Yatra Partner Desk: जैसा की हम सब जानतें हैं कि इस बार के Haridwar Kumbh 2021 की तैयारियां कोरोना वायरस संक्रमण के साए के बीच चल रहीं हैं। और इस बीच श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल महंत जसविंदर सिंह कहते है कि कुंभ भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है। इसस बार यह हरिद्वार में आयोजित हो रहा है। शास्त्रों की मान्यता है कि कुंभ स्नान से पापों का क्षय होता है। व्यक्ति को सहस्त्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। कुंभ मेला ईश्वरीय निमंत्रण है, जिसे स्वीकार कर करोड़ों श्रद्धालु हरिद्वार आतें हैं और अपने जीवन को सफल बनाते हैं।
पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर स्वयं को पुण्य का भागी बनाएं। प्रत्येक कुंभ मेले की तरह आसन्न कुंभ मेला भी संत महापुरुषों के आशीर्वाद से सकुशल संपन्न होगा। क्षीर सागर में शेषनाग की रस्सी से किए गए समुद्र मंथन से निकले अमृत को हुए देवताओं और असुरों में हुए संग्राम के दौरान धरती लोक पर जहां भी अमृत की बूंदें गिरी वहां पर देवताओं के आदेश से कुंभ का आयोजन आरंभ हुआ। इस कारण ही कुंभ धरती लोक के साथ साथ देव लोक में भी आस्था का महापर्व है। अमृत की बूंदें हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिरी थी। इसलिए इन चार स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है।
मनुष्य को यदि परमात्मा की प्राप्ति करनी है और अपने जीवन को भवसागर से पार लगाना है तो कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर स्वयं को पुण्य का भागी बनाएं। कोविड के साए बीच भले कुंभ हो रहा है लेकिन यह अपने परंपरागत स्वरूप में ही होगा।