श्रीमल्लिकार्जुन महादेव ज्योतिर्लिंगः दर्शन मात्र से होती है मोक्ष की प्राप्ति, जानिये महिमा

mallikarjuna temple

Yatra Partner: मित्रों! आइये ज्योतिर्लिंगों की इस पवित्र यात्रा में हम आज आपको ले चलतें हैं दक्षिण के कैलास की यात्रा पर। वैसे तो कैलास तिब्बत में है परन्तु आज हम आपको दक्षिण के कैलास के दर्शन कराने ले चलतें हैं, अर्थात भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से दूसरे ज्योतिर्लिंग श्री मल्लिकार्जुन जी के दर्शन कराने । मल्लिकार्जुन महादेव मंदिर की तो छवि ही अनूठी है। तो चलिए चलते हैं आन्ध्र प्रदेश के श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग और जानतें हैं इस ज्योतिर्लिंग के महात्म्य बारे में-

आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्री मल्लिकार्जुन महादेव विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलास भी कहते हैं। अनेक ग्रन्थों में इस स्थान की महिमा का बखान किया गया है। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। कुछ ग्रन्थों में तो यहाँ तक लिखा है कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, उसे अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है और मोक्ष प्राप्त हो जाता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का एक अन्य महत्व यह है कि यह भी 275 पादल पैत्र स्‍थलम में से है। पादल पैत्र स्‍थल वे स्‍थान होते हैं जो भगवान शिव को समर्पित होते हैं। शैव नयनसार में छंदों में इन मंदिरों का वर्णन किया गया है जिन्‍हें 6वीं और 7वीं शताब्‍दी के सबसे महत्‍वपूर्ण स्‍थानों के रूप में वर्णित किया गया है।

शक्ति पीठ के रूप में मल्लिकार्जुन

मल्लिकार्जुन 52 शक्तिपीठों में से एक है। जब भगवान शिव ने अपनी पत्‍नी सती के यज्ञ कुंड जल जाने पर उसके शव को लेकर पूरे ब्रहमांड में तांडव किया था तब उनके शरीर के अंगों को भगवान विष्‍णु ने अपने सुदर्शन से काट दिया था जो 52 स्‍थानों पर जा गिरे थे। इन्‍हीं स्‍थानों को शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सती के होंठ का ऊपरी हिस्‍सा, मल्लिकार्जुन में गिरा था। इसलिए यह स्‍थान हिंदुओं के लिए और ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है। यह 18 महाशक्ति पीठों में से एक है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की संरचना

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर परिसर 2 हेक्टेयर में है और इसमें 4 गेटवे टॉवर हैं, जिन्हें गोपुरम कहा जाता है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के अंदर कई मंदिर बने हुए हैं जिनमें मल्लिकार्जुन और भ्रामराम्बा सबसे प्रमुख मंदिर हैं। यहां सबसे उल्लेखनीय और देखने लायक विजयनगर काल के दौरान बनाया गया मुख मंडप है। मंदिर के केंद्र में कई मंडपम स्तंभ हैं और जिसमें नादिकेश्वरा की एक विशाल दर्शनीय मूर्ति है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास पर्यटन स्थल

अक्का महादेवी गुफाएं

अक्क महादेवी गुफ़ाएँ तेलंगाना में श्रीशैलम से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक दर्शनीय स्थल हैं।यह प्राचीन पर्यटन स्थल बारहमासी कृष्णा नदी के पास स्थित हैं। यह अपने प्रवेश द्वार पर बने प्राकृतिक मेहराब के लिए अधिक जानी जाती हैं।

श्री पातालगंगा 

श्रीशैलम का प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जैसे ही कृष्णा नदी पहाड़ी से मुड़ती है यह अपने साथ आध्यात्मिकता का समावेश लिए होती हैं। इस नदी में आप डुबकी लगा सकते हैं माना जाता हैं कि इसके पानी में डुबकी लगाने से त्वचा रोग दूर हो जाता हैं। यहां आने वाले पर्यटक रोपवे की सवारी का लुत्फ उठा सकते हैं। सवारी के दौरान राजसी नदी और हरे-भरे घने जंगल का नजारा देख सकते हैं।

श्रीशैलम टाइगर रिजर्व

श्रीशैलम टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 3568 एकड़ में फैला हुआ है जोकि इसे भारत के सबसे बड़े बाँध में शामिल करता हैं। श्रीशैलम बांध और नागार्जुनसागर बांध आरक्षित क्षेत्र में बने हुए हैं। यहां पाए जाने वाले जानवरों में टाइगर के अलावा आपको तेंदुआ, चीतल, इंडियन पैंगोलिन, सांभर हिरण, शेवरोट, सुस्त भालू, ढोल, ब्लैकबक, चिंकारा और चौसिंघा दिखाई दे सकते हैं। इस क्षेत्र में अन्य सरीसृप शामिल मगरमच्छ, भारतीय अजगर, किंग कोबरा और भारतीय मोर आदि शामिल हैं।

श्रीशैलम बांध

श्रीशैलम बांध शहर के आकर्षण का एक मुख्य केंद्र बना हुआ हैं और श्रीशैलम बांध भारत की सबसे बड़ी 12 पनबिजली परियोजनाओं का हिस्सा हैं। यह बाँध वर्तमान तेलंगाना का हिस्सा हैं। श्रीशैलम बांध नल्लमाला हिल्स की खूबसूरत हरियालियों के बीच कृष्णा नदी के बरामदे में बनाया गया हैं। पर्यटक को लिए यह एक शानदार पिकनिक स्पॉट के लिए जाना जाता हैं, टूरिस्ट दूर-दूर से यहां पिकनिक मानाने के लिए अपने परिवार के साथ आते हैं।

चेंचू लक्ष्मी ट्राइबल म्यूजियम

श्रीशैलम में देखने वाली जगह चेनचू लक्ष्मी संग्रहालय में आंध्र प्रदेश की जनजाति समृद्ध आजीविका और संस्कृतियों के साक्ष को समेट के रखा हुआ हैं। यहां की जनजातियों द्वारा एकत्रित किया गया शहद भी संग्रहालय में रखा जाता हैं।

श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सबसे अच्छा समय

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग घूमने और यहां के दर्शनीय स्थलों की यात्रा पर वर्ष में किसी भी समय आप जा सकते हैं, लेकिन यहां जाने का सबसे अच्छा समय नवम्बर से फरवरी के बीच का माना जाता हैं।

श्रीशैलम में खाने के लिए स्थानीय भोजन

श्रीशैलम मंदिर के शहर के रूप में जाना जाता हैं और यहां शाकाहारी भोजन ही एकमात्र विकल्प है। भोजन के लिए पर्यटकों को यहां अधिक विकल्प नही मिलेंगे। लेकिन  दक्षिण-भारतीय स्वादिष्ट व्यंजनों को चखा जा सकता है। यहां के स्ट्रीट फूड का स्वाद भी आप ले सकते हैं।

श्रीशैलम में कहां ठहरें

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग यात्रा के दौरान आप यहां रुकना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि श्रीशैलम में आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट के होटल मिल जाएंगे। होटल का चुनाव आप अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे जाये

बस द्वाराः यदि आपने सडक मार्ग के जरिए मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जाने की योजना बनाई हैं तो हम आपको बता दें कि यह स्थान सडक मार्ग के जरिए बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। आप बस या टैक्सी आदि के माध्यम से यहां तक पहुँच जाएंगे।

ट्रेन द्वाराः अगर आपने मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जाने के लिए ट्रेन का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि श्रीशैलम का अपना रेलवे स्टेशन नहीं है। श्रीशैलम का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन मरकापुर रेलवे स्टेशन है। स्टेशन से आप यहां के स्थानीय साधनों की मदद से अपने  गंतव्य तक पहुँच जाएंगे।

फ्लाइट द्वाराः मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जाने के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि श्रीशैलम के लिए उड़ानें सीधे उपलब्ध हैं लेकिन उड़ानें नियमित रूप से नहीं हैं।श्रीशैलम में अपना हवाई अड्डा नहीं है और सबसे निकटतम हवाई अड्डा बेगमपेट हवाई अड्डा है। हवाई अड्डे से आप स्थानीय साधनों की मदद से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग तक पहुँच जाएंगे।

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