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सैंतीस वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में प्रकृति ने मानो बर्फ की सफेद चादर फैला दी है। सन्नाटा ऐसा कि सूई गिरने की आवाज भी सुन लें। यह मिलम है, उत्तराखण्ड के कुमाऊं मण्डल का सबसे बड़ा ग्लेशियर (हिमनद)। यहां तक पहुंचने का रास्ता मुनस्यारी से शुरू होता है। यह लम्बा पर्वतीय मार्ग जंगलों, गांवों, पुलों और झरनों से गुजरता है। हिमनद के मुख के पास ही मिलम गांव स्थित है। यह इस क्षेत्र में चीन सीमा के निकट भारत का अन्तिम गांव भी है।
मिलम ग्लेशियर (Milam Glacier) नन्दा देवी से 15 किलोमीटर पूर्वोत्तर में है। यह समुद्र तल से 5,500 मीटर की ऊंचाई से शुरू होता है जबकि इसका मुख 3,870 मीटर की ऊंचाई पर है जहां से गोरी गंगा का उद्गम होता है। आगे चलकर यह काली नदी में मिल जाती है। काली नदी ही आगे चलकर महाकाली और उत्तर भारत के मैदानों में शारदा नदी के नाम से जानी जाती है। उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से में सिंचाई शारदा से निकली नहरों के पानी से होती है। यानी उत्तर प्रदेश को “कृषि प्रदेश” बनाने में मिलम ग्लेशियर (Milam Glacier) का भी बड़ा योगदान है। हालांकि स्वयं मिलम ग्लेशियर हरियाली-शून्य ही है। यहां कहीं-कहीं तुरु चूख की झाड़ियां उगती हैं जिसके फलों से स्थानीय लोग चटनी और अचार बनाते हैं। इसके रस को वे पकाकर गाढ़ा करने के बाद स्टोर कर लेते हैं जिसे चटनी आदि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ग्लेशियर के ऊंचे इलाकों में जंगली गुलाब और बिल्ल की झाड़ियां भी दिख जाती हैं।
मिलम गांव (Milam Village) के अन्तिम छोर पर ग्वन्खा गाड़ गोरी नदी में मिलती है। मिलम दरअसल ग्वन्खा और गोरी गंगा के बीच फैला विशाल पथरीला मैदान है। ग्वन्खा के किनारे-किनारे एक रास्ता दुंग होते हुए ऊंटाधुरा और किंगरी-बिन्ग्री तक जाता है।
मिलम ग्लेशियर (Milam Glacier) प्रशासनिक रूप से पिथौरागढ़ ज़िले की मुनस्यारी तहसील के अन्तर्गत आता है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के पश्चात इस हिमनद को गैर-सैनिकों के लिए बंद कर दिया गया था। 1994 में इसे फिर से खोल दिया गया। अब यह पर्वतीय हाईकिंग के लिए लोकप्रिय होता जा रहा है।
सर्दी के मौसम में इस क्षेत्र का तापमान शून्य से काफी नीचे चला जाता है और यहां लोगों का रहना नामुमकिन हो जाता है। इस कारण इस मौसम में स्थानीय लोग निचले स्थानों पर चले जाते हैं और यह पूरा इलाका जनशून्य हो जाता है।
ऐसे पहुंचें मिलम ग्लेशियर (How to reach Milam Glacier)
पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से मुनस्यारी (वाया धारचूला) करीब 128 किलोमीटर है। अल्मोड़ा शहर से यह करीब 198 किमी पड़ता है। इन दोनों स्थानों से यहां के लिए बस और टैक्सी मिलती हैं। पिथौरागढ़ की नैनी-सैनी हवाई पट्टी यहां से 127 किमी दूर है। मुनस्यारी के निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर (274.3 किमी), काठगोदाम (करीब 278 किमी) और हल्द्वानी (करीब 284 किमी) हैं।
उत्तराखण्ड के प्रमुख ग्लेशियर
मिलम ग्लेशियर – पिथौरागढ़, नामिक ग्लेशियर – पिथौरागढ़, रालम ग्लेशियर – पिथौरागढ़, हीरामणि ग्लेशियर – पिथौरागढ़, पोंटिग ग्लेशियर – पिथौरागढ़, कफनी ग्लेशियर – बागेश्वर, पिनौरा ग्लेशियर – पिथौरागढ़, मैकातोली ग्लेशियर – बागेश्वर, यमुनोत्री ग्लेशियर – उत्तरकाशी, गंगोत्री ग्लेशियर – उत्तरकाशी, पिण्डारी ग्लेशियर – बागेश्वर, बन्दरपूँछ ग्लेशियर – उत्तरकाशी, खतलिंग ग्लेशियर – टिहरी एवं रुद्रप्रयाग, सुन्दर ढूँगा ग्लेशियर – बागेश्वर, सतोपंथ ग्लेशियर – चमोली, काली ग्लेशियर – पिथौरागढ़, दूनागिरी ग्लेशियर – चमोली, चोराबाड़ी ग्लेशियर – रुद्रप्रयाग, डोरियानी ग्लेशियर – उत्तरकाशी, केदारनाथ ग्लेशियर – रुद्रप्रयाग, बदरीनाथ ग्लेशियर – चमोली।