प्रकाश नौटियाल, देहरादून : चारधाम की ऊंची पहाड़ियों पर रविवार शाम को बर्फबारी होने की वजह से ठंड में इजाफा हो गया है और शीतलहर का प्रकोप बना हुआ है। इसके बावजूद चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता जा रहा है। इस बार सबसे ज्यादा उत्साह केदारनाथ धाम यात्रा को लेकर नजर आ रहा है। यहां रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भोले बाबा के दर्शन करने वालों का आंकड़ा 1.60 लाख से अधिक पहुंच गया है। इनमें हेली सेवा से पहुंचने वालों की संख्या साढ़े 17 हजार के करीब है। 31 अक्टूबर तक के लिए सभी हेली कंपनियों के टिकट बुक हो चुके हैं।
कोरोना संक्रमण के चलते चारधाम यात्रा इस बार 18 सितंबर को शुरू हो पाई। बावजूद इसके केदारनाथ के दर्शन को रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। हालांकि, मौसम विभाग का अलर्ट जारी होने के बाद शासन ने बीते 17 अक्टूबर को यात्रा पर अस्थायी रोक लगा दी थी लेकिन तीन दिन बाद यात्रा के दोबारा शुरू होते ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने लगा। जैसे-जैसे कपाटबंदी की तिथि नजदीक आ रही है, हेली सेवा से केदारनाथ पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है।
रविवार को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून समेत आसपास के इलाकों में तेज हवा के साथ मूसलधार बारिश हुई। पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होने से ठंड बढ़ गई है। हालांकि, सोमवार सुबह से मौसम सामान्य बना हुआ है। सोनप्रयाग से केदारनाथ के लिए निरंतर यात्री भेजे जा रहे हैं।
गंगोत्री-यमुनोत्री में दर्शनार्थियों की संख्या सबसे कम
वर्तमान में केदारनाथ धाम के लिए छह हेली कंपनियां अपनी सेवाएं संचालित कर रही हैं। इनसे प्रतिदिन औसतन दो हजार श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच रहे हैं। साथ ही 31 अक्टूबर तक के लिए सभी हेली कंपनियों के टिकट बुक हो चुके हैं। धाम के कपाट भैयादूज पर्व पर छह नवंबर को शीतकाल के लिए बंद होने हैं। हेली सेवा के नोडल अधिकारी सुनील नौटियाल के अनुसार, कपाटबंदी तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों को पहुंचेंगे, ऐसी उम्मीद है।
बदरीनाथ धाम में रोजाना पांच हजार के आसपास श्रद्धालु दर्शनों को पहुंच रहे हैं। हालांकि गंगोत्री और यमुनोत्री पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बदरीनाथ से काफी कम है। बदरीनाथ धाम सहित आसपास की चोटियों पर भी रविवार दोपहर बाद बर्फबारी हुई थी। यमुनोत्री धाम सहित यमुना घाटी मे मौसम साफ बना हुआ है। यमुनोत्री हाईवे के जानकीचट्टी यमुनोत्री पैदल मार्ग पर सामान्य रूप से यात्रियों क आवाजाही बनी हुई है। रविवार को मौसम के बिगड़ने के बाद सोमवार को यात्रियो की आवाजाही थोड़ी कम रही। सुबह से दोपहर तक 200 यात्रियों ने मां यमुना के दर्शन किए। रविवार को यमुनोत्री धाम में सीजन की पहली बर्फबारी हुई थी। धाम में हल्की बर्फबारी होने की वजह से ठंड में भी इजाफा हो गया है। सुबह खिली धूप के साथ यमुनोत्री धाम, बंदरपूंछ और सप्त ऋषिकुंड की पहाड़ियां सफेद चादर से लिपटी नजर आईं।
बारिश शुरू होते ही सहमे आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोग
उत्तराखंड समेत जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में पिछले एक सप्ताह से सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ से एक बार फिर राजधानी देहरादून के अलावा उत्तरकाशी, टिहरी और चमोली जैसे जिलों में मौसम बदल गया है। मौसम विभाग की ओर से राज्य के उत्तरकाशी, देहरादून, रुद्रप्रयाग, चमोली, नैनीताल और चंपावत जिलों में हल्की वर्षा और गर्जन के साथ बौछारें पड़ने की चेतावनी जारी की गई थी। इसके देखते हुए शासन-प्रशासन पहले ही सतर्क था लेकिन बारिश शुरू होते ही लोगों के बीच डर का माहौल बन गया। खासकर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोग सहमे रहे। राहत की बात यह रही कि इस दौरान राज्य में बारिश से किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं है।
आपदा: राज्य में 224 भवन क्षतिग्रस्त, सबसे ज्यादा 35 मौतें नैनीताल में
उत्तराखंड में 17 और 18 अक्टूबर को आई भीषण आपदा में कुल 224 भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से सोमवार को इस संदर्भ में जारी रिपोर्ट के अनुसार आपदा में मरने वालों का आंकड़ा 72 पहुंच गया है। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भारी बारिश और आपदा की वजह से सबसे अधिक 93 भवन उधमसिंह नगर जिले में क्षतिग्रस्त हुए हैं।
नैनीताल जिले में 74 लोगों के मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। अल्मोडा में 40, चमोली में 15 और चम्पावत में दो मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। आपदा के दौरान सबसे अधिक 35 लोगों की मौत नैनीताल जिले में हुई हैं। घायल हुए 26 लोगों का राज्य के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।