हैदराबाद: हीरे-जवाहरातों का किला गोलकोंडा किला

अगर आप हैदराबाद की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको हीरे-जवाहरातों के किले गोलकोंडा किले की यात्रा करने के लिए अवश्य जाना चाहिए। पूर्वकाल में यह कुतबशाही राज्य में मिलनेवाले हीरे-जवाहरातों के लिये प्रसिद्ध था। हीरे-जवाहरातों के लिए प्रसिद्ध यह किला हैदराबाद के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।  गोलकोंडा का यह किला गोल्ला कोंडा के नाम से भी जाना जाता है। गोलकोंडा का यह किला हुसैन सागर झील से लगभग 9 किमी की दूरी पर तथा यह किला हैदराबाद के दक्षिण से 11 किलोमीटर दुरी पर स्थित है और यह इस क्षेत्र के सबसे अनुपम स्मारकों में से एक है। गोलकोंडा को मूल रूप से मंकाल के नाम से जाना जाता था।

 इस किले का निर्माण वारंगल के राजा ने 14वीं शताब्दी में कराया था। गोलकोंडा किले का निर्माण कार्य 1600 के दशक में पूरा हुआ था। बाद में यह बहमनी राजाओं के हाथ में चला गया और मुहम्मदनगर कहलाने लगा। बता दें कि यह उस क्षेत्र के रूप में प्रतिष्ठित है, जहां एक बार, शक्तिशाली कोहिनूर हीरे को संग्रहीत किया गया था। गोलकोंडा का यह किला अपनी वास्तुकला, पौराणिक कथाओं, इतिहास और रहस्यों के लिए जाना जाता है। शुरुआत में यह मिट्टी का किला था लेकिन कुतुब शाही वंश के शासनकाल में इसे ग्रेनाइट से बनवाया गया। ऐसा माना जाता है कि एक गुप्त सुरंग है जो “दरबार हॉल” से निकलती है और पहाड़ी के एक तल पर स्थित किसी एक महल में समाप्त होती है।

यह किला ग्रैनाइट की एक पहाड़ी पर 120 मीटर ऊंचाई पर बना  हुआ है। असल में गोलकोंडा में 4 अलग-अलग किलो का समावेश है जिसकी 10 किलोमीटर लंबी बाहरी दीवार है। इसमें 8 भव्य प्रवेश द्वार हैं जिन पर 15 से 18 मीटर की उंचाई वाले 87 बुर्ज बने हैं। इनमें से प्रत्येक बुर्ज पर अलग– अलग क्षमता वाले तोप लगे थे और 4 उठाऊ पुल है। इसके साथ ही गोलकोंडा में कई सारे शाही अपार्टमेंट और हॉल, मंदिर, मस्जिद, पत्रिका, अस्तबल इत्यादि है। यहाँ के महलों के खंडहर अपने प्राचीन गौरव गरिमा की कहानी सुनाते हैं। इसमें दुर्ग की दीवारों की तीन कतार बनी हुई है। ये एक दूसरे के भीतर है और 12 मीटर से भी अधिक उंचे हैं। सबसे बाहरी दीवार के पार एक गहरी खाई बनाई गई है जो 7 किलोमीटर की परिधि में शहर के विशाल क्षेत्र को कवर करती है।

1512 ई. में यह कुतबशाही राजाओं के अधिकार में आया और वर्तमान हैदराबाद के शिलान्यास के समय तक उनकी राजधानी रहा। फिर 1687 ई. में इसे औरंगजेब ने जीत लिया। मूसी नदी इस किले के दक्षिण में बहती है। दुर्ग से लगभग आधा मील उत्तर कुतबशाही राजाओं के ग्रैनाइट पत्थर के मकबरे हैं जो टूटी फूटी अवस्था में अब भी विद्यमान हैं। तक़रीबन 62 सालो तक कुतुब शाही सुल्तानों ने वहा राज किया। लेकिन फिर 1590 में कुतुब शाही सल्तनत ने अपनी राजधानी को हैदराबाद में स्थानांतरित कर लिया था।  

यहां का साम्राज्य इसलिये भी प्रसिद्ध था क्योकि उन्होंने कई बेशकीमती चीजे देश को दी थी । इस क्षेत्र ने दुनिया के कुछ सबसे प्रसिद्ध हीरों का उत्पादन किया है, जिसमें कोहिनूर हीरा, ब्लू होप (संयुक्त राज्य अमेरिका), गुलाबी डारिया-ए-नूर (ईरान), सफेद शामिल हैं। रीजेंट (फ्रांस), ड्रेसडेन ग्रीन (जर्मनी), और रंगहीन ओरलोव (रूस), निज़ाम और जैकब (भारत), साथ ही अब खोए हुए हीरे फ्लोरेंटाइन येलो, अकबर शाह और ग्रेट मुगल।

इस किले का प्रमुख आकर्षण शाम को यहां होने वाला लाइट और साउंड शो है जो सच में देखने लायक है।  गोलकोंडा फोर्ट सुबह 9 बजे से शाम के 5.30 बजे तक खुला रहता है। किले की खूबसूरती और हर एक चीज़ को बारीकी से देखने और जानने के लिए सुबह का समय एकदम परफेक्ट होता है। 

गोलकोंडा किला का प्रवेश शुल्क

 भारतीयों के लिए प्रवेश शुल्क: 15 रूपये

  • विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क: 100 रूपये
  • स्टिल कैमरे के लिए शुल्क: 25 रूपये
  • साउंड एंड लाइट शो: 130

गोलकोंडा फोर्ट साउंड एंड लाइट शो कौन कौन सी भाषा में उपलब्ध है

  • अंग्रेजी में पहला शो (हफ्ते में सभी दिन)
  • तेलुगु (सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को) में दूसरा प्रदर्शन
  • हिंदी में (मंगलवार, गुरुवार, शनिवार और रविवार को)

गोलकोंडा किला लाइट एंड साउंड शो का समय

पहला शो:

  • शाम 6:30 बजे(नवंबर से फरवरी)
  • शाम 7 बजे (मार्च से अक्टूबर)

दूसरा शो:

  • शाम 7:45 बजे(नवंबर से फरवरी)
  • रात 8:15 बजे(मार्च से अक्टूबर)

गोलकोंडा किला लाइट एंड साउंड शो टिकट काउंटर शाम 5:30 बजे से खुलता है

 गोलकोंडा किला लाइट एंड साउंड शो टिकट की कीमत

  • कार्यकारी वर्ग के लिए टिकट की कीमत 140 रूपये वयस्कों के लिए 110 बच्चों के लिए।
  • सामान्य वर्ग के लिए 80 रूपये वयस्कों के लिए 60 रूपये बच्चों के लिए।

गोलकोंडा किले की कुछ रोचक बाते

     425 साल पुराना वृक्ष आज भी है 

एक अफ्रीकन बाओबाब वृक्ष जिसे स्थानिक लोग हतियाँ का झाड़ भी कहते थे, यह पेड़ नया किला परीसर मे आता है। यह झाड़ 425 साल पुराना है। कहा जाता है की अरबियन व्यापारियों ने इसे सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह को उपहार स्वरुप दिया था।

     ताली मारो मियान 

किले के प्रवेश द्वार पर बजायी गयी ताली को आप आसानी से किले के बाला हिसार रंगमंच में सुन सकते हो, जो की किले का सबसे उपरी भाग है। यह दो चीजो को दर्शाता है – या तो घुसपैठिया अन्दर आ गया, या फिर कोई आपातकालीन स्थिति आ गयी। इसका उपयोग इसलिये भी किया जाता था ताकि शाही परिवार के लोगो को आने वाले महेमानो के बारे में पता चल सके।

कैसे पहुचें गोलकोंडा किला

गोलकोंडा तक पहुंचने के लिए आपको ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं। आप यहां हवाई/रेल /सड़क मार्गों के सहारे पहुंच सकते हैं। हवाई मार्ग के लिए आपको हैदराबाद हवाईअड्डे का सहारा लेना पडे़गा। रेल मार्ग के लिए आप हैदराबाद या सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं, जहां से आपको गोलकोंडा के लिए बस आसानी से मिल जाएगी।

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