ग्वालियर फोर्ट : बखूबी कायम है देश की संस्कृति और वैभव

ग्वालियर किला

भारत के किले और महल अपने विशेष स्थापत्य के लिए विश्वविख्यात हैं। ये किले और महल अपने आप में भारत का इतिहास, संस्कृति और वैभव को समेटे समृद्ध भारतीय परम्परा के जीवन्त गवाह हैं। अगर आपको भारतीय वैभव के दर्शन की ललक है तो राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जरूर आइये। यहां आकर भी आप भारत की संस्कृति और वैभव में इस कदर खो जायेंगे कि आपका रोम-रोम रोमांचित हो जाएगा। आज हम आपको ले चलते हैं मध्यप्रदेश के ग्वालियर किले की यात्रा पर।

ग्वालियर किला

गोपांचल पर्वत पर बना यह किला ग्वालियर शहर की पहचान है। ये देश के सबसे बड़े किलों में से एक है। 8वीं सदी में बना यह ग्वालियर किला यहां की संस्कृति और वैभव का चश्मदीद है। जिस पर मुगलों से लेकर ब्रिटिश ने राज किया है। ग्वालियर किला दो भागों में बंटा हुआ है- एक है मान मंदिर पैलेस और दूसरा गुजरी पैलेस। जिसे अब म्यूजियम का रूप दे दिया गया है। इसमें मध्यभारत के सबसे ज्यादा कलेक्शन देखे जा सकते हैं। किले में होने वाला लाइट एंड साउंड शो टूरिस्टों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है।

ग्वालियर किला

किले का स्थापत्य

विशालकाय ग्वालियर किला बलुआ पत्थर की पहाड़ी पर बना हुआ है और मैदानी क्षेत्र से 100 मीटर ऊंचाई पर है। किले में प्रवेश के लिए दो रास्ते हैं। पहला ग्वालियर गेट और दूसरा ऊरवाई गेट। किले की दीवारें एकदम खड़ी हैं। बाहरी दीवार 2 मीटर लंबी और चौड़ाई 1 किमी से लेकर 200 मीटर तक है। पहाड़ी तक जाने वाले रास्ते की चट्टानों पर खूबसूरत नक्काशी देखने को मिलती है। किले की वास्तुकला गजब की है।
ग्वालियर किले का मुख्यद्वार हाथी पूल के नाम से जाना जाता है। किले के स्तंभों पर ड्रैगन की नक्काशी है। किले पर गुरु गोविंद की स्मृति में एक गुरुद्वारा बना हुआ है। साथ ही पुरानी शैली का मानसिंह महल भी यहां है।

इसके अलावा सहस्त्रबाहु मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, तेली मंदिर 14वीं सदी की गुफाएं भी यहां आकर देख सकते हैं। इसके साथ ही जहांगीर महल, कर्ण महल, विक्रम महल और शाहजहां महल भी बहुत ही खास है। किला दो भाग में बंटा है। मुख्य किला और महल (गुजारी महल और मान मंदिर महल)। इन किलों का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया था।

ग्वालियर किला

कब जाएं

हेरिटेज साइट होने की वजह से यह किला पूरे साल सैलानियों के लिए खुला रहता है। हालांकि नवंबर से मार्च का महीना किले को घूमने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समय है। जब न तो बहुत गर्मी होती है न ही अधिक सर्दी। आराम से किले की हर एक जगह को एक्सप्लोर किया जा सकता है।

कैसे पहुंचें

हवाई मार्ग : शहर से 8 किमी की दूरी पर स्थित है ग्वालियर एयरपोर्ट। जहां हमेशा टैक्सी और बसों की सुविधा मौजूद रहती है।

रेल मार्ग : दिल्ली, मुंबई, अजमेर, जबलपुर, भोपाल, वाराणसी और बंगलौर जैसे देश के सभी बड़े शहरों से ग्वालियर तक के लिए ट्रेन सुविधा उपलब्ध है। स्टेशन के बाहर बस और टैक्सी लेकर आप अपने डेस्टिनेशन तक पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग : यहां की सड़कें काफी अच्छी और आगरा, दतिया, जयपुर, शिवपुरी, ओरछा, इंदौर जैसे शहरों से जुड़ी हुई हैं। अगर आप रोड ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो ग्वालियर एक शानदार जगह है।

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