सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्…
…एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ।।
Yatra Partner : मित्रों! आइये ज्योतिर्लिंगों की इस पवित्र यात्रा में हम आज आपको ले चलतें हैं गुजरात राज्य के सौराष्ट्र की यात्रा पर। सौराष्ट्र घूमने का विचार करते ही सबसे पहले हमें भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक श्री सोमनाथ जी का नाम स्मरण आता है। सोमनाथ महादेव मंदिर की छवि ही निराली है। तो चलिए सौराष्ट्र के श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और जानते हैं इस ज्योतिर्लिंग के महात्म्य बारे में-
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र में अरब सागर के किनारे सोमनाथ नामक विश्वप्रसिद्ध मंदिर में स्थापित है। पहले यह क्षेत्र प्रभासक्षेत्र के नाम से जाना जाता था। यहीं भगवान् श्रीकृष्ण ने जरा नामक व्याध के बाण को निमित्त बनाकर अपनी लीला का संवरण किया था। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि यह हर युग में यहां स्थित रहा है। इसका उल्लेख स्कंदपुराणम, श्रीमद्भागवत गीता, शिवपुराण, आदि प्राचीन ग्रंथों में भी है। वहीं ऋग्वेद में भी सोमेश्वर महादेव की महिमा का उल्लेख है। अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मित किया गया।
मंदिर की संरचना :
यह मंदिर गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप। तीन प्रमुख भागों में विभाजित है। इसका 150 फुट ऊंचा शिखर है। इसके शिखर पर स्थित कलश का भार दस टन है और इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है। इसके अबाधित समुद्री मार्ग त्रिष्टांभ के विषय में ऐसा माना जाता है कि यह समुद्री मार्ग परोक्ष रूप से दक्षिणी ध्रुव में समाप्त होता है।
पौराणिक अनुश्रुतियाँ तथा इतिहास
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार में बताये कथन के अनुसार सोम अर्थात् चन्द्र ने, दक्षप्रजापति राजा की 24 कन्याओं से विवाह किया था। उनमें से रोहिणी नामक अपनी पत्नी को अधिक प्यार व सम्मान दिया, इस अन्याय को देखकर क्रोध में आकर दक्ष ने चंद्रदेव को शाप दे दिया कि अब से हर दिन तुम्हारा तेज अर्थात चमक क्षीण होती रहेगी। फलस्वरूप हर दूसरे दिन चंद्र का तेज घटने लगा। शाप से विचलित और दु:खी सोम ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी। अंततः शिव प्रसन्न हुए और सोम के श्राप का निवारण किया। सोम के कष्ट को दूर करने वाले प्रभु शिव का नामकरण हुआ सोमनाथ।
ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आँख जानकर धोखे में तीर मारा था। तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर भी बना हुआ है।
कर दिया था पूजार्चन कर रहे 50000 लोगों का कत्ल
सर्वप्रथम यह मंदिर ईसा के पूर्व में अस्तित्व में था जिस जगह पर द्वितीय बार मंदिर का पुनर्निर्माण सातवीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने किया। आठवीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करने के लिए अपनी सेना भेजी। गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका तीसरी बार पुनर्निर्माण किया। इस मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी। अरब यात्री अल-बरुनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा जिससे प्रभावित हो महमूद ग़ज़नवी ने सन 1024 में कुछ 5000 साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया। उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया। लगभग 50000 लोग मंदिर के अंदर पूजा अर्चना कर रहे थे। प्रायः सभी का कत्ल कर दिया गया।
इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया। सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया तो इसे पाँचवीं बार गिराया गया। मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः 1706 में गिरा दिया। इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृह मन्त्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया और 01 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
1948 में प्रभासतीर्थ, प्रभास पाटण के नाम से जाना जाता था। इसी नाम से इसकी तहसील और नगर पालिका थी। यह जूनागढ़ रियासत का मुख्य नगर था। लेकिन 1948 के बाद इसकी तहसील, नगर पालिका और तहसील कचहरी का वेरावल में विलय हो गया। मंदिर का बार-बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा पर शिवलिंग यथावत रहा। लेकिन सन 1026 में महमूद गजनी ने जो शिवलिंग खंडित किया, वह यही आदि शिवलिंग था। इसके बाद प्रतिष्ठित किए गए शिवलिंग को 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया। इसके बाद कई बार मंदिर और शिवलिंग को खंडित किया गया। बताया जाता है आगरा के किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मंदिर के हैं। महमूद गजनी सन 1026 में लूटपाट के दौरान इन द्वारों को अपने साथ ले गया था।
नवीन सोमनाथ मंदिर 1962 में पूर्ण निर्मित हो गया। 1970 में जामनगर की राजमाता ने अपने पति की स्मृति में उनके नाम से श्री दिग्विजय द्वार बनवाया। इस द्वार के पास राजमार्ग है और पूर्व गृहमन्त्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है। सोमनाथ मंदिर निर्माण में पटेल का बड़ा योगदान रहा।
मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है। उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है।इस स्तम्भ को बाणस्तम्भ कहते हैं। मंदिर के पृष्ठ भाग में स्थित प्राचीन मंदिर के विषय में मान्यता है कि यह पार्वती जी का मंदिर है।
जय सोमनाथ साउंड एंड लाइट Show
लगभग एक घंटे का शो-टिकट की कीमत 25 रुपये प्रति व्यक्ति और आधा टिकट 15 रुपये है। यह शो पौराणिक कहानी और स्थानों के महत्व के बारे में बताता है। यह प्रवासी तीर्थ के बारे में बताता है जहां भगवान कृष्ण अपना नश्वर शरीर छोड़कर स्वर्ग लौट गए।
यह मंदिर मंदिर के सभी कोनों से विस्तृत सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करता है। सभी भक्तों को मुख्य परिसर में प्रवेश करने से पहले सुरक्षा जांच से गुजारा जाता है। मंदिर के अंदर मोबाइलएकैमरा और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मान्य नहीं।
दर्शन का समय- सुबह 6 बजे से शाम को 9 बजे।
आरती का समय- सुबह 7 बजेए दोपहर को 12 बजे और शाम को 7 बजे।
कैसे पंहुचे-
बस द्वाराः सोमनाथ जाने के लिए बस एक बहुत ही आसान और सुविधाजनक विकल्प है। पौराणिक महत्व होने की वजह से कई राज्य परिवहन बसें और निजी बसें हैं जो नियमित अंतराल पर चलती हैं। भारत के सभी प्रमुख शहरों के लिए इसकी नियमित बसें हैं। लग्जरी बसें,नॉन-एसी और एसी-बसें उपलब्ध हैं। जिन्हें आप अपने बजट के अनुसार चुन सकते हैं।
दीव से सोमनाथ लगभग 85 किमी दूरी पर है। जहाँ बस से करीब 2 से 2.5 घंटे में आप सोमनाथ पहुँच जाओगे। वेरावल से सोमनाथ महज 6 किमी की दूरी पर है। 15 से 20 मिनिट में आप सोमनाथ पहुँच जावोगे। अहमदाबाद से करीब 420 किमी जो करीब 8 घंटे बस के सफर के बाद आप सोमनाथ पहोंचोगे।
रेल द्वाराः सोमनाथ रेलवे स्टेशन भावनगर डिवीजन के पश्चिमी रेलवे के अंतर्गत आता है। जबलपुर जंक्शन-अहमदाबाद जंक्शन-राजकोट जंक्शन-ओखा और पोरबंदर के लिए एक दैनिक ट्रेन यहाँ से चलती है। रेलवे स्टेशन से महज 15 किमी की दूरी पर सोमनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है जहाँ पर आप टेक्सी या लोकल वाहन से आसानी से सोमनाथ मंदिर पहुँच सकते है।
ऐरोप्लेन द्वाराः ऐरोप्लेन से सोमनाथ की यात्रा को अंतिम विकल्प माना जा सकता है क्योंकि सोमनाथ के लिए नियमित उड़ानें नहीं हैं। इस जगह का अपना हवाई अड्डा नहीं है।
85 किमी दूर -दीव एयरपोर्ट (DIU), दीव, दमन और दीव
150 किमी दूर-पोरबंदर एयरपोर्ट (PBD), पोरबंदर, गुजरात
200 किमी दूर-राजकोट एयरपोर्ट (RAJ), राजकोट, गुजरात
420 किमी दूर-अहमदाबाद एयरपोर्ट,अहमदाबाद, गुजरात