Statue of Unity: भारत की एकता का 182 मीटर ऊंचा प्रतीक और दुनिया का आठवां अजूबा

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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की प्रतीमा हमारे देश भारत को एकता के सूत्र में लाने वाले भारत के प्रथम उपप्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित एक स्मारक है, जो भारत के राज्य गुजरात में स्थित है। गुजरात स्थित इस स्मारक को देखने औसतन 15,000 से अधिक पर्यटक रोज पहुंचते हैं। इस प्रतिमा को शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन ने 8 अजूबों की लिस्ट में शामिल कर लिया गया है।

प्रतिमा का निर्माण कार्य :

PM नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की 138 वीं जयंती पर, यानी 31 अक्टूबर, 2013 को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की आधारशिला रखी। नींव के पत्थर को बिछाने और निर्माण के साथ शुरू करने के लिए, साधु बेट पहाड़ी 70 से 55 मीटर तक चपटी की गई थी।

वास्तुविदों और इंजीनियरों द्वारा काफी शोध के बाद 2014 में भव्य प्रतिमा का निर्माण शुरू हुआ। इस प्रतिमा को बनाने में कुल 56 महीने का समय लगा था। इसमें 15 महीने का शोध और योजना और 40 महीने का निर्माण शामिल था। इसे सौंपने में 2 महीने लग गए। इस कार्य के लिए नियुक्त वास्तुकारों और कलाकारों ने पूरे भारत में स्थापित सरदार पटेल की प्रतिमाओं का अवलोकन किया और उनका अध्ययन किया।

बहुत विचारों के बाद अहमदाबाद एअरपोर्ट पर पटेल की मूर्ति की  फ्रीस्टाइल प्रतिकृति बनाने का फैसला लिया गया।  स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 182 मीटर ऊंची है । आधार सहित स्मारक की कुल ऊंचाई 240 मीटर है। गुजरात विधान सभा की सीटों की संख्या का मिलान करने के लिए प्रतिमा की ऊँचाई (182 मीटर) को चतुराई से चुना गया था।

परियोजना में कुल लागत लगभग 3000 करोड़ थी। यह प्रतिमा के निर्माण के लिए प्राप्त की गई सबसे कम बोली थी। लार्सन एंड टुब्रो ने यह बोली लगाई और अनुबंध हासिल कर लिया। लागत में केवल स्मारक का निर्माण शामिल नहीं था, बल्कि अगले पंद्रह वर्षों के लिए इसकी डिजाइन और रखरखाव लागत भी शामिल थी।

इस विशाल स्मारक के निर्माण के लिए लगभग 250 इंजीनियरों और 3000 से अधिक मजदूरों को लगाया गया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस प्रतिमा का निर्माण काफी अत्याधुनिक तकनीको  द्वारा किया गया इसके निर्माण के लिए हजारों टन संरचनात्मक और प्रबलित स्टील, कांस्य और लोहे का उपयोग किया गया था। इसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी। स्टैच्यू में 85 फीसदी तांबा का उपयोग किया गया है।

मूर्ति की लंबाई जो 182 मीटर है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है। बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ऊंचाई में अमेरिका के ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से दोगुना है।

स्टैच्यू की विशेषता:

  • इस स्टैच्यू में लिफ्ट की व्यवस्था की गई है जिससे पर्यटक प्रतिमा के हृदय स्थल तक जा सकेंगे। यहाँ एक गैलरी बनी हुई है जहाँ एक साथ 200 पर्यटक खड़े होकर सतपुड़ा और ​विंध्यांचल पहाड़ियों से घिरे नर्मदा नदी, सरदार सरोवर बांध और वहाँ स्थित फूलों की घाटी का नजारा भी देख सकेंगे।
  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से 3 किमी. की दूरी पर टेंट सिटी, फूलों की घाटी और श्रेष्ठ भारत भवन नामक एक कन्वेंशन सेंटर का भी निर्माण किया गया है।
  • यह स्टैच्यू 180 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा और 6.5 तीव्रता के भूकंप को सहने में सक्षम होगा।
  • इस प्रतिमा के अंदर सरदार पटेल का म्यूजियम भी तैयार किया गया है जिसमें सरदार पटेल की स्मृति से जुड़ी कई चीज़ें रखी जाएंगी। 
  • प्रतिमा के 6 फीट के इंसान के कद से बड़े होंठ, आंखें और जैकेट के बटन, सात मंजिल इमारत जितना ऊंचा तो सिर्फ चेहरा है।
  • इसका कंस्ट्रक्शन चार चरणों में पूरा हुआ है। मॉक-अप, 3डी स्कैनिंग तकनीक, कंप्यूटर न्यूमैरिकल कंट्रोल प्रोडक्शन तकनीक।

कुछ महत्त्पूर्ण तथ्य:

  • प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में ​मनाया जाता है।
  • पटेल जयंती के अवसर पर देश के युवाओं के लिये ‘रन फॉर यूनिटी’ नामक दौड़ का भी आयोजन होता है।
  • इस प्रतिमा के अनावरण समारोह में शामिल होने के लिये वाराणसी से गुजरात हेतु ‘एकता ट्रेन यात्रा’ नाम से ट्रेन चलाई गई जिसका संचालन सरदार पटेल के पैतृक गाँव करमसद तक किया गया।
  • सरदार वल्लभभाई पटेल को आधुनिक ‘भारत का बिस्मार्क’ भी कहा जाता है।
  • यहां इस मूर्ति के अलावा एक ट्राइबल म्यूजियम, एक गार्डन और बोटिंग फैसिलिटीज की सुविधा भी है।

कैसे पहुंचे केवड़िया:

फिलहाल एयरपोर्ट और रेल लाइन के लिए वडोदरा सबसे नजदीक है। यह केवड़िया से 89 किमी दूर है। यहां से आप सड़कमार्ग के जरिए केवड़िया पहुंच सकते हैं। इसके अलावा भरूच भी नजदीक रेलवे स्टेशन है। अगर आप अहमदाबाद से आएंगे तो आपको 200 किमी की दूरी तय करनी होगी। इसके अलावा साबरमती रीवरफ्रंट से पंचमुली लेक तक सीप्लेन सेवा चलाए जाने की योजना है।

केवड़िया से सरदार पटेल स्टैचू पहुंचने के लिए:

केवड़िया पहुंचने के बाद आपको साधु आइलैंड तक आना होगा। केवड़िया से साधु आइलैंड तक 3.5 किमी तक लंबा राजमार्ग भी बनाया गया है। इसके बाद मेन रोड से स्टैचू तक 320 मीटर लंबा ब्रिज लिंक भी बना हुआ है।

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