#चिल्का : नदी की मिट्टी से बनी झील

#Chilika_Lake

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दूर तक फैला पानी का विस्तार, आर्द्र हवा के बीच खुले आसमां में परवाज भरते परिन्दे। यह चिलिका झील (Chilika Lake) है जिसे आम बोलचाल में चिल्का झील (Chilka Lake) कहा जाता है। करीब 65 किलोमीटर लम्बी और 30 किलोमीटर चौड़ी यह झील समुद्र का ही एक भाग है जिसने महानदी द्वारा लायी गयी मिट्टी के जमा हो जाने की वजह से समुद्र से अलग होकर एक छीछली झील का रूप ले लिया है।

1,100 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल वाली चिल्का भारत की सबसे बड़ी तटीय अनूप (लगून) झील और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्धखारी अनूप झील है। दिसम्बर से जून तक इसका जल खारा रहता है लेकिन वर्षा ऋतु में मीठा हो जाता है।ओड़िशा के पुरी, खोर्धा और गंजाम जिलों में फैली इस विशाल झील में 50 से अधिक अन्तर्वाह धाराओं से जल आता है जिनमें भार्गवी नदी, दया नदी, माकरा नदी, मलागुणी नदी, लूना नदी आदि शामिल हैं। वर्ष 1981 में चिल्का झील को रामसर कन्वेन्शन के तहत अन्तरराष्ट्रीय महत्त्व की पहली भारतीय आर्द्रभूमि (first indian wetland) नामित किया गया था। यह इस मह्त्व वाली पहली भारतीय झील है।

शीतकाल के दौरान चिल्का झील (Chilka Lake) भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसके साथ ही यह कई प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियों और जानवरों की अनेक संकटग्रस्त प्रजातियों का निवास स्थान है। इरावदी डाल्फिन यहां का मुख्य आकर्षण है जिन्हें अक्सर सातपाड़ा झील के पास देखा जाता है। लैगून क्षेत्र में लगभग 16 वर्ग किलोमीटर में फैले नलबाना द्वीप (फॉरेस्ट ऑफ रीड्स) को वर्ष 1987 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था। यह कई प्रवासी जानवरों और पक्षियों का अस्थायी निवास स्थान है। य़हां रिवर टर्न और गल-बिल्ड टर्न जैसे घोसला बनाकर रहने वाले पक्षियों को कॉलोनियां हैं। शीतकाल में हिमालयन बेल्ट, ईरान, मंगोलिया, कैस्पियन सागर, मध्य एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया, रूस और अरल सागर जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों से 160 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षी यहां आते है। इनमें ग्रेलाग गीज, सफेद बेलदार, समुद्री चील, स्पूनबिल्स, सारस, गोलिअथ बगुला, काले सिर वाले इबिस, राजहंस, स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, डालमेशियन पेलिकन, एशियाटिक डॉवचर्स, स्पून-बिल सैंडपाइपर आदि शामिल हैं।

मानसून के मौसम में इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा बारिश होती और जल स्तर बहुत अधिक बढ़ जाने की वजह से चिल्का झील (Chilka Lake) के कई पर्यटन स्थल पर्यटकों के लिए बंद रहते हैं। सर्दियां शुरू होते-होते प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता। झील का जल स्तर भी कम होने लगता है। इसके चलते नवम्बर से लेकर फरवरी के अंतिम सप्ताह तक का समय चिल्का झील (Chilka Lake) देखने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

ऐसे पहुंचें चिल्का झील (How to reach Chilka Lake)

वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा भुवनेश्वर का बीजू पटनायक एयरपोर्ट चिल्का झील (Chilka Lake) का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जो यहां से मात्र 113 किलोमीटर दूर है।

रेल मार्ग : पुरी रेलवे स्टेशन से चिल्का झील मात्र 38 किलोमीटर पड़ती है। इसके अलावा बालुगांव रेलवे स्टेशन सेयह मात्र पांच किमी दूर है।यह दिल्ली, लखनऊ, मुम्बई, चेन्नई, बंगलुरु आदि प्रमुख रेलवे स्टेशनों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ी हुई है।

सड़क मार्ग : चिल्का झील (Chilka Lake) राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या पांच से जुड़ी हुई है। ओडिशा के भुवनेश्वर और कटक जैसे प्रमुख शहरों से बड़ी आसानी से चिल्का झील पहुंच सकते हैं।

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