थाईलैण्ड: मस्त गगन में उड़ती युवतियां

Thailand : Girls flying in the cool sky

संजीव जिन्दल

पंछी बनूं उड़ती फिरूं मस्त गगन में

आज मैं आजाद हूं दुनिया के चमन में…

नरगिस पर फिल्माए गये इस गाने की तरह कुछ दिन ही सही जीने की तमन्ना हर लड़की की होती है। लेकिन, समाज की बंदिशों और “दुनिया क्या कहेगी” के संकोच के चलते ऐसे मस्त गगन में उड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है। इन सभी छोटी सोचों को दरकिनार कर थाईलैण्ड (Thailand) के मस्त गगन में उड़ती पांच नवयुवतियों (उर्वशी, नेहा, मुस्कान, शौर्या और रुची) से मेरी मुलाकात हुई। कोई भी भारतीय कुछ हट कर करता है तो मैं उसके साथ बातचीत करने की कोशिश करता हूं। इन पांचों युवतियों के साथ मेरी बातचीत के कुछ अंश आप भी पढ़ें। (Thailand : Girls flying in the cool sky)

इन पांचों नवयुवतियों ने सोचा कि इस बार उन्हें विदेश घूमने जाना है और वह भी अकेले। उन्होंने अपनी इच्छा घर वालों को बतायी। दो युवतियां शादीशुदा हैं और अपना बुटिक चलाती हैं। उनके पतियों ने कहा, “जाओ जी लो अपनी जिन्दगी, पांच दिन के लिए बच्चे हम सम्भाल लेंगे।” एक युवती नौकरी करती है और दो छात्राएं हैं। उनके घर वालों ने भी कोई आनाकानी नहीं की।

मैंने कहा, “थाईलैण्ड (Thailand) के नाम पर तो जरूर दिक्कत आयी होगी।” उन्होंने बताया कि उनका बजट कम था और थाईलैण्ड ही सबसे सस्ता था। थाईलैण्ड के बारे में जितनी भी बाते हैं, सभी मिथक हैं। उनके ख्याल से लड़कियों के लिए इससे सुरक्षित जगह कोई और हो ही नहीं सकती। कुछ भी पहनो, कुछ भी खाओ, जो चाहे वह करो, आपकी तरफ कोई नहीं देखता है। जब कोई देख ही नहीं रहा है तो टीका-टीप्पणी या रोक-टोक का सवाल ही पैदा नहीं होता। सभी अपने आप में मस्त हैं। मेरे यह पूछने पर कि अकेला देखकर किसी ने आप के साथ छेड़खानी या अभद्रता की कोशिश तो नहीं की, उन्होंने बताया कि उनका अनुभव बहुत ही शानदार रहा। कोई छोटी-सी भी नकारात्मक घटना उनके साथ नहीं हुई। सभी ने सहयोग ही किया। इसके बाद पांचों ने ठहाके लगाते हुए कहा, “हम पांचों हट्टी-कट्टी हैं और सोचकर आयी थीं कि कोई हरकत करेगा तो उसकी ऐसी पिटाई करेंगी कि जिन्दगी भर याद रखेगा।” इन सभी का कहना था कि थाईलैण्ड उन्हें बहुत ही खूबसूरत और सुरक्षित लगा। अगली बार वे परिवार के साथ यहां घूमने आयेंगी।

मेरा इन नवयुवतियों और इनके परिवार वालों को उनकी सकारात्मक सोच के लिए बड़ा सैल्यूट। मैंने समाज के ठेकेदारों पर बहुत रिसर्च की है, वे भी शानदार जिंदगी जीना चाहते हैं पर किन्हीं कारणो से जी नहीं पाते तो बैठे कुड़ते और “समाज की ठेकेदारी” करते रहते हैं। ऐसे ठेकेदारों को भी इन नवयुवतियों और मेरी तरफ से बहुत बड़ा सलाम।

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