डॉ. अपर्णा माथुर, (YatraPartner). आइजोलको लेकर हमारी कल्पना नैनीताल, शिमला, मसूरी और रानीखेत जैसी थी। लेंगपुई एयरपोर्ट से बाहर आते ही समझ में आ गया कि भले ही यह एक पर्वतीय स्थल है पर कई मामलों में उत्तर भारत के पर्वतीय पर्यटन स्थलों से बिल्कुल अलग। अगले कुछ दिनों में हमारी इस धारण की पुष्टि हुई। मिजोरम की राजधानी होने के बावजूद अइजोल एक छोटा-सा शहर है। सड़कों पर न तो लोगों की भीड़भाड़ और न ही ट्रैफिक जाम। कहीं कोई जल्दबाजी या आपाधापी नहीं। स्थानीय लोग यातायात के नियमों का पूरी तरह पालन करते हैं, ट्रैफिक पुलिस के डंडे की जरूरत नहीं पड़ती। इस कारण हादसे कम होते हैं और शहर की हवा भी साफ है।
नैनीताल, शिमला में जहां पर्यटन सीजन में पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ता है, वहीं अइजोल समेत पूरे मिजोरम में गिन-चुने पर्यटक ही पहुंचते हैं। इस कारण पर्यटक सुकून के साथ छुट्टियों का आनन्द ले सकते हैं। उत्तर भारत के पर्वतीय पर्यटन स्थलों में होटल और लॉज का किराया पर्यटन सीजन और पर्यटकों की आमद के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है। इसके विपरीत अइजोल में निर्धारित किराया ही लिया जाता है।
समुद्र तल से 1132 मीटर ऊपर स्थित अइजोल खूबसूरत पहाड़ियों और घाटियों से घिरा हुआ है। शहर के उत्तर में दुर्तलांग की राजसी चोटियां हैं। यहां की सुन्दर घाटियों के कारण इसे “लैंड ऑफ हाइलैंडर्स” भी कहा जाता है। छोटा शहर होने के बावजूद आप यहां मिजोरम समेत पूर्वोत्तर की विभिन्न जनजातीय संस्कृतियों, परम्पराओं और प्रथाओं को करीब से देख सकते हैं।
अइजोल के प्रमुख स्थान
बारा बाजार : यह अइजोल का मुख्य और सबसे लोकप्रिय शॉपिंग सेंटर है। हालांकि यहां के इस सबसे बड़े बाजार की सड़कें लखनऊ के हजरतगंज या दिल्ली के करोलबाग बाजार की तरह चौड़ी और भव्य नहीं हैं पर पतली सड़कों के दोनों तरफ दुकानों और स्टॉलों का भी अपना अलग आकर्षण है। यहां आप पारम्परिक मिजो कपड़े, हस्तशिल्प का सामान आदि खऱीदने के साथ ही मिजो पकवानों का स्वाद भी ले सकते हैं।
रुंग्डिल झील : यह शानदार जुड़वां झील अइजोल के सुंगपुइलोन गांव से 14 किलोमीटर दूर है। ये दोनों झीलें भूमि की एक संकीर्ण पट्टी से अलग होती हैं। हालांकि, यह माना जाता है कि दोनों के बीच भूमिगत सम्बन्ध है। 215 हेक्टेयर में फैली यह झील उष्णकटिबन्धीय सदाबहार और पर्णपाती जंगलों से घिरी हुई है। यहां भालू, हिरण, बाघ, जंगली सूअर आदि जानवर देख सकते हैं। यह पिकनिक के साथ-साथ बाहरी कैंपरों के लिए एक उत्कृष्ट गंतव्य है।
सोलोमन मन्दिर : सफेद संगमरमर का बना यह मन्दिर अइजोल की पश्चिमी सीमा पर स्थित है। हरियाली के बीच 3,025 वर्गमीटर में फैले इस मन्दिर में चार मीनारें हैं जिनमें से प्रत्येक पर एक मुकुट है। किनारों पर चार खम्भों को डेविड के सात सितारों के साथ सजाया गया है। ये चार मीनारें मानव जाति के लिए चार सद्गुणों को दर्शाती हैं- उद्धार, धार्मिकता, जीवन और अधिपति।
रिक : अइजोल के पश्चिम में लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित रिक एक छोट-सा लेकिन अत्यंत सुन्दर गांव है। यह मिज़ोरम का एक बहुत लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। गांव के पूर्वी दिशा में शानदार चट्टानें हैं जिनमें गुफा भी हैं और प्राकृतिक जंगल भी। मिजोरम के पर्यटन विभाग द्वारा विकसित किये गये इस गांव में विभिन्न मिज़ो जनजातियों की विशिष्ट पारम्परिक झोपड़ियां बनायी गयी हैं। यहां का वार्षिक एन्थ्यूरियम उत्सव बहुत प्रसिद्ध है।
मिजोरम राज्य संग्रहालय : मैकडोनाल्ड हिल पर मुख्यमंत्री आवास के पास स्थितइस नृवंशविज्ञान संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1977 में की गयी थी। यहां 2,500 से अधिक वस्तुओं का अनमोल संग्रह है। मिज़ोरम की समृद्ध जनजातीय संस्कृति को जानने-समझने के लिए इस संग्रहालय को अवश्य देखना चाहिए। यह संग्रहालय पर्यटकों, विशेष रूप से इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। यह सोमवार से शुक्रवार सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। शनिवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक ही इसे देखा जा सकता है। रविवार को यह बन्द रहता है।
मिजोरम का खानपान
चावल मिजोरम का मुख्य भोजन है जिसे सूअर के मांस, गोमांस, मछली, चिकन आदि से तैयार लजीज तरी के साथ खाया जाता है। बाई मिजोरम की सिग्नेचर डिश है। यह विभिन्न प्रकार की सब्जियों से तैयार किया गया स्टू है। वावक्सा एक पारम्परिक और सबसे प्रसिद्ध स्मोक्ड पोर्क डिश है। इसे सूअर के मांस और स्थानीय जड़ी-बूटियों से तैयार किया जाता है। छम हान एक मिश्रित सब्जी है जिसे बिना किसी मसाले के पकाया जाता है और नरम होने तक उबाला जाता है। अतिरिक्त स्वाद के लिए इसमें अदरक डाला जाता है। आइजल में आप बम्बू शूट फ्राई, पंच फोरान तड़का, कोत पिठा, मीसा मच पूरा आदि का स्वाद भी ले सकते हैं। मिजो लोग करीब-करीब हर व्यंजन में मांसाहारी सामग्री पसंद करते हैं। ऐसे में शाकाहारी लोग पूछताछ करने के बाद ही कुछ खायें।
इनर लाइन परमिट
मिज़ोरम में प्रवेश के लिए घरेलू पर्यटकों को इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की आवश्यकता पड़ती है। आईएलपी को नयी दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, गुवाहाटी, शिलांग और सिलचर में स्थित मिजोरम सरकार के कार्यालयों से प्राप्त किया जा सकता है। अइजोल के पास स्थित लेंगपुई विमानक्षेत्र में भी आईएलपी बनवाने की सुविधा है। मिजोरम आने वाले विदेशी नागरिकों को आगमन से 24 घण्टे के अन्दर सम्बन्धित पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में पंजीकरण करवाना पड़ता है। हालांकि चीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के नागरिकों के लिए मिजोरम में प्रवेश से पहले भारत के गृह मंत्रालय से अनुमति लेना अनिवार्य है।
कहां ठहरें
मिजोरम की राजधानी और पर्यटन स्थल होने की वजह से अइजोल में कई अच्छे होटल और लॉज हैं। इनमें ग्रांड होटल, जैनी गेस्ट हाउस, होटल एरिना, होटल शेफ, होटल रीजेंसिया, होटल फ्लोरिया, अइजोल गेस्ट हाउस, डेविड्स होटल क्लोवर आदि शामिल हैं।
ऐसे पहुंचें आइजोल
हवाई मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा लेंगपुई एयरपोर्ट अइजोल से करीब 32 किलोमीटर दूर है। कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस इण्टरनेशनल एयरपोर्ट, गुवाहाटी के लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई इण्टरनेशनल एयरपोर्ट, शिलांग एयरपोर्ट और इम्फाल एयरपोर्ट से लेंगपुई के लिए नियमित उड़ानें हैं।
रेलमार्ग : कोलासिब जिले में स्थित बइरबी अइजोल का निकटतम रेलवे स्टेशन है जो करीब 130 किमी पड़ता है। यहां से अइजोल के लिए बस, टैक्सी और कैब मिलती हैं।
सड़क मार्ग : अइजोल असम के सिलचर से राष्ट्रीय राजमार्ग 54, त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से राष्ट्रीय राजमार्ग 40 और मणिपुर की राजधानी इम्फाल से राष्ट्रीय राजमार्ग 150 द्वारा जुड़ा है। इन तीनों स्थानों से सरकारी और निजी बस सेवा होने के साथ ही टैक्सी और कैब भी मिलती हैं।