#अगुम्बे : दक्षिण #भारत का #चेरापूंजी

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आर पी सिंह

खूबसूरत समुद्र तटों और मन्दिरों के शहर मंगलौर (मंगलूरु) के बाद हमारा अगला गन्तव्य था शिवमोग्गा जिले का अगुम्बे (Agumbe)। मंगलौर जंक्शन से अपराह्न 12:45 पर रवाना हुई मत्स्यगन्धा एक्सप्रेस ने हमें करीब डेढ़ घण्टे में उडुपी पहुंचा दिया जहां से कर्नाटक परिवहन की बस में बैठ कर हम पौने दो घण्टे में अगुम्बे पहुंच गये। अब तक सूरज पश्चिम की और काफी बढ़ चुका था और हम यहां के विश्व प्रसिद्ध सूर्यास्त को देखने का अवसर चूकना नहीं चाहते थे। लिहाजा पहले से ही बुक किए गये होटल में अपना सामान रखने के बाद बाहर एक उडुपी रेस्टोरेन्ट में हल्का नाश्ता कर अगुम्बे सनसेट पॉइन्ट के लिए रवाना हो गये जो वहां से महज एक किलोमीटर दूर था।

समुद्र की सतह से 823 मीटर की ऊंचाई पर एक पहाड़ी दर्रे पर स्थित अगुम्बे (Agumbe) कर्नाटक के मैदानी इलाकों को तटीय क्षेत्र से जोड़ता है। यहां  हरे-भरे जंगल, बलखाती नदियां और कई जलप्रपात हैं। यहां औसतन 8,000 मिमी वर्षा होती है और इसलिए इसे “दक्षिण भारत का चेरापूंजी” भी कहा जाता है। आरके नारायण के उपन्यास पर आधारित लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक मालगुडी डेज के ज्यादातर दृश्य अगुम्बे व इसके आसपास फिल्माए गये थे।

अगुम्बे (Agumbe) के आस-पास कई बेहतरीन वर्षावन और वन्यजीव अभयारण्य हैं। यह अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में किंग कोबरा पाए जाते हैं। इस कारण इसे “कोबरा की राजधानी” भी कहा जाता है। इस स्थान पर कुछ प्राचीन मन्दिर हैं जो अपनी वास्तुकला और इसके पीछे की कहानियों के कारण देखने योग्य स्थानों में गिने जाते हैं। पर्यटकों को गोपाल कृष्ण मन्दिर और करीब 28 किलोमीटर दूर स्थित श्री श्रृंगेरी शारदा पीठम अवश्य जाना चाहिए।

साहसिक गतिविधियों में रुचि रखने वालों के लिए अगुम्बे (Agumbe) एक आदर्श जगह है। यहां कई ट्रैक हैं। इसके अलावा हाईकिंग और रॉक क्लाइम्बिंग भी कर सकते हैं। मानसून के दौरान सीता नदी जब अपने चरम पर बहती है तो इसमें राफ्टिंग होती है। दूरी और समय के आधार पर अलग-अलग राफ्टिंग पैकेज उपलब्ध हैं।

अगुम्बे व आसपास के दर्शनीय स्थान (Sightseeing places in and around Agumbe)

सूर्यास्त पॉइन्ट :

यह सूर्यास्त पॉइन्ट अगुम्बे के केन्द्र से 10 मिनट की पैदल दूरी पर है। इसकी गिनती दुनिया के सबसे अच्छे सूर्यास्त पॉइन्ट में होती है। पश्चिमी घाट की उच्चतम चोटियों में से एक पर बसा यह स्थान अरब सागर में सूर्यास्त के अद्भत दृश्यों को देखने का मौका देता है। यहां सागर में घुलता ढलते सूर्य का रंग अद्भुत दृश्यों की सर्जना करता है।

जोगिगुण्डी जलप्रपात :

यह भारत के उन छोटे जलप्रपातों में है जिनमें सालभर पानी रहता है। ज्यादातर छोटे जलप्रपातों की सैर मानसून के दिनों में की जाती है पर आप यहां किसी भी समय आ सकते हैं। यहां पूरे साल बारिश होती है, इस कारण प्रपात में हर समय पानी रहता है। इस जलप्रपात की एक विशेषता यह भी है कि इसका पानी एक गुफा से निकलता है इसलिए इसे गुफा झरना भी कहा जाता है। यहां पानी बड़े ही आराम से नीचे गिरता है और चट्टानों के बीच एक तालाब बनाता है। कई पर्यटक इस तालाब में स्नान करते हैं। प्रपात के आसपास का नजारा बेहद खूबसूरत है।

कूडलू थेरथा जलप्रपात :

यह कर्नाटक के सबसे सुन्दर जलप्रपातों में से एक है। इसका पानी जिस स्थान पर गिरता है, वहां एक तालाब बन गया है। स्थानीय लोग इस तालाब को पवित्र मानते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनि इस स्थान पर स्नान, ध्यान और तप किया करते थे। इस प्रपात के जल का स्रोत सीता नदी होने के कारण इसे सीत जलप्रपात भी कहा जाता है।

ओनके अब्बी जलप्रपात :

अगुम्बे सनसेट पॉइन्ट (Agumbe Sunset Point) से यहां तक पहुंचने के लिए करीब चार किलोमीटर ट्रैकिंग करनी होती है। यह एक सुन्दर और शानदार जगह है जहां आप अपने दोस्तों के साथ एक एडवेन्चर ट्रिप का कार्यक्रम बना सकते हैं।

अगुम्बे रेनफॉरेस्ट रिसर्च स्टेशन :

विश्व प्रसिद्ध सरीसृप विज्ञानी रोमुलस व्हिटेकर ने लुप्तप्राय किंग कोबरा प्रजाति के नागों का अध्ययन करने के लिए अगुम्बे रेनफॉरेस्ट रिसर्च स्टेशन (एआरआरएस) नामक इस उष्णकटिबन्धीय अनुसन्धान स्टेशन की स्थापना की थी। वर्षावनों के अन्दर स्थित इस रिसर्च स्टेशन को भारत के सबसे अच्छे शोध संस्थानों में गिना जाता है। समुद्र तल से 560 मीटर की ऊंचाई पर मालनाद-कोडागु क्षेत्र में स्थित यह रिसर्च स्टेशन शरवती, मुकाम्बिका, सोमेश्वर और भाद्र वन्यजीव अभ्यारण्यों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है जो इसके आसपास ही हैं। यहां के वर्षावन असंख्य जीव-जन्तुओं को सुरक्षित आश्रय देने का काम करते हैं। ये वर्षावन किंग कोबरा के लिए भी प्रसिद्ध है। पिछले कुछ सालों में इस रिसर्च स्टेशन ने 100 से ज्यादा किंग कोबरा को बचाया है। तीन वर्ग किलोमीटर में फैले इस संस्थान में पारिस्थितिकी को संरक्षित करने की विभिन्न परियोजनाओं पर काम चलता रहता है।

कुन्दाद्री पहाड़ियां :

ट्रैकिंग के लिए इन्हें अगुम्बे की सबसे अच्छी पहाड़ियों में से एक माना जाता है। यहां एक पहाड़ी के शीर्ष पर जैन मन्दिर और दो तालाब हैं जिनका निर्माण 17वीं शताब्दी में किया गया था।

गोपालकृष्ण मन्दिर :

14वीं शताब्दी में निर्मित यह मन्दिर अपनी वास्तुकला और सुन्दर मूर्तियों से पर्यटकों को आकर्षित करता है। भगवान कृष्ण को समर्पित इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए 108 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

सोमेश्वर वन्यजीव अभयारण्य :

अगुम्बे से लगभग 20 कलोमीटर दूर स्थित यह अभयारण्य बाघ, तेंदुआ, सियार, ढोले (जंगली कुत्ता), किंग कोबरा, विशाल उड़ने वाली गिलहरी, माउस हिरण समेत कई वन्यजीव प्रजातियों का घर है।

कब जायें अगुम्बे (when to go to agumbe)

मानसून काल (जुलाई से सितम्बर) के अलावा आप कभी भी अगुम्बे (Agumbe) जा सकते हैं, हालांकि अक्टूबर से फरवरी का समय सबसे अच्छा माना जाता है। सर्दियों में यहां का तापमान लगभग 18 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और मौसम हल्का सर्द और सुखद रहता है

कैसे जायें अगुम्बे (How to reach Agumbe)

वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा मंगलौर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट यहां से करीब 96 किलोमीटर दूर है। बंगलुरु का कैम्पागौड़ा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट यहां से लगभग से 366 किमी पड़ता है। भारत के सभी प्रमुख शहरों से इन हवाईअड्डों के लिए उड़ानें हैं।

रेल मार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन उडुपी जंक्शन अगुम्बे (Agumbe) से करीब 54 किलोमीटर दूर है। उडुपी से अगुम्बे के लिए सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध है।

सड़क मार्ग : बंगलुरु, मंगलौर, शिमोगा, मैसूर, हासन, कन्नूर, चिकमंगलूर, उडुपी आदि से अगुम्बे के लिए के एसआरटीसी की बसें चलती हैं।

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