Yatra Partner: आइये आज हम आपको ले चलतें हैं महाबलेश्र्वर की यात्रा पर। हम आपको आज महाबलेश्र्वर के एक ऐसे ऐतिहासिक मंदिर के बारे मे बताने जा रहें है जो बहुत ही अद्भुत ऊर्जा से घिरा है। यह मंदिर है पंचगंगा मंदिर। वैसे तो गंगा एक है पर आइये हम जानतें हैं पाँच गंगाओं के इस मंदिर के बारे में।
पाँच नदियों के संगम पर निर्मित, पंचगंगा मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और वर्ष भर भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ये ऐतिहासिक पंचगंगा मंदिर महाबलेश्र्वर में स्थित है। इस प्रसिद्ध मंदिर को राजा सिंघदेव द्वारा बनाया गया था। वह 13वीं शताब्दी में देवगिरी के यादव राजा थे। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है।
मंदिर की कहानी त्रिमूर्ति-ब्रह्मा, विष्णु और शिव पर सावित्री के शाप से निकटता से जुड़ी हुई है, जो यहां कोयना, कृष्णा और वेना नदियों के रूप में बहती हैं। मंदिर में एक सुंदर नक्काशीदार गौमुखी है, जिसमें से पाँच नदियों का पानी बहता है। यह पाँच अलग-अलग नदियों से बना है जो कि कृष्णा, वेना, सावित्री, कोयना और गायत्री हैं। पाँच नदियों के संगम की वजह से इस स्थान का नाम पंचगंगा है, जहाँ पंच का अर्थ पाँच है तथा गंगा का अर्थ है नदी। सभी नदियां गाय के मुंह से निकलती हैं जो पत्थर से बनाई गई है।
इस प्रकार इस स्थान को पंचगंगा मंदिर कहा जाता है। 16वीं और 17वीं शताब्दी में मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज तथा राजा चंदा राव मोरे द्वारा बड़े पैमाने पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था, जिस का मंदिर की वर्तमान भव्यता पर बहुत अधिक प्रभाव है।