हरिद्वार : कुम्भ आएं तो ज़रूर अनुभव करें इन स्थानों की आध्यात्मिक ऊर्जा

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Yatra Partner Desk: दोस्तों ! आइए आज हम आपको एक ऐसी यात्रा में ले चलते हैं जहां की सुंदरता, शांति औरआध्यात्मिक ऊर्जा से आपको परमानंद की प्राप्ति होगी। हाँ ! हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के हरिद्वार की। हरिद्वार का अर्थ है “हरि का द्वार” अर्थात भगवान का वास। जहाँ आप आकर साक्षात देवताओं के दर्शन कर पाऐंगे। हरिद्वार नाम सुनते ही मन में एक छवि उभरती है जहाँ मंदिर की घंटियों की गूँज व भगवा वस्त्रों में पुजारियों के मंत्र उच्चारण, आपको और भी अधिक गहन आध्यात्मिकता में डुबो देते हैं। हर छोटी दुकानों पर बजते “जय गंगे” के भजन रोम-रोम को पुलकित कर देते हैं।

यदि आप हरिद्वार या कुंभ की यात्रा पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको इस लेख में हरिद्वार पर्यटन की पूरी जानकरी देने जा रहें हैं। हरिद्वार में घूमने की जगह कौन-कौन सी है, वहां कैसे पहुचें और कहाँ ठहरें आदि –

01. दक्षेश्वर मंदिर

दक्षेश्वर मंदिर

भगवान शिव का यह मंदिर सती के पिता राजा दक्ष प्रजापित के नाम पर है। इस मंदिर को रानी दनकौर द्वारा 1810 ई में बनाया गया था तथा 1962 में इस मंदिर का पुनः निर्माण किया गया था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा दक्ष प्रजापति भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र थे और सती के पिता थे। सती भगवान शिव की पत्नी थी। राजा दक्ष ने इस जगह एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया जिसमें सभी देवी-देवताओं, ऋषियों और संतो को आमंत्रित किया। इस यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था। इस घटना से सती ने अपमानित महसूस किया क्योंकि सती को लगा राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया है। सती ने यज्ञ की अग्नि में कूद कर अपने प्राण त्याग दिये। इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और भगवान शिव ने अपने अर्ध-देवता वीरभद्र, भद्रकाली और शिव गणों को कनखल युद्ध के लिए भेजा। वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर काट दिया। सभी देवताओं के अनुरोध पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवन दान दिया और उस पर बकरे का सिर लगा दिया। राजा दक्ष को अपनी गलतियों को एहसास हुआ और भगवान शिव से क्षमा मांगी। तब भगवान शिव ने घोषणा कि हर साल सावन के महीनें में भगवान शिव कनखल में निवास करेगें। यज्ञ कुण्ड के स्थान पर दक्षेस्वर महादेव मंदिर बनाया गया था तथा ऐसा माना जाता है कि आज भी यज्ञ कुण्ड मंदिर में अपने स्थान पर है।

दक्षेस्वर महादेव मंदिर के पास गंगा के किनारे पर ‘दक्षा घाट‘ है जहां शिव भक्त गंगा में स्नान कर भगवान शिव के दर्शन कर आंनद को प्राप्त करते है। राजा दक्ष के यज्ञ का विवरण वायु पुराण में दिया गया है।

02. गंगा आरती

गंगा आरती

गंगा की पवित्र लहरों के घाट जिसे हर की पौड़ी के नाम से जाना जाता पर हर संध्या को आरती की जाती है जो गंगा मैया को समर्पित है। पुजारियों द्वारा हाथ में लिए बड़ें-बड़े दीयों से इस पावन स्थान की आरती की जाती है देखकर ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने स्थल को अपनी रोशनी से जगमगा दिया हो। पानी में पड़ता दीयों का प्रतिबिंब टिमटिमाते सितारों की तरह मालूम पड़ता है। महाआरती की मधुर आवाज़ पूरे घाट में गूँजती हुई सुनाई पड़ती है। इस आरती का गवाह बनने सिर्फ भारतीय पर्यटक ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी भारी मात्रा में आते हैं।

03. चंडी देवी मंदिर

 चंडी देवी मंदिर

नील पर्वत पर बसा यह मंदिर चंडी देवी को समर्पित है। ऊँचाई पर बसा यह मंदिर सिर्फ पूजा-पाठ का केंद्र नहीं है बल्कि यात्रियों के बीच ट्रैकिंग के लिए भी लोकप्रिय है। खूबसूरत प्राकृतिक नज़ारे के साथ भक्ति का मेल अद्भुत है। हरिद्वार के पाँच तीरथ स्थलों में ये भी एक है जहाँ भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने की इच्छा सँजो के लाते है। इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था व विश्वास बहुत गहरा है। पहाड़ के ऊपर मंदिर व चारों तरफ हरियाली कितनी शोभा बिखेरता नज़र आता है। यहाँ से हरिद्वार की फोटो बेहद सौंदर्य पूर्ण आएगी। यह सबसे प्रसिद्ध हरिद्वार के दर्शनीय स्थल में से है।

04. मनसा देवी मंदिर

मनसा देवी मंदिर

मनसा देवी मंदिर हरिद्वार के मुख्य टाउनशिप से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शिवालिक पहाड़ियों पर बिल्वा पर्वत के ऊपर स्थित, मनसा देवी उत्तर भारत में सबसे अधिक प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। मनसा देवी नाग वासुकी की पत्नी थीं और मंदिर को देवी मनसा का घर माना जाता है।

मनसा देवी मंदिर में आने वाले भक्तों को एक पवित्र धागे को पवित्र पेड़ से बांधना पड़ता है। यह भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए बांधा जाता है। एक बार जब इच्छा पूरी हो जाती है, तो यहां आकर भक्तों को पवित्र धागे को खोलना भी पड़ता है। चूंकि मनसा देवी का मंदिर पर्वत पर स्थित है इसलिए निचले स्टेशन से केबल कार या रोपवे द्वारा मंदिर तक पहुंचा जाता है। यह मंदिर जमीन से 178 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

05. सप्तऋषि आश्रम

सप्तऋषि आश्रम

सप्तऋषि आश्रम हर की पौड़ी से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह हरिद्वार के सबसे प्रसिद्ध आश्रमों में से एक है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जहां सात महान ऋषि या सप्त-ऋषि, कश्यप, वशिष्ठ, अत्रि, विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज और गौतम ध्यान करते थे, उसी जगह पर यह आश्रम स्थित है। माना जाता है कि इस स्थान पर गंगा नदी अपने को सात धाराओं में विभाजित कर लेती है, जिससे कि यहाँ पर प्रवाहित होने वाले सात ऋषि उसके प्रवाह से विचलित नहीं होंगे। इस कारण इस स्थान को सप्त सरोवर या सप्त ऋषि कुंड के रूप में भी जाना जाता है। घूमने के लिए यह एक सर्वोत्तम स्थान है।

06. पारद शिवलिंग

पारद शिवलिंग

पारद शिवलिंग हरिहर आश्रम, हरिद्वार में स्थित एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है। पूरे मंदिर को भगवान शिव के शिवलिंग से सजाया गया है जो कि शुद्ध पारे के 151 किलो से बना है। यह मंदिर हजारों भक्तों और तीर्थयात्रियों द्वारा प्रतिवर्ष सजाया जाता है और इसे पारदेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के अद्भुत नजारे को देखने के लिए यहां पर्यटकों की भारी भीड़ जमा होती है।

07. स्वामी विवेकानंद पार्क

स्वामी विवेकानंद पार्क

हर की पौड़ी के समीप स्थित यह मनोरंजक पार्क बेहद आनंदमयी है। हरी घासों के लंबे लॉन व फूलों की बिछी चादर अपना सौंदर्य देखते ही बनाती है। इसे त्रिकोण आकार में बनाया गया है जहाँ स्वामी विवेकानंद की भव्य मूर्ति स्थापित है और भगवान शिव की प्रतिमा भी है जो दूर से ही दिखती है। यात्री यहाँ हर की पौड़ी का सुंदर नज़ारा देखने के लिए व पिकनिक आदि मनाने के लिए भी आते हैं। आपको यहाँ सुबह व शाम को लोग टहलते हुए भी दिखेंगे।

08. हर की पौड़ी

हर की पौड़ी

हर की पौड़ी, हरिद्वार के पांच मुख्य पवित्र स्थलों में से एक है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, यह माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव और भगवान विष्णु प्रकट हुए। तब से यह स्थान पवित्र माना जाता है।

हर की पौड़ी, जिसे ब्रह्म कुंड के नाम से जाना जाता है, का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई, ब्रिथरी की याद में करवाया था। प्रत्येक बारह वर्षों के बाद, हिंदुओं का शुभ मेला, कुंभ मेला, इस स्थान पर आयोजित किया जाता है। हर की पौड़ी गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध है। हर की पौड़ी उसी स्थान पर है जहां दिव्य अमृत आकाशीय कुंभ से गिरा था। इस घाट पर स्थित दो प्रसिद्ध मंदिर गंगा मंदिर और हरिचरण मंदिर आकर्षण का केंद्र हैं।

09. पतंजलि योग पीठ

पतंजलि योग पीठ

दिल्ली – हरिद्वार राजमार्ग पर कनखल में स्थित, पतंजलि योग पीठ संभवतः दुनिया भर में सबसे बड़ा योग आश्रम है। संस्थान ऋषि रामदेव की प्रमुख परियोजना है और इस केंद्र में योग और आयुर्वेद पर शोध किया जाता है। पतंजलि योग पीठ विशाल एकड़ भूमि में फैला हुआ है और इसे दो परिसरों में विभाजित किया गया है। यहीं से निर्मित पतंजलि के उत्पाद देश के कोने कोने में भेजे जाते हैं। हरिद्वार आने के बाद पतंजलि योग पीठ जरूर देखना चाहिए।यहां से आप सेहत और योग से जड़ी विभिन्न जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं।

10. कुंभ मेला

कुंभ मेला

श्रद्धालुओं की भीड़, गंगा स्नान,ऐतिहासिकता, आध्यात्मिकता, पवित्रता इन्हीं सबका संगम है हरिद्वार का कुंभ मेला। गंगा मैया की गूँज व पावन धरती पर अपनी आस्था बिखेरते लोग यही है यहाँ का आकर्षित माहौल। हर बारह वर्ष बाद यहाँ करोड़ो लोगों का सैलाब उमड़ता है जिसने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को अपने रंगों में लीन किया हुआ है। ऐसा दृश्य जिसे आप अनदेखा नहीं कर सकते। इसी आस्था ने विदेशियों के मन में भी विश्वास जगाया हुआ है और इस पावन नदी के गवाह बनते हैं।

हरिद्वार कैसे पहुंचें

हवाई जहाज से:

हरिद्वार का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है। यह हवाई अड्डा हरिद्वार से 41 किमी की दूरी पर है। पर्यटक मुंबई या दिल्ली से देहरादून की हवाई यात्रा कर सकते हैं। इसके बाद एयरपोर्ट से टैक्सी या बस से हरिद्वार पहुंचा जा सकता है।

बस से:

दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से सड़क मार्ग द्वारा हरिद्वार बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है। इन मार्गों से राज्य परिवहन की बसें जुड़ी हैं। आपको बता दें कि दिल्ली से हरिद्वार 222 किलोमीटर दूर है और कुल पांच से छह घंटों की बस की यात्रा पूरी करने के बाद आप यहां पहुंच सकते हैं।

ट्रेन से:

हरिद्वार का अपना रेलवे स्टेशन है जो भारत के कई भागों से जुड़ा हुआ है। यह स्टेशन दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, देहरादून, वाराणसी, पुरी और कोच्चि सहित कई अन्य शहरों से जुड़ा है। आप एक्सप्रेस ट्रेनों से हरिद्वार पहुंच सकते हैं।+

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