor) शहर से करीब 108 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित है। शुरुआती दौर में इसे मिट्टी और चट्टानों से बनाया गया था। 1714 ईस्वी में इस पर कदप्पा के नवाब अब्दुल नबी खान का कब्जा हो गया। शिलालेखों से पता चलता है कि इस किले की विशाल दीवारों, अन्दर की इमारतों, कार्यालय भवन और रंगीन महल का निर्माण अब्दुल नबी खान ने करवाया था। गुर्रमकोण्डा किला 500 फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मराठों के अलावा सिद्दापाह सुल्तानों का भी इस पर नियन्त्रण रहा। अंग्रेजों के आगे घुटने टेकने से पहले हैदर अली और टीपू सुल्तान ने इस किले पर कब्जा कर लिया था। वर्तमान में यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन एक संरक्षित स्मारक है।
यह किला साल में सभी दिन सुबह आठ से सायंकाल छह बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन वायलपाडु है जो यहां से करीब 10 किलोमीटर पड़ता है। मदनपल्ली से यहां के लिए सीधी बस सेवा है।
ऐसे पहुंचें
वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा तिरुपति एयरपोर्ट चित्तूर से करीब 84 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग : चित्तूर (Chittoor) शहर रेल नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। नयी दिल्ली, हजरत निजामुद्दीन (दिल्ली), मुम्बई, हैदराबाद, तिरुवनन्तपुरम, यशवन्तपुर जंक्शन (बंगलुरु), बंगलुरु कैण्ट, भुवनेश्वर, तिरुपति, श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा आदि से यहां के लिए ट्रेन मिलती हैं।
सड़क मार्ग : चित्तूर (Chittoor) राष्ट्रीय राजमार्ग चार पर चेन्नई और बंगलुरु के बीच स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग 18 भी चित्तूर जिले से होकर गुजरता है। यह शहर बंगलुरु से 182 , चेन्नई से 158 और हैदराबाद से 584 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आन्ध्र प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से यहां के लिए बस सेवा है।