#Thekkady: प्रकृति की गोद में थेक्कडी-हर मौसम का अलग अन्दाज

thekkadi

टी. दीपिका@Yatrapartner.

हले से कुछ भी तय नहीं था। केरल घूमने की शुरुआत कहां से की जाये, इसका फैसला पर्ची डाल कर हुआ और थेक्कडी (Thekkady) जाने का लिए फटाफट पिट्ठू बैग तैयार कर लिये। संयोग ऐसा कि बंगलुरु से कोच्चि का एयर टिकट भी मिल गया। केरल की प्राकृतिक सुन्दरता का आनन्द लेना है तो टैक्सी से अच्छा कोई विकल्प नहीं है। हमने भी ऐसा ही किया और हरीभरी पहाड़ियों और घाटियों से गुजरने वाली शानदार सर्पाकार सड़कों के किनारे जगह-जगह रुकते हुए 142 किलोमीटर की दूरी छह घण्टे में तय कर थेक्कडी पहुंचे। (Thekkady: In the lap of nature)

थेक्कडी (Thekkady) केरल की राजधानी तिरवनन्तपुरम से करीब 206 किलोमीटर दूर इडुक्की जिले में है। प्रकृति ने इसे फुर्सत से संवारा है। यह अपने सुन्दर परिदृश्यों और समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है और केरल के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक  है। यहां घूमने के लिए वह सब है जिसे प्रकृति से प्यार करने वाला व्यक्ति देखना चाहता है। घने जंगल, घास के मैदान, वन्यजीव, दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी, नदियां, झरने, झील तथा चाय, कॉफी और मसालों के बागान।

थेक्कडी कभी भी जाया जा सकता है। यहां हर मौसम का अपना अलग अन्दाज है। हालांकि अक्टूबर से फरवरी के बीच का समय सबसे अच्छा रहता है।

प्रमुख दर्शनीय स्थल

पेरियार राष्ट्रीय उद्यान एवं टाइगर रिजर्व :  

यह भारत के सबसे अच्छे राष्ट्रीय उद्यानों और बाघ संरक्षण स्थलों में से एक है। इसे सन् 1950 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था जबकि टाइगर रिजर्व 1978 में शुरू हुआ। पेरियार उद्यान को वर्ष 1998 में हाथी संरक्षण परियोजना के अन्तर्गत भी लाया गया। अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध इस उद्यान में बाघ, एशियाई हाथी, जंगली भैंसा, सांभर, माउस डीयर, जंगली कुत्ते, नीलगाय, भालू, सूअर, तेंदुए, जंगली गिलहरी, शेर पूंछ वाले बंदर, बोनेट मकॉक बन्दर, लंगूर, नीलगिरी लंगूर आदि वन्यजीवों को देखा जा सकता है। यहां पक्षियों के कई दुर्लभ प्रजातियां भी हैं। पेरियार नदी इसके बड़े हिस्से से होती हुई बहती है और आप इसमें बम्बू राफ्टिंग का आनन्द ले सकते हैं। अक्टूबर से जून के बीच यह पर्यटकों के लिए खुला रहता है और प्रातः छह से सायंकाल छह बजे तक यहां घूम सकते हैं।

थेक्कडी झील : यह शांत झील थेक्कडी के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में शामिल है। यहां पर आप नाव की सवारी कर सकते हैं। इस दौरान मालाबार ग्रे हॉर्नबिल और नीलगिरी वुड पिजन जैसे कुछ दुर्लभ पक्षी देखने को मिलते हैं। यदि भाग्य ने साथ दिया तो आपको हाथियों के झुण्ड झील के किनारे स्नान करते देखने को मिल सकते हैं।

पेरियार झील :  पेरियार राष्ट्रीय उद्यान के पास यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। आप इसमें नौका विहार करते हुए कुदरत के खूबसूरत नजारों का दीदार कर सकते हैं। यहां हाथियों के झुण्ड नहाते हुए दिख जाते हैं। यह झील थेक्कडी से करीब 12 किमी दूर है।

हाथी जंक्शन : पर्यटकों को अत्यन्त पसन्द आने वाला यह स्थान थेक्कडी से सिर्फ चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां आप हाथियों को बेहद करीब से देख सकते हैं, खाना खिला सकते हैं, नहला सकते हैं और उन पर सवारी भी कर सकते हैं।

गिवी : थेक्कड़ी से एक घण्टे की दूरी पर स्थित इस सुन्दर गांव को केरल वन निगम ने विकसित किया है। यह केरल के प्रमुख पर्यावरण पर्यटन केन्द्रों में से एक है। यहां सुन्दर पहाड़ियां और घाटियां, उष्णकटिबंधीय वन, घास के मैदान, झरने, इलायची के बागान आदि हैं। यहां पीड सींगबिल, कठफोड़वा, किंगफिशर समेत पक्षियों की 260 से अधिक प्रजातियां देखने को मिलती हैं। यहां तम्बुओं और शिविर में भी रहने की सुविधा है।

कुमीली :

थेक्कडी से चार किलोमीटर के बाहरी इलाके में इलायची के बागानों के बीच बसा यह खूबसूरत शहर तरह-तरह के अन्य मसालों और चाय के बागानों के लिए भी मशहूर है। यह मसालों के व्यापार के एक बड़े केन्द्र के रूप में उभरा है। यहां कुछ अच्छे हस्तशिल्प उत्पाद भी मिलते हैं।

मुरीक्कडी : थेक्कडी से लगभग पांच किलोमीटर दूर मुरीक्कडी एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट है। इसे मसालों, चाय और कॉफी के बागानों के लिए जाना जाता है। यहां इलायची, लौंग, अदरक, हल्दी समेत बारह से अधिक किस्म के मसालों का उत्पादन होता है। मुरीक्कडी व्यू पॉइंट जाये बगैर आप अपनी यात्रा को अधूरा ही समझिये।  

वसंत घाटी पर्वत : यह केरल की सबसे ऊंची चोटी है। स्थानीय लोग इसे कुरीसुमाल के नाम से जानते हैं। यहां तक ट्रैकिंग और हाईकिंग कर सकते हैं। यहां एक मन्दिर भी है। इसके शिखर से पेरियार राष्ट्रीय उद्यान और कुमीली के शानदार दृश्य दिखाई देते हैं। फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए यह स्थान किसी स्वर्ग की तरह है।

चेल्लोकोविल :  शहर की भागम-भाग भरी जिन्दगी से दूर एक अत्यन्त शान्त स्थान। यहां आप ट्रैकिंग तथा मसालों और जड़ी-बूटियों के बागानों की सैर कर सकते हैं। यहां एक वाच टॉवर है जिसकी बालकनी में लगी दूरबीन से हरेभरे जंगलों और बागानों के मनमोहक दृश्य देख सकते हैं। यहां जाने के लिए सितम्बर से मई के बीच का समय सबसे अच्छा है।

बन्दीपेरियार : यह थेक्कडी व आसपास के स्थानों में स्थित सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यहां चाय, कॉफी और काली मिर्च के कई बागान हैं। यहां के सरकारी कृषि फार्म और फ्लावर गार्डन में गुलाब, ऑर्किड और एन्थ्यूरियम का संग्रह है।

मंगला देवी मन्दिर :

नौवीं शताब्दी में बनाया गया पाण्डियन शैली का यह मन्दिर पेरियार टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के बीच समुद्र तल से 1,337 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंगला देवी को कन्नकी के नाम से भी जाना जाता है। केवल चित्री पौराणमी त्योहार के दिन इस मन्दिर में प्रवेश की अनुमति है। यह त्योहार चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह मन्दिर थेक्कड़ी से करीब 15 किमी पड़ता है।

वन्दमानुडू : मुन्नार राजमार्ग पर स्थित इस छोटे-से शहर को इसकी प्राकृतिक सुन्दरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां का पोस्ट ऑफिस भारत में ब्रिटिशों द्वारा बनाये गये शुरुआती डाकघरों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि इस कस्बे में त्रावणकोर के राजाओं का एक प्रशासनिक कार्यालय भी था। वन्दमानुडू इलायची के बागानों के लिए जाना जाता है।

पुल्लूमेडु : पुल्ममेडू का मतलब है हरी घास का मैदान। यहां खूबसूरत पहाड़ियां, घाटियां और पेड़-पौधों की प्रजातियां हैं। यह थेक्कडी के सर्वाधिक सुन्दर स्थानों में से एक है। यहां जाने के लिए थेक्कडी के वन्यजीव संरक्षण अधिकारी कार्यालय अथवा वल्कादवे के रेंज ऑफिसर से अनुमति-पत्र लेना पड़ता है। यहां जाने का सबसे अच्छा समय सितम्बर से दिसम्बर के बीच का। इस दौरान यहां का मौसम शान्त और सुखद होता है।

रमाक्कलमेडू : स्थानीय मान्यता है कि वनवासी भगवान राम अपनी भार्या सीता की खोज करते-करते इस स्थान पर भी आये थे। समुद्र तल से 3,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान पर कुरवान और कुरथी की विशाल मूर्तियां एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। कहा जाता है कि  इडुक्की बांध के निर्माण में इन दोनों ने बड़ी भूमिका निभाई थी। रमाक्कलमेडू में कई पवन खेत और ट्रैक हैं।

पीरमुड्डे : यह शान्त और सुन्दर स्थान ट्रैकिंग, पैराग्लाइडिंग, साइक्लिंग और घुड़सवारी के लिए आदर्श स्थान माना जाता है। यहां पहाड़ियां, छोटी-छोटी नदियां, झरने तथा कॉफी, चाय, काली मिर्च और इलायची के बागान हैं। पीरमुड्डे त्रावणकोर के राजाओं का ग्रीष्मकालीन निवास रहा है।

अब्राहम स्पाइस गार्डन :

थेक्कडी और कोट्टायम के बीच स्थित यह मसाला उद्यान इस क्षेत्र के बेहतरीन मसाला उद्यानों में से एक है। यहां मसालों की जैविक खेती की जाती। यहां मसाले, अगरबत्ती और अन्य सुगन्धित उत्पाद बेचने वाली कई दुकानें हैं। कुमीली से टैक्सी या ऑटो रिक्शा कर यहां पहुंच सकते हैं।

मुल्लापेरियार बांध :  

यह बांध समुद्र की सतह से 2,890 फीट की ऊंची पर इलायची के बागानों के बीच स्थित है। थेक्कड़ी से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित  इस बांध तक बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां की प्राकृतिक सुन्दरता आपका मन मोह लेगी। नाव की सवारी करते हुए बांध और उसके जलाशय को करीब से देख सकते हैं।

चेल्लारकोविल  :

हरेभरे पहाड़ और घाटियां इस गांव को एक रहस्यमय आकर्षण प्रदान करती हैं। यहां आप ट्रैकिंग करते हुए झरनों और जलप्रपातों को देख सकते हैं। थेक्कडी से आठ किमी दूर स्थित इस गांव तक आप ट्रैकिंग करते हुए अथवा टैक्सी या बस से जा सकते हैं।

ऐसे पहुंचें

वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा कोच्चि इण्टरनेशनल एयरपोर्ट थेक्कडी से करीब 142 किलोमीटर जबकि मदुरै एयरपोर्ट लगभग 150 किलोमीटर दूर है। मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरु आदि से इन दोनों हवाईअड्डों के लिए उड़ानें हैं।

रेल मार्ग : थेक्कडी में रेलवे स्टेशन नहीं है। थेनी रेलवे स्टेशन यहां से करीब 66 किमी दूर है जहां के लिए चेन्नई, बंगलुरु आदि से ट्रेन मिलती हैं। कोट्टायम रेलवे स्टेशन यहां से करीब 110 किमी पड़ता है। जहां से यहां के लिए बस और कैब मिलती हैं। दिल्ली, तिरुवनन्तपुरम आदि से कोट्टायम के लिए नियमित ट्रेन सेवा है। 

सड़क मार्ग : थेक्कडी इडुक्की से करीब 54, कोट्टायम से 107, कोच्चि से 155, कोल्लम से 158 और तिरुवनन्तपुरम से करीब 204 किलोमीटर पड़ता है। राज्य के सभी प्रमुख स्थानों से थेक्कडी के लिए केरल राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें, निजी बसें और टैक्सियां मिल जाती हैं।

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