संजीव जिन्दल
श्रवण कुमार की कहानी तो हम सभी ने सुनी है पर मेरी खोज-यात्रा पर राहुल के रूप में मैंने श्रवण कुमार को महसूस किया। माउंट एवरेस्ट की तलहटी पर एक गांव है नामची बाजार। नामची बाजार के शेरपाओं के बिना माउंट एवरेस्ट को फतेह करना नामुमकिन-सा है पर उन शेरपाओ को उतना क्रेडिट नहीं मिलता। ऐसे ही इस जलप्रपात पर सिप्टी (SIPTI) गांव के लोगों के सहयोग के बिना पहुंचना कल्पना से परे है। और यदि आपको राहुल जैसा गाइड मिल जाए तो यात्रा और खोज का मजा कई गुना हो जाता है।
चम्पावत जिला मुख्यालय से करीब 17 किलोमीटर दूर स्थिति सिप्टी जलप्रपात (Sipti Falls) का रास्ता बहुत कठिन था। पूरे रास्ते में जोंक बहुतायत में हैं। मेरे और अमित शर्मा “मीत” के शरीर पर इतनी जोंक चिपकीं कि एक महीने बाद ही हमारा दोबारा से रक्तदान हो गया। रास्तेभर राहुल एक डंडे से हमारे पैरों और टांगों से जोंक हटाता हुआ चल रहा था। अक्सर गाइड तेज चल कर थोड़ा आगे जाकर खड़े हो जाते हैं और हमारे आने का इंतजार करते हैं पर राहुल ने हमें एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ा। पत्थरों पर या जहां ज्यादा कठिन चढ़ाई होती थी, राहुल मुझे पकड़ कर सहारा देता था। सबसे खतरनाक होता है खड़ी उतराई पर उतरना। तीव्र ढलान पर उतरते समय फिसलने का डर होता है और यदि आप तेजी से उतर रहे हैं तो बिना ब्रेक आगे भी निकल सकते हैं। ऐसे समय में राहुल मेरे लिए अंगद की तरह अपने पैर जमा लेता था और फिर कहता, “दादा, इस पैर के पीछे अपना पैर अटका लो और उतर आओ।”
प्रपात के आगे वाले तालाब में भी हमको कूदकर उतरना था और हमें गहराई का अंदाजा नहीं था। इस कारण तालाब में उतरने की हिम्मत नहीं हो रही थी। राहुल ने अपने कपड़े उतारे और तालाब में हमें पूरा घूम कर दिखाया। फिर हम दोनों एक घंटा वहां नहाते रहे। बीच में 10 मिनट के लिए बारिश आई तो राहुल हमारे मोबाइल फोन और कैमरा लेकर एक पत्थर की ओट में खड़ा हो गया।
हमारी यह खोज-यात्रा सच में राहुल के बिना नामुमकिन थी और यदि हो भी जाती तो इतनी मजेदार ना होती। राहुल को बिग-बिग सैल्यूट। हमारी यह खोज-यात्रा राहुल को समर्पित है।