हरिद्वार कुंभ 2021 में जनसमूह नियंत्रण के लिए की जा रही कुशल रणनीति की रचना

यात्रा पार्टनर ब्यूरो, हरिद्वार: जैसा की हम सब जानतें हैं कि इस बार के Haridwar Kumbh 2021 की तैयारियां कोरोना वायरस संक्रमण के साए के बीच चल रहीं हैं। और अब इस आस्था के महापर्व कुंभ मेले में जनसमूह नियंत्रण के लिए एक कुशल रणनीति की रचना की जा रही है।

मकर संक्रांति स्नान पर्व के तौर पर पहली परीक्षा में पास होने के बाद मेला पुलिस अब बाकी स्नान पर्वों पर भी जनसमूह नियंत्रण की कुशल रणनीति बनाने में जुट गई है। मकर संक्रांति स्नान पर्व पर मेला पुलिस ने बाहर से आने वाले यात्री वाहनों का रूट प्लान बनाने के साथ-साथ भीड़ नियंत्रण के लिए भी कई नए कदम उठाए। खासतौर पर हरकी पैड़ी आने-जाने के लिए पुलिस ने अलग-अलग रास्ते निर्धारित किए। इससे न सिर्फ भीड़ नियंत्रण में मदद मिली, बल्कि अंदरूनी यातायात भी सुचारू रहा।

आइजी कुंभ संजय गुंज्याल ने स्नान पर्व के अगले दिन ही ब्रीफिंग में जोनल व सेक्टर अधिकारियों से मकर संक्रांति स्नान पर्व के अनुभव पूछे। ताकि अगले स्नान पर्वों पर इससे बेहतर व्यवस्था बनाई जा सके। ब्रीफिंग में आए सुझावों के आधार पर मेला पुलिस कई अलग-अलग बिंदुओं पर आगामी स्नान की तैयारियों में जुट गई है। इसमें भीड़ नियंत्रण सबसे प्रमुख है। आने वाले स्नान पर्वों और कुंभ के शाही स्नान पर मकर संक्रांति स्नान पर्व से कई गुना अधिक भीड़ रहेगी। ऐसे में शहर के अंदरूनी यातायात के लिए भी डायवर्जन प्लान बनाने की तैयारी है। स्नान पर्वों पर श्रद्धालु निर्बाध तरीके से हरकी पैड़ी व अन्य गंगा घाटों तक पहुंचें और स्नान कर सुरक्षित लौटें, इसके लिए मेला क्षेत्र के सभी मुख्य मार्गों से लेकर संकरी गलियों तक का खाका तैयार किया जा रहा है। किस गंगा घाट पर कितने श्रद्धालु एक समय में स्नान कर सकते हैं, मेला क्षेत्र में कहां-कहां खाली मैदान हैं, भीड़ बढ़ने पर कहां-कहां डायवर्जन लागू किया जाना है, इन सभी पहलुओं पर मेला पुलिस मंथन कर रही है। कुंभ मेला आइजी संजय गुंज्याल ने अधीनस्थों से इस बारे में प्रस्तावित प्लान सहित रिपोर्ट मांगी है।

संजय गुंज्याल (आइजी कुंभ मेला हरिद्वार) ने कहा “मकर संक्रांति स्नान पर्व पर अनुभव और सुझावों के आधार पर भीड़ नियंत्रण सहित अन्य बिंदुओं पर आगामी स्नान पर्वों की रूपरेखा तैयार की जा रही है। पूरा प्रयास रहेगा कि आने वाले स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों को बेहतर व्यवस्थाएं मिलें।”

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