Yatra Partner Desk: जैसा की हम सब जानतें हैं कि इस बार के Haridwar Kumbh 2021 की तैयारियां कोरोना वायरस संक्रमण के साए के बीच चल रहीं हैं। इस बार यह कुंभ मेला दिव्य और भव्य ही नहीं, बल्कि पारंपरिक स्वरूप में भी होगा। वैसे तो कुंभ का विशेष योग 12वें वर्ष में पड़ता है पर इस बार यह 11वें वर्ष में ही पड़ रहा है। यही कारण है कि इस बार यह 11वें वर्ष में ही आयोजित हो रहा है।
11 मार्च को होने वाले पहले शाही स्नान को लेकर संत महात्माओं से लेकर आम श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। कुंभ हरिद्वार के अलावा प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है। समुद्र मंथन से निकले अमृत की बूंदे इन चार स्थानों पर ही गिरी थीं, इसलिए इन स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है। मनुष्य को यदि परमात्मा की प्राप्ति करनी है और अपने जीवन को भवसागर से पार लगाना है तो कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर स्वयं को पुण्य का भागी बनाएं।
कुंभ मेले के दौरान मां गंगा में स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है और व्यक्ति को सहस्त्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यह आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा पर्व है। कुंभ मेला करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। प्रत्येक कुंभ मेले की तरह आसन्न कुंभ मेला भी संत महापुरुषों के आशीर्वाद से सकुशल संपन्न होगा।
[कोठारी महंत दामोदार दास, श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन]