श्रीकालाहस्ती मन्दिर:एक महत्वपूर्ण शैव क्षेत्र,यहाँ होती राहुकाल और कालसर्प की पूजा

Srikalahasti Temple, Shaivite place, श्रीकालाहस्ती मन्दिर,शैव क्षेत्र,#yatrapartner,#yatra,


स्वर्णमुखी नदी के तट पर स्थित श्रीकालाहस्ती मन्दिर दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण शैव क्षेत्र है। तिरुपति शहर से करीब 35 कि.मी. दूर श्रीकालहस्ती गाँव में स्थित यह मन्दिर दक्षिण भारत में भगवान् शिव के तीर्थस्थलों में स्थित है।

श्रीकालाहस्ती का नाम तीन जानवरों से लिया गया है- श्री (मकड़ी), काला (सांप) और हस्ती (हाथी) जो शिवजी की पूजा करते थे और यहां शरण पाते थे।श्रीकालाहस्ती मन्दिर के इतिहास के अनुसार एक स्पाइडर (मकड़ी), साँप और हाथी ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए शहर में भगवान् शिव की पूजा की थी। पाँचवीं शताब्दी में पल्लव काल के दौरान श्रीकालहस्ती मन्दिर का निर्माण किया गया था। 16वीं शताब्दी के दौरान चोल साम्राज्य के शासनकाल और विजयनगर राजवंश के दौरान श्रीकालाहस्ती मन्दिर में कुछ नई संरचनाओं का निर्माण किया गया।

इसे ‘दक्षिण का कैलास’ या ‘दक्षिण काशी’ नाम से भी जाना जाता हैं। यहाँ भगवान् कालहस्तीश्वर के साथ देवी ज्ञानप्रसून अम्बा भी स्थापित हैं। इस मन्दिर में तीन विशाल गोपुरम दक्षिण भारत के मन्दिर के मुख्यद्वार पर स्थित हैं, जो स्थापत्य कला की दृष्टि से अनुपम हैं। यही नहीं मन्दिर में सौ स्तम्भों वाला मण्डप भी है, जो अपने आप में अनोखा है। यहाँ विशेष रूप से राहुकाल और कालसर्प की भी पूजा होती है। यहाँ पर विशेष रूप से नाग प्रतिष्ठा पूजा होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *