Yatra Partner : भगवान शिव के मंदिर सम्पूर्ण विश्व में बने हुए हैं। महादेव के कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका संबंध पौराणिक समय से है। आज हम आपको दक्षिण भारत में स्थित भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे बताने जा रहे हैं जो दिल्ली में लाल ईंट से बनी 238 फीट ऊंची कुतुब मीनार से भी करीब 11 फीट ऊंचा है।
जी हाँ ! हम बात कर रहें हैं कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले की भटकल तहसील में कंडुका पहाड़ी पर स्थित श्री मुरुदेश्वर मंदिर की। यह मंदिर 249 फीट ऊंचा है। संभवत: यह मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर है। ‘मुरुदेश्वर’ भगवान शिव का एक नाम है।
यह मंगलुरु से 165 किलोमीटर दूर अरब सागर के किनारे बहुत ही सुन्दर एवं शांत स्थान पर स्थित है। मुरुदेश्वर सागरतट, कर्णाटक के सब से सुन्दर तटों में से एक है। पर्यटकों के लिए यहां आना दो-गुना लाभप्रद रहता है, जहां एक ओर इस धार्मिक स्थल के दर्शन होते हैं, वहीं दूसरी तरफ प्राकृतिक सुन्दरता का आनन्द भी मिलता है।
समुद्र तट होने की वजह से यहां का प्राकृतिक वातावरण हर किसी का मन मोह लेता है। बेहद सुंदर होने के साथ यह शिव मंदिर बहुत ही खास भी है, क्योंकि इस मंदिर के परिसर में भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। वह मूर्ति इतनी बड़ी और आकर्षक है कि उसे दुनिया की दूसरी सबसे विशाल शिव प्रतिमा कहा जाता हैं।
मंदिर में पुजने वाले प्रमुख देवता श्री मृद्या लिंग है जो कि मूल आत्मा लिंग (भगवान शंकर) का हिस्सा माने जाते हैं। आपको बता दें कि भगवान शिव की मूर्ती को बनाने में दो वर्ष का समय लग गया था। यह मंदिर तीन ओर से अरब सागर से घिरा हुआ हैं। मुरुदेश्वर मंदिर और इसके इतिहास के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को पूरा अवश्य पढ़े। इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही एक 20 मंज़िला गोपुरा है। गोपुरा के अंदर एक लिफ्ट है जो आपको 18वीं मंज़िल तक ले जाएगी वो भी सिर्फ 10 रुपये में और आप वहां से अरब सागर के शानदार नज़ारे के साथ साथ भगवान शिव की 123 फ़ीट की मूर्ति को भी देख सकते हैं। मंदिर हफ्ते के सातों दिन खुला रहता है।
पौराणिक सन्दर्भ
यहाँ भगवान शिव का आत्म लिंग स्थापित है, जिस की कथा रामायण काल से है। कथाओं के अनुसार, रामायण काल में रावण जब शिवजी से अमरता का वरदान पाने के लिए तपस्या कर रहा था, तब शिवजी ने प्रसन्न होकर रावण को एक शिवलिंग दिया, जिसे आत्मलिंग कहा जाता है। इस आत्मलिंग के संबंध में शिवजी ने रावण से कहा था कि इस आत्मलिंग को लंका ले जाकर स्थापित करना, लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि इसे जिस जगह पर रख दिया जाएगा, यह वहीं स्थापित हो जाएगा। अत: यदि तुम अमर होना चाहते हो तो इस लिंग को लंका ले जाकर ही स्थापित करना।
रावण इस आत्मलिंग को लेकर चल दिया। सभी देवता यह नहीं चाहते थे कि रावण अमर हो जाए इसलिए भगवान विष्णु ने छल करते हुए वह शिवलिंग रास्ते में ही रखवा दिया। जब रावण को विष्णु का छल समझ आया तो वह क्रोधित हो गया और इस आत्मलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया। तभी इस लिंग पर ढंका हुआ एक वस्त्र उड़कर म्रिदेश्वर में जा गिरा जिसे वर्तमान में मुरुदेश्वर के नाम से जाना जाता हैं। इसी दिव्य वस्त्र के कारण यह तीर्थ क्षेत्र माना जाने लगा है। इस की पूरी कथा शिव पुराण में मिलती है। राजा गोपुरा या राज गोपुरम विश्व में सब से ऊँचा गोपुरा माना जाता है। यह 249 फीट ऊँचा है। इसे एक स्थानीय व्यवसायी ने बनवाया था। इसके द्वार पर दोनों तरफ सजीव हाथी के बराबर ऊँची हाथी की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं।
मंदिर परिसर में बनी हैं भगवान शिव की विशाल मूर्ति
मुरुदेश्वर मंदिर में भगवान शिव की विशाल मूर्ति स्थापित हैं, जिसकी ऊंचाई लगभग 123 फीट है। यह मूर्ति भगवान शिव की दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति मानी जाती है। यहां स्थित शिव प्रतिमा का निर्माण स्थानीय श्री आर एन शेट्टी ने करवाया और लगभग 5 करोड़ रुपयों की लागत आई थी। मूर्ति को इस तरह बनवाया गया है कि सूरज की किरणे इस पर पड़ती रहें और यह चमकती रहे।
मुरुदेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना का समय
दर्शन का समय : सुबह 6:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक।
- पूजा का समय : सुबह 6:30 से सुबह 7:30 बजे तक।
- रुद्राभिषेकम : सुबह 6:00 से दोपहर 12:00 तक।
- दोपहर की पूजा का समय : दोपहर 12:15 से दोपहर 1:00 बजे तक।
- दोपहर 1 से 3 बजे तक मंदिर बंद रहता है।
- दर्शन का समय : दोपहर 3:00 से रात 8:15 बजे तक।
- रुद्राभिषेकम : दोपहर 3:00 से शाम 7:00 तक।
- शाम की पूजा का समय : शाम 7:15 से 8:15 बजे तक।
मुरुदेश्वर मंदिर के आसपास में घूमने लायक प्रमुख पर्यटन स्थल
मुरुदेश्वर मंदिर की यात्रा के दौरान आपको यहाँ कई आकर्षित और प्राकृतिक स्थान देखने को मिलेंगे जोकि आपकी यात्रा को खूबसूरत बना देंगे। मुरुदेश्वर में आकर्षित उद्यान, मंदिर, बीच (समुद्री तट) और ऐतिहासिक किले आपको अपनी ओर आकर्षित करते हुए नजर आयेंगे।
स्टेचू पार्क मुरुदेश्वर
मुरुदेश्वर के आसपास घूमने वाली प्रमुख जगहों में शामिल स्टेचू पार्क मुरुदेश्वर का प्रमुख आकर्षण हैं। स्टेचू पार्क में भगवान शिव की लगभग 15 मीटर ऊँची प्रतिमा स्थापित हैं जोकि पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। पार्क अपने खूबसूरत वातावरण, प्राकृतिक हरियाली और सुन्दर फूलो के लिए जाना जाता है। साथ ही मूर्ती पार्क मुरुदेश्वर में खूबसूरत तालाब में बतखो का झुण्ड और झरने देखने लायक होते हैं।
मुरुदेश्वर किला
मुरुदेश्वर मंदिर के आसपास देखने लायक जगहों में शामिल मुरुदेश्वर किला एक प्रमुख आकर्षण हैं। बता दें कि मुरुदेश्वर किला यहाँ के प्रसिद्ध मुरुदेश्वर मंदिर के पीछे स्थित हैं। मुरुदेश्वर किले का इतिहास विजयनगर साम्राज्य से सम्बंधित राजाओं से सम्बंधित हैं। माना जाता हैं कि टीपू सुल्तान के बाद किसी ने भी मुरुदेश्वर किला का जीर्णोद्धार नहीं कराया था।
भटकल बीच मुरुदेश्वर
मुरुदेश्वर मंदिर के आसपास घूमने वाली जगहों में भटकल बीच एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। जोकि पर्यटकों के अपनी खूबसूरत मखमली रेत पर आने और मस्ती करने के लिए आमंत्रित करता हैं। भटकल बीच अरब सागर के किनारे पर स्थित हैं और अपने आकर्षित नारियल के पेड़ों से घिरा हुआ हैं।
नेत्रानी द्वीप मुरुदेश्वर
मुरुदेश्वर पर्यटन स्थल की यात्रा के दौरान नेत्रानी द्वीप पर जाना पर्यटकों को बेहद ही रास आता हैं। नेत्रानी द्वीप को ‘कबूतर द्वीप’ के नाम से भी जाना जाता हैं जोकि कर्णाटक के मुरुदेश्वर में समुद्री तट पर स्थित है। यदि हम ऊंचाई से नेत्रानी द्वीप को देखते हैं तो यह एक दिल की भाती दिखाई देता हैं। अरब सागर के शांत जल में पर्यटक स्कूबा डाइविंग, नौका बिहार और अलग अलग तरह की मछलियों को पकड़ने और देखने का आनंद ले सकते हैं।
मुरुदेश्वर बीच
मुरुदेश्वर समुद्री तट पर्यटकों को बेहद ही रोमांचित करता हैं। मुरुदेश्वर मंदिर की यात्रा पर आने वाले पर्यटक मुरुदेश्वर बीच की ओर रुख करना कभी नही भूलते हैं। मुरुदेश्वर बीच पर आप वाटर स्पोर्ट का हिस्सा बन सकते हैं और यह बीच पर्यटकों के लिए एक शानदार पिकनिक डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाता हैं। मुरुदेश्वर मंदिर के निकट नाव पर सवारी करना पर्यटकों के बीच लौकप्रिय हैं। बता दें कि मुरुदेश्वर बीच के आकर्षण में शामिल आकर्षित पहाड़ियां, हरे-भरे पेड़, नारियल के सुन्दर पेड़, उड़ने वाले सीगल, किंगफिशर पक्षियाँ आदि शामिल हैं।
मुरुदेश्वर में क्या खरीदारी करे
मुरुदेश्वर मंदिर और इसके पर्यटक स्थलों की यात्रा के दौरान आप मुरुदेश्वर में खरीदारी का आनंद भी ले सकते हैं। मुरुदेश्वर में आपको खरीदारी करने के कई विकल्प मिलेंगे यहाँ आप स्मृति चिन्ह, मूर्तियाँ, हस्तशिल्प वस्तुए और इसके अलावा पेन से लेकर ज्वेलरी बॉक्स तक आप मुरुदेश्वर बाजार में खरीद सकते हैं। खूबसूरत कपडे भी मुरुदेश्वर में आप खरीद सकते हैं।
मुरुदेश्वर मंदिर : दर्शन करने का सबसे अच्छा समय
मुरुदेश्वर मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई के बीच का माना जाता हैं। मुरुदेश्वर मंदिर में शिवरात्री का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता हैं जोकि फरवरी-मार्च के दौरान आता है। शिवरात्री के अवसर पर भक्त भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए भारी संख्या में आते हैं। मुरुदेश्वर मंदिर घूमने और भगवान शिव के दर्शन करने के लिए 2-3 घंटे पर्याप्त होते हैं।
मुरुदेश्वर मंदिर के आसपास कहां रुकें
मुरुदेश्वर मंदिर और इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप यहाँ किसी अच्छे निवास स्थान की तलाश कर रहे हैं। तो हम आपको बता दें कि मुरुदेश्वर में आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक होटल मिल जाएंगे। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार होटल का चुनाव कर सकते हैं।
- श्री विनायक रेजीडेंसी
- पंचवज्रा होमस्टे
- आरएनएस गेस्ट हाउस
- होटल कोला पैराडाइज़
- सेंट्रल लॉज
मुरुदेश्वर का प्रसिद्ध स्थानीय भोजन
मुरुदेश्वर अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों और आकर्षित वातावरण के लिए तो प्रसिद्ध है ही लेकिन यहाँ का भोजन भी बहुत स्वादिष्ट होता हैं। मुरुदेश्वर के लजीज भोजन का स्वाद आपको उंगलिया चाटने पर मजबूर कर देगा। मुरुदेश्वर में दक्षिण-भारतीय, उत्तर-भारतीय और चीनी व्यंजनों को आप चख सकते हैं। इसके अलावा आप मुरुदेश्वर के स्थानीय व्यंजनों में डोसा, बिसी बेले बाथ, अक्की रोटी, जलादा रोटी, इडली, वड़ा, सांभर, केसरी बाथ, रग्गी मुडडे, उप्पितु, वंगी बाथ और पारंपरिक मिठाईयों में शामिल मैसूर पाक, ओब्बट्टू, धारवाड़ पेड़ा और चिरौटी आदि शामिल हैं।
मुरुदेश्वर कैसे पहुंचे
मुरुदेश्वर घूमने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
फ्लाइट से मुरुदेश्वर कैसे जाएं
मुरुदेश्वर मंदिर जाने के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं। तो बता दें कि मुरुदेश्वर मंदिर हवाई मार्ग के माध्यम से संपर्क में नहीं हैं। लेकिन मुरुदेश्वर का सबसे निकटतम हवाई अड्डा मंगलोर हैं, जोकि लगभग 159 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। मंगलोर हवाई अड्डे से आप यहाँ के स्थानीय साधनों की मदद से मुरुदेश्वर मंदिर आसानी से पहुँच जाएंगे।
ट्रेन से मुरुदेश्वर मंदिर कैसे जाएं
मुरुदेश्वर मंदिर की यात्रा के लिए यदि आपने रेल मार्ग का चुनाव किया हैं। तो हम आपको बता दें कि मुरुदेश्वर जंक्शन यहाँ का प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। जोकि देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। बता दें कि मुरुदेश्वर रेल्वे स्टेशन से मुरुदेस्वर मंदिर लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
बस से मुरुदेश्वर कैसे जाएं
मुरुदेश्वर मंदिर जाने के लिए यदि आपने सड़क मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दें कि मुरुदेश्वर मंदिर सड़क मार्ग के माध्यम से अपने आसपास के सभी शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। आप बस, टैक्सी या अपने निजी साधनों की मदद से आसानी से मुरुदेस्वर मंदिर पहुँच जाएंगे।
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