#coorg:कुर्ग के दर्शनीय स्थल 

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@yatrapartnernetwork:समुद्र तल से लगभग 1,525 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित कुर्ग को “भारत का स्कॉटलैण्ड” भी कहा जाता है।कोडगु को स्थानीय लोग और पर्यटक इसे कुर्ग (Coorg) के नाम से ही ज्यादा जानते हैं। यहां आप प्रकृति के दिलकश नजारों को निहारने के साथ-साथ ट्रैकिंग, हाईकिंग, कैम्पिंग, वाटर राफ्टिंग जैसी गतिविधियों का भी आनन्द ले सकते हैं।

कब जायें कुर्ग (When to go to Coorg)
कुर्ग का मौसम आमतौर पर सुहावना और औसत तापमान 20 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। यानी यहां किसी भी मौसम में जाया जा सकता है। फिर भी अपने अनुभव के आधार पर हमारी सलाह है कि मानसून खत्म होने के बाद अक्टूबर से अप्रैल के बीच का समय यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा है। इस दौरान यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य अपने पूरे निखार पर होता है। इन महीनों में यहां ट्रैकिंग, हाईकिंग आदि साहसिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।

कुर्ग के दर्शनीय स्थल (Places to visit in Coorg)
अभय जलप्रपात :मडिकेरी से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित इस प्रपात को एब्बी फाल्स के नाम से भी पहचाना जाता है। ब्रिटिश भारत में इसे जेसी फॉल्स कहा जाता था। एक ब्रिटिश पादरी ने अपनी बेटी की याद में इसको यह नाम दिया था। यहां कावेरी की बेगवती जलधारा 70 फीट की ऊंचाई से नीचे चट्टानों पर गिरती है। कॉफी और मसालों के बागानों के बीच स्थित इस प्रपात को देखते ही लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। सुबह नौ से सायं पांच बजे के बीच ही यहां जाने की अनुमति है।

इरुप्पु फॉल्स :ब्रह्मगिरी पर्वत श्रृंखला पर स्थित इरुप्पी फॉल्स को लक्ष्मण तीर्थ जलप्रपात भी कहा जाता है। स्थानीय मान्यता है कि यह प्रपात रामायण काल से सम्बन्धित है। इसके जल को अत्यन्त पवित्र माना जाता है। पश्चिमी घाट की हऱी-भरी पहाड़ियों पर स्थित यह प्रपात पर्यटन स्थल होने के साथ ही तीर्थस्थान भी है। यहां के लक्ष्मण तीर्थ नदी के तट पर स्थित रामेश्वर मन्दिर की अत्यन्त मान्यता है जो भगवान शिव को समर्पित है।

हनी वैलीयह हरी-भरी घाटी अपने प्राकृतिक सौन्दर्य खासकर नीलकण्डी जलप्रापत के लिए प्रसिद्ध है। यहां नदी की धारा करीब 50 फुट नीचे चट्टानों पर गिरती है। बरसात के मौसम में इसका सौन्दर्य देखने लायक होता है, हालांकि इस दौरान यहां जाना खतरनाक हो सकता है।

मण्डलपट्टी व्यूपॉइंट :मण्डलपट्टी का अर्थ है “बादलों का बाजार”। पुष्पगिरी रिजर्व फ़ॉरेस्ट में इस स्थान से आप प्रकृति के अद्भुत नजारों का आनन्द ले सकते हैं। एक पहाड़ी का चोटी पर स्थित इस व्यूपॉइंट तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। पहला रास्ता एब्बी फॉल्स जंक्शन होता हुआ यहां तक पहुंचता है जबकि दूसरे रास्ते से वाया मक्कदुरु यहां पहुंचते हैं। अगर आप इन दोनों रास्तों पर ट्रैकिंग का आनन्द लेना चाहते हैं तोपहले रूट को जाते समय चुन सकते है और वापसी मक्कदुरु होते हुए कर सकते हैं। यहां सुबह छह से सायंकाल छह बजे तक ही जाने की अनुमति है।

नामद्रोलिंग मठ  :मडिकेरी से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित नामद्रोलिंग मठ को स्वर्ण मन्दिर भी कहा जाता है। यह मठ तिब्बती बौद्ध धर्म से सम्बन्धित विद्यालयों का सबसे बड़ा केन्द्र माना जाता है। तिब्बत के बाहर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी तिब्बती बस्ती बाइलाकुप्पे में स्थित इस मठ का भवन तीन मंजिला है। यहां पांच हजार से अधिक भिक्षुक-भिक्षुणिया और विद्यार्थी रहते हैं। यहां आप दर्शन कर सकते हैं और घूम सकते हैं पर बिना परमिट के रह नहीं सकते। मठ सुबह सात से रात के आठ बजे के बीच खुला रहता है।

पुष्पगिरी वन्यजीव अभ्यारण :सोमवारपेट तालुका में स्थित है इस अभयारण्य को दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर कहा जाता है। वन्यजीवों से प्यार करने वालों को यहां अवश्य जाना चाहिए। यहां ग्रे हॉर्नबिल, नीलगिरी फ्लाईकैचर, ग्रे-ब्रेस्टेड और लाफिंग थ्रश सहित कई लुप्तप्राय और दुर्लभ पक्षी देखने को मिलते हैं। भारतीय विशालकाय गिलहरी, ब्राउन पाम सिवेट, चित्तीदार हिरण और एशियाई हाथी यहां निर्भय होकर विचरण करते हैं। यह अभय़ारण्य सुबह छह से सायं छह बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल करने के लिए प्रस्तावित किया गया है ।

राजा की सीट :मडिकेरी में स्थित राजा की सीट उद्यान खूबसूरत फूलोंऔर कृत्रिम रूप से तैयार किए गये फव्वारे के लिए प्रसिद्ध है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त के खूबसूरत नजारे देख सकते हैं। यह कुर्ग में घूमने योग्य प्रमुख जगहों में शामिल है।

ताडियांदामोल पीक : समुद्र की सतह से 1,748 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ताडियांदामोल कुर्ग (Coorg) की सबसे ऊंची जबकि कर्नाटक की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। घने जंगलों से भरा यह पहाड़ ट्रैकिंग प्रेमियों का पसन्दीदा गन्तव्य है। हालांकि शिखर तक की दो-तिहाई दूरी जीप से भी तय कर सकते हैं।

मडिकेरी किला :यह दुर्ग 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में टीपू सुल्तान द्वारा बनवाए गये या पुनर्निर्माण किए गये कई किलों में से एक है। 1790 में डोड्डा वीरा राजेन्द्र ने इस किले पर अधिकार कर लिया। 1812-1814 के बीच लिंगा राजेन्द्र ने यहां के महल का जीर्णोद्धार कराया। ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भी इस किले में कुछ अतिरिक्त निर्माण करवाये थे। किले में उल्लेखनीय संरचनाओं में उत्तर-पूर्व प्रवेश पर हाथियों की दो प्रस्तर प्रतिमाएंऔर दक्षिण-पूर्व कोने में एक चर्च शामिल हैं। यहां के संग्रहालय में किले के निर्माण और ब्रिटिश शासन के बीच के समय की कलाकृतियों और हथियारों को प्रदर्शित किया गया है। इस किले को मर्करा किला भी कहा जाता है। कहा जाता है कि शुरुआत में यह किला केवल मिट्टी से बनाया गया था।

ओंकारेश्वर मंदिर :लिंगा राजेन्द्र द्वितीय ने सन् 1820 में इस मन्दिर का निर्माण कराया था। मन्दिर में प्रवेश करते ही तांबे की एक प्लेट नजर आती है जिस पर इसके इतिहास के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है। भगवान शिव को समर्पित इस मन्दिर को इस्लामिक और गोथिक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है।

भंगामण्डला :यह तीर्थस्थल मडिकेरी से लगभग 39 किलोमीटर की दूरी पर तालाकाउवेरी की तलहटी में स्थित है। भंगामण्डला कावेरी नदी का प्रमुख स्रोत और उद्गम स्थल है। कावेरी को “दक्षिण भारत की गंगा” के नाम से भी जाना जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि कावेरी नदी कावेरा ऋषि को भगवान ब्रह्मा के आशीर्वाद के रूप में मिली थी। इस तीर्थस्थल को त्रिवेणी के नाम से भी जाना जाता है। कनिका और सुज्योति नदियों का इसी स्थान पर कावेरी में संगम होता है।

चेत्ताली : मडकेरी-सिद्दापुर रोड पर स्थित यह छोटा-सा गांव कुर्ग के एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। यह अपने हरे-भरे आकर्षण पहाड़ों और चारों ओर फैली रहने वाली धुंध के लिए जाना जाता हैं। यहां का चेरला भगवती मन्दिर भी प्रसिद्ध है।

कोपट्टी हिल्स : यह एक अत्यन्त खूबसूरत छोटा-सा ट्रैकिंग स्थल है। यहां की शान्त नदी, हरे-भरे जंगल औरघास के मैदान आपको सम्मोहित कर लेंगे।

सोमवारपेट : कुर्ग जिले के उत्तर पूर्व में स्थित सोमवारपेट कॉफी, इलायची और कालीमिर्च के बागानों के साथ ही अदरक की खेती के लिए जाना जाता है। जहां तक खानपान की बात है, यहां की पोर्क करी, कडुबिट्टू, चिकन करी, अक्की रोटी आदि प्रसिद्ध हैं ।

होननामना केर झील : यह कुर्ग (Coorg) जिले की सबसे बड़ी झील है। होननामना देवी मन्दिर इसी के पास स्थित है। यह झील पहाड़ियों, कॉफी बागानों और मानव निर्मित गुफाओं से घिरी हुई हैं।

दुबारे ऐलीफैन्ट कैम्प :यदि आप हाथियों से प्यार करते हैं तो कावेरी नदी के तट पर स्थिति दुबारे ऐलीफैन्ट कैम्प मानो आपके लिए ही बना है। यहां हाथियों का संरक्षण-संवर्धन करने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता है। आप यहां आकर हाथियों के साथ यादगार समय बिता सकते हैं।

ऐसे पहुंचें कुर्ग (How to reach Coorg)
हवाई मार्ग: मैसूर एयरपोर्ट कुर्ग से करीब 121 किलोमीटर जबकि मंगलुरु इण्टरनेशनल एयरपोर्ट लगभग 157 किमी दूर है। इन दोनों स्थानों से कुर्ग के लिए बस और टैक्सी मिलती हैं।

रेल मार्ग : कुर्ग जिले में एक भी रेलवे स्टेशन नहीं है। मैसूर और मंगलुरु तक ट्रेन से पहुंचने के बाद सड़क मार्ग से यहां पहुंच सकते हैं। केरल का थाल्लासेरी रेलवे स्टेशन यहां से मात्र 100 किमी पड़ता है।

सड़क मार्ग : कर्नाटक के बंगलुरु, मंगलुरु, मैसूर, हासन आदि से कुर्ग के लिए निजी और सरकारी बस और टैक्सी चलती हैं। हासन यहां से करीब 107 जबकि जबकि बंगलुरु 245 किमी दूर है।

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