दिल्ली के दक्षिणी भाग में महरौली में स्थित कुतुब मीनार ईंट से बनी दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है। इसका प्राचीन और वास्तविक नाम विष्णु स्तंभ है जिसे कुतुबद्दीन ने नहीं बल्कि सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक खगोलशास्त्री वराहमिहिर ने बनवाया था। कुतुब मीनार पुरातन दिल्ली शहर “ढिल्लिका” के प्राचीन किले लालकोट के अवशेषों पर बनी है। “ढिल्लिका” अंतिम हिंदू राजाओं तोमर और चौहान की राजधानी थी।
इस मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर और व्यास 14.3 मीटर है जो ऊपर जाकर शिखर पर 2.75 मीटर हो जाता है। इसमें 379 सीढियां हैं। मीनार के चारों ओर बने अहाते में भारतीय कला के कई उत्कृष्ट नमूने हैं जिनमें से कई इसके पुनर्निर्माण काल सन् 1193 के हैं। लाल बलुआ पत्थर से बनाई गई इस मीनार पर कुरान की आयतों और फूल-बेलों की महीन नक्काशी की गई है। यह परिसर युनेस्को द्वारा विश्व धरोहरमें स्वीकृत किया गया है।
दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन एबक ने अफगानिस्तान की जाम मीनार से प्रेरित होकर व उससे आगे निकलने की इच्छा और इस्लाम के प्रचार-प्रसार की सनक के चलते इसका निर्माण वेदशालाओं को तोड़कर 1193 में शुरू कराया। इसका आधार ही बन पाया था कि उसकी मौत हो गई। उसके दामाद व उत्तराधिकारी इल्तुमिस ने इसकी तीन मंजिलों को बढ़ाया। सन् 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने इसकी पांचवीं मंजिल बनवाई। मीनार में कुल सात तल थे जो एक सप्ताह को दर्शाते थे लेकिन अब केवल पांच तल हैं। छठवें को गिरा कर समीप के मैदान पर फिर से खड़ा कर दिया गया था। सातवें तल पर ब्रह्मा की चार मुख वाली मूर्ति थी।