@YatraPartner. समुद्र तल से लगभग 1,525 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित कुर्ग को “भारत का स्कॉटलैण्ड” भी कहा जाता है। यहां आप प्रकृति के दिलकश नजारों को निहारने के साथ-साथ ट्रैकिंग, हाईकिंग, कैम्पिंग, वाटर राफ्टिंग जैसी गतिविधियों का भी आनन्द ले सकते हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कुर्ग (Coorg) शब्द की उत्पत्ति कोडगु से हुई है जिसका अर्थ है “माता का आना” और यह नाम कावेरी माता को समर्पित है। इस जिले का आधिकारिक नाम भले ही कोडगु हो पर स्थानीय लोग और पर्यटक इसे कुर्ग (Coorg) के नाम से ही ज्यादा जानते हैं। कुर्ग में आज भी शहरीकरण का प्रभाव बहुत कम है। यहां तक कि इसका मुख्यालय मडिकेरी भी एक छोटा-सा शहर है जिसे आठवीं शताब्दी में बसाया गया था और यहां पर सबसे पहले गंगा वंश के नरेशों ने शासन किया। यह शहर चोल, चालुक्य और पाण्डव शासकों की राजधानी भी रह चुका है। बाद के दिनों में 1947 तक यहां अंग्रेजों का शासन रहा। स्वतंत्रता के बाद कुर्ग (Coorg) एक राज्य बन गया। राज्यों का पुनर्गठन होने पर इसको कर्नाटक में शामिल किया गया।
कब जायें कुर्ग (When to go to Coorg)
कुर्ग का मौसम आमतौर पर सुहावना और औसत तापमान 20 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। यानी यहां किसी भी मौसम में जाया जा सकता है। फिर भी अपने अनुभव के आधार पर हमारी सलाह है कि मानसून खत्म होने के बाद अक्टूबर से अप्रैल के बीच का समय यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा है। इस दौरान यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य अपने पूरे निखार पर होता है। इन महीनों में यहां ट्रैकिंग, हाईकिंग आदि साहसिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।
ऐसे पहुंचें कुर्ग (How to reach Coorg)
हवाई मार्ग: मैसूर एयरपोर्ट कुर्ग से करीब 121 किलोमीटर जबकि मंगलुरु इण्टरनेशनल एयरपोर्ट लगभग 157 किमी दूर है। इन दोनों स्थानों से कुर्ग के लिए बस और टैक्सी मिलती हैं।
रेल मार्ग : कुर्ग जिले में एक भी रेलवे स्टेशन नहीं है। मैसूर और मंगलुरु तक ट्रेन से पहुंचने के बाद सड़क मार्ग से यहां पहुंच सकते हैं। केरल का थाल्लासेरी रेलवे स्टेशन यहां से मात्र 100 किमी पड़ता है।
सड़क मार्ग : कर्नाटक के बंगलुरु, मंगलुरु, मैसूर, हासन आदि से कुर्ग के लिए निजी और सरकारी बस और टैक्सी चलती हैं। हासन यहां से करीब 107 जबकि जबकि बंगलुरु 245 किमी दूर है।