पंकज गंगवार
कुमाऊं के बनबसा के रास्ते नेपाल के महेन्द्रनगर और धनगढी तो कई बार जाना हुआ है पर काठमाण्डू जाने का संयोग कभी नहीं बन पाया। नेपाल में रेल नेटवर्क बहुत कम है और पश्चिमी हिस्से में तो फिलहाल है ही नहीं। महेन्द्रनगर (Mahendranagar) से काठमाण्डू करीब 711 और धनगढ़ी से लगभग 671 किलोमीटर दूर है। ऐसे में सड़क मार्ग से काठमाण्डू जाने के बजाय लखनऊ से काठमाण्डू के लिए वायु मार्ग से जाना ही उचित लगा। (Let’s visit Nepal)
हमारा विमान नेपाल के तराई क्षेत्र से आगे बढ़ा ही था कि खिड़की से नजर आ रहे प्राकृतिक सौन्दर्य ने जता दिया कि आखिर क्यों नेपाल दुनिया के सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टीनेशन में शामिल है। हरेभरे जंगल, कलकल बहती नदियां, जलप्रपात, बर्फ से ढके पहाड़, सर्पाकार सड़कें और मठ-मन्दिर हमारे स्वागत को तैयार थे।
त्रिभुवन इण्टरनेशनल एयरपोर्ट से काठमाण्डू (kathmandu) के करीब पांच किमी के सफर में ही साफ हो गया कि हमारी यह यात्रा यादगार होने वाली है। नेपाल में भले ही दिल्ली, मुम्बई जैसा कोई महानगर नहीं है पर वह सबकुछ है जिसकी देखने और घूमने की चाहत हर पर्यटक में होती है। हिमालय की गोद में बसे इस देश में अनुपम प्राकृतिक सुन्दरता है तो ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं। यहां के ज्यादातर स्थानों से दुनिया के कुछ सबसे ऊंचे पर्वत शिखरों को उनकी विराटता के साथ देखा जा सकता है।
पशुपितनाथ मन्दिर और बुद्धनाथ स्तूप समेत नेपाल के कई धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल हैं। इसके अलावा सागरमाथा नेशनल पार्क और चितवन नेशनल पार्क को उनकी समृद्ध जैव विविधता की वजह से यूनेस्को की प्राकृतिक विरासत स्थलों की सूची में स्थान मिला है।
काठमाण्डू और इसके आस-पास ही इतने धार्मिक और प्राकृतिक स्थल हैं जिन्हें देखने के लिए एक सप्ताह भी कम है। पशुपतिनाथ मन्दिर स्वयंभूनाथ मन्दिर और बौद्धनाथ स्तूप जैसे विश्व विरासत स्थल यहीं पर हैं। राष्ट्रीय संग्रहालय, चन्द्रगिरि, नागरकोट, दामन, धुलिखेल, शिवपुरी और काकानी काठमाण्डू और उसके आसपास ही हैं।
प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थल
काठमाण्डू : समुद्र तल से 1,300 मीटर की ऊंची पर स्थित काठमाण्डू ना केवल नेपाल बल्कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में शामिल है। “लैण्ड लॉक” देश नेपाल के इस राजधानी शहर में गर्मी के मौसम में भी सर्दी का एहसास होता है। यहां की प्राकृतिक सुन्दरता पर्यटकों को मोह लेती है। यह शहर अपने मन्दिरों, मठों और आध्यात्मिकता के लिए भी जाना जाता है। नेपाल के सबसे पवित्र हिन्दू मन्दिरों में से एक पशुपतिनाथ मन्दिर काठमाण्डू से तीन किलोमीटर पूर्व में बागमती नदी के तट पर है। स्वयंभूनाथ मन्दिर काठमाण्डू के पश्चिम में तीन किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर है। इसको “मंकी टेम्पल” के नाम से भी जाना जाता है। जीवत देवी कुमारी का मन्दिर, अशोक विनायक मन्दिर, हनुमान ढोका, जगन्नाथ मन्दिर, आकाश भैरव मन्दिर, बौद्धनाथ स्तूप, राष्ट्रीय संग्रहालय आदि भी यहां के दर्शनीय स्थल हैं।
धुलिखेल : काठमाण्डू घाटी से सिर्फ 32 किलोमीटर दूर बागमती अंचल के कावरेपालनचोक जिले में स्थित इस छोटे-से कस्बे से आप बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों का विहंगम दृश्य देख सकते हैं। यहां के सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों ही मनोहारी होते हैं। यह नमोबुद्ध की ओर जाने वाली पगडंडी के लिए प्रसिद्ध है। यहां से मात्र 13 किमी दूर स्थित नमोबुद्ध के लिए आप हाइक या माउण्टेन बाइक यात्रा कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने यहीं पर एक भूखी बाघिन और उसके शावकों को अपने शरीर का मांस खाने की अनुमति दी थी। इसलिए बौद्धों खासकर तिब्बती तीर्थयात्रियों के लिए नमोबुद्ध एक महत्वपूर्ण गंतव्य है। समुद्रतल से 1,625 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस कस्बे व आसपास कई मन्दिर और मठ हैं।
भक्तपुर : काठमाण्डू घाटी के पूर्वी छोर पर बसे भक्तपुर को “भक्तों का शहर” भी कहा जाता है। काठमाण्डू से करीब 13 किलोमीटर दूर स्थित इस लोकप्रिय पर्यटन स्थल में कई मन्दिर हैं। यहां का दरबार स्क्वायर और 55-विण्डो पैलेस भी देखने योग्य़ जगह हैं। यहां की घुमावदार सड़कों पर पैदल चलने का अपना अलग ही मजा है। अपनी सांस्कृतिक सम्पदा के लिए प्रसिद्ध इस शहर को काठमाण्डू घाटी का सबसे संरक्षित सांस्कृतिक नगर माना जाता है।
चन्द्रगिरि : यह एक छोटा लेकिन प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर हिल स्टेशन है जो काठमाण्डू से लगभग 17 किलोमीटर पड़ता है। यहां आप ट्रैकिंग के अलावा केबल कार की सवारी भी कर सकते हैं।
दामन : काठमाण्डू से 80 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित दामन (समुद्र तल से 2,322 मीटर ऊपर) से आप पूर्व में माउण्ट एवरेस्ट से लेकर पश्चिम में धौलागिरि पर्वत तक हिमालय के कुछ सर्वश्रेष्ठ विहंगम दृश्य देख सकते हैं। दुनिया के 10 सबसे ऊंचे शिखरों में से आठ को आप यहां से देख सकते हैं। यहां ट्रैकिंग, बाइकिंग, फिशिंग भी कर सकते हैं। त्रिभुवन राजमार्ग पर स्थित यह नगर मध्य नेपाल के सबसे सुन्दर पर्यटन स्थलों में शामिल है। यहां का वनस्पति उद्यान बहुत प्रसिद्ध है। सर्दी के मौसम में हिमपात होने पर यह पूरा क्षेत्र चांदी सा दमकने लगता है।
नागरकोट : समुद्र तल से 2,195 मीटर की ऊंचाई पर बसा नगरकोट काठमाण्डू से सिर्फ 32 किलोमीटर दूर है। यहां का सूर्योदय बहुत प्रसिद्ध है। इस कारण काठमाण्डू जाने वाले कई पर्यटक रात्रि विश्राम के लिए नागरकोट चले जाते हैं। मौसम साफ होने पर यहां से माउण्ट एवरेस्ट समेत हिमालय के कुछ ऊंचे शिखरों को देखा जा सकता है। दरअसल, नागरकोट काठमाण्डू घाटी में एक ऐसा स्थान है जहां से नेपाल की कई हिमालयी श्रृंखलाओं के दर्शन होते हैं। इनमें अन्नपूर्णा रेंज, मानसलू रेंज, गणेश हिमाल रेंज, लंगटंग रेंज , जुगल रेंज, रोलवलिंग रेंज, महालंगुर रेंज (माउण्ट एवरेस्ट रेंज) और नुम्बुर रेंज शामिल हैं। पर्ययक शिवपुरी राष्ट्रीय उद्यान भी घूम सकते हैं। यहां पैराग्लाइडिंग, ट्रैकिंग, हाइकिंग, और माउण्टेन बाइकिंग की भी सुविधा है। यहां कई हिन्दू और बौद्ध धर्मस्थल हैं।
काकनी : यदि आप ग्रामीण नेपाल के दर्शन करना चाहते हैं तो काकनी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। काठमाण्डू से करीब एक घण्टे की ड्राइव दूर यह सुन्दर स्थान समुद्र तल से 2,030 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से आप हिमालय की अन्नपूर्णा और धौलागिरि पर्वतमाला के दृश्यों का आनन्द ले सकते हैं।
चितलंग : नेपाल के ग्रामीण अन्चल की जीवनशैली और संस्कृति को जानने-समझने के लिए यह एक अच्छा डेस्टीनेशन है। साहसिक खेलों में रुचि रखने वाले लोग यहां हाइकिंग, बाइकिंग और ट्रैकिंग कर सकते हैं। यहां का भैरव मन्दिर और चितलंग जलप्रपात भी देखने योग्य हैं। काठमाण्डू से करीब 27 किमी दूर स्थित इस गांव में होमस्टे और कैम्पिंग की सुविधा है।
पोखरा : समुद्र तल से करीब 900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पोखरा नेपाल के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में शामिल है। ऊंची पहाड़ी चोटियां, झील और नदी इस शहर के सौन्दर्य को बढ़ाते हैं। हिमालय की तलहटी में बसे नेपाल के इस दूसरे सबसे बड़े शहर में हर साल लाखों सैलानी आते हैं। अन्नपूर्णा सर्किट ट्रैक के कारण भी यहां ट्रैकरों की भीड़ रहती है। यहां फेवा झील, डेविस फॉल, अन्नपूर्णा सर्किट, शान्ति स्तूप, इण्टरनेशनल माउण्टेन म्यूजियम, गोरखा म्यूजियम, बैट केव, ताल बाराही मन्दिर, सारंगकोट आदि देख सकते हैं। (Pokhara hill station of Nepal)
घान्द्रुक : ट्रैकिंग के लिए प्रसिद्ध घान्द्रुक को इसके अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य की वजह से “नेपाल का स्विट्जरलैण्ड” भी कहा जाता है। पोखरा के उत्तर पश्चिम में स्थित इस हिल स्टेशन से अन्नपूर्णा दक्षिण, अन्नपूर्णा III, हिंचुली, गंगापूर्णा और माछापुछरे शिखर के शानदार दृश्य दिखते हैं। यहां का अन्नपूर्णा आधार शिविर साहसिक खेलों के शौकीनों का पसन्दीदा स्थान है। यहां पैराग्लाइडिंग, नौका विहार, जिप फ्लायर, गुफा यात्रा, ट्रैकिंग, अल्ट्रा फ्लाइट आदि की सुविधा है।
बुटवल : गौतम बुद्ध की जन्स्थली लुम्बिनी से करीब 55 किलोमीटर दूर स्थित बुटवल को वह प्रसिद्धी नहीं मिल पायी है जिसका वह अपने प्राकृतिक सौन्दर्य की वजह से हकदार है। यहां का पाल्पा जलप्रपात देखने योग्य है। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए यहां एक्सप्लोर करने के लिए बहुतकुछ है। रूपनदेही जिले में तनाऊ नदी के किनारे बसा यह कस्बा भैरहवा अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से मात्र 22 किलोमीटर दूर है। लुम्बिनी से यहां के लिए नियमित रूप से बस मिलती हैं।
सागरमाथा नेशनल पार्क : उत्तर नेपाल में दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर माउण्ट एवरेस्ट की गोद में बसा यह राष्ट्रीय उद्यान 1,148 वर्ग किलोमीटर में फैला है। ल्होत्से, चो ओयू, थमसेरकू, नुपत्से, अमाडबलम और पुमोरी चोटियां भी आसपास ही हैं। गहरी खाइयों और ग्लेशियरों वाले इस पार्क में स्नो लैपर्ड, कस्तूरी हिरन, लाल पाण्डा, याक आदि निर्भय घूमते हैं। 1976 में स्थापित यह पार्क प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है।(Sagarmatha National Park, Nepal)
चितवन नेशनल पार्क : दक्षिण-मध्य नेपाल में करीब 953 वर्ग किलोमीटर में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान एशिया के सबसे बेहतरीन वन्यजीव संरक्षण स्थलों में गिना जाता है। यहां कई तरह के वन्यजीवों का निवास है जिनमें एक सींग वाला गैण्डा, बंगाल टाइगर, हाथी और भारतीय वायसन शामिल हैं। पर्यटक यहां जंगल सफारी के साथ-साथ हाथी और डोंगा की सवारी भी कर सकते हैं। चितवन, नवलपरासी, परसा और मकवानपुर जिलों में फैले नेपाल के इस पहले राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1973 में की गयी थी। जैव विविधता के चलते इसे भी यूनेस्को की प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है।(Chitwan National Park, Nepal)
कब जायें नेपाल
नेपाल का ज्यादातर हिस्सा पर्वतीय और काफी सर्द है। इस कारण लोग यहां मार्च से जून के बीच जाना पसन्द करते हैं। लेकिन, यदि नेपाल का वास्तविक प्राकृतिक सौन्दर्य देखना है तो अक्टूबर से दिसम्बर का समय सबसे अच्छा है। इस दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों को छोड़कर ज्यादातर स्थानों पर मौसम साफ रहता है।
ऐसे पहुंचें
पर्वतीय देश होने की वजह से नेपाल में ट्रेन सुविधा नाममात्र की है। यहां समुद्र नहीं है, यानी यह एक “लैण्ड लॉक” देश है। भारत से यहां ट्रेन और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। यहां यूं तो 43 एयरपोर्ट हैं लेकिन इनमें से दो ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं। त्रिभुवन इण्टरनेशनल एयरपोर्ट काठमाण्डू के पास जबकि गौतम बुद्ध अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा भैरहवा में है।