औली : भारत का मिनी स्विट्ज़रलैण्ड

प्रकाश नौटियाल

त्तराखण्ड अर्थात देवताओं की भूमि। कहते हैं ऋषि-मुनियों ने हजारों साल तपस्या करके इस दिव्य भूमि को बनाया है जिसका वैभव देखने और अपने भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालु मीलों की यात्रा करके यहां आते हैं। यही नहीं, नैसर्गिक सौन्दर्य से परिपूर्ण उत्तराखण्ड अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है। इससे जुड़़े पर्यटन स्थल भी यहां पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अबकी बार हम आपको एक ऐसे पर्यटन स्थल की सैर कराते हैं जिसे देखते ही आपका मन खिल उठेगा। इस जगह कदम रखते ही आपको लगेगा जैसे आप जन्नत में आ गए हों। यह जगह है औली (Auli)। इसे भारत का मिनी स्विट्ज़रलैंड (mini Switzerland of india) भी कहा जाता है। औली चमोली जिले में हिमालय की पहाड़ियों पर स्थित स्कीइंग के लिए एक गंतव्य है।

गढ़वाली बोली में औली को बुग्याल यानी घास के मैदान के नाम से जाना जाता है। उत्तराखण्ड में हिमशिखरों की तलहटी में जहां पेड़ों की पत्तियां तक समाप्त हो जाती हैं, वहां से विशालकाय घास के मैदान आरंभ होते हैं। इन्हें ही बुग्याल कहते हैं। आमतौर पर ये बुग्याल आठ हज़ार से 10 हज़ार फिट की ऊंचाई पर स्थित होते हैं। औली भी इन्हीं में से एक है जो कि समुद्रतल से 8200 फीट से 10,010 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

ये हैं यहां की खूबियां

औली 5-7 किलोमीटर के दायरे में फैला छोटा सा स्की-रिसोर्ट है। यहां पर ज़्यादातर देवदार के ही वृक्ष हैं। इनकी महक यहां की ठंडी और ताज़ी हवा में महसूस की जा सकती है। यहां से नन्दादेवी, कमेटी और दूनागिरि (द्रोणगिरि) जैसी विशाल पर्वत चोटियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। औली के उत्तर में बदरीनाथ मन्दिर है जो हिन्दुओं के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है।

जनवरी से मार्च के बीच लें स्कीइंग का आनंद

औली घूमना हो तो पूरे साल घूमिये। जहां तक मौसम की बात है, गर्मी के मौसम में अप्रैल से जून तक का मौसम सुहावना रहता है। हालांकि स्कीइंग के लिए सबसे अच्छा समय जनवरी और मार्च के बीच का है। जनवरी से मार्च तक औली की ढलानों पर करीब तीन मीटर मोटी बर्फ की चादर बिछी होती है। औली में स्थित 500 मीटर के ढलान के साथ तीन किमी विस्तार वाला मैदान अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार एक बहुत अच्छा स्कीइंग ग्राउंड माना जाता है। यहां बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं दुनियाभार के स्कीयर्स को आकर्षित करती हैं।

औली में स्कीइंग ही मुख्य आकर्षण का केन्द्र है। यहां भारत के शीतकालीन महासंघ द्वारा स्कीइंग महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। इसके अलावा केबल कार सवारी, लिफ्ट व अन्य आउटडोर खेल जैसे स्नोमैन बनाना या स्नोबॉल लड़ाई भी आकर्षण का केन्द्र हैं। रहने के लिए औली में रिसोर्ट तथा जोशीमठ में कई रिसोर्ट और होटल उपलब्ध हैं।

ये स्थान भी लुभाएंगे

जोशीमठ : जोशीमठ या ज्योतिर्मठ उत्तराखण्ड के चमोली ज़िले में स्थित एक छोटा सा नगर है जहां हिन्दुओं की प्रसिद्ध ज्योतिष पीठ स्थित है। यहां आठवीं सदी में महान धर्मसुधारक आदि शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त हुआ था। बदरीनाथ मन्दिर तथा देश के विभिन्न कोनों में तीन और मठों की स्थापना से पहले यहीं उन्होंने प्रथम मठ की स्थापना की थी।

गोर्सन बुग्याल : समुद्र तल से लगभग 3,056 की ऊंचाई पर स्थित  यह एक अत्यंत मनोरम स्थान है जहां से आप नन्दा देवी और त्रिशूल हिम-शिखरों के दृश्यों का आनन्द ले सकते हैं। इसके लिए आपको औली हिल स्टेशन से इस गंतव्य तक पहुंचने के लिए सिर्फ तीन किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी होगी।

क्वानी बुग्याल : समुद्र तल से लगभग 3300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान औली से 12 किलोमीटर दूर है। इसे ट्रैकर्स के लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है। यह जोशीमठ, औली और गुरसो बुग्याल के बीच में स्थित है।

चिनाब झील : यह झील अपनी खूबसूरती और शांत वातावरण के लिए जानी जाती है। यहां हरेभरे पेड़ और खूबसूरत गांव पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

ये हैं पहुंचने के मार्ग और साधन

हवाई मार्ग : जॉलीग्राण्ट एयरपोर्ट यहां का निकटतम हवाईअड्डा है। यह एयरपोर्ट भारत के अन्य राज्यों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से जोशीमठ के लिए बसें और टैक्सियां मिलती हैं। जोशीमठ पहुंचने के बाद औली पहुंचने के लिए सड़क मार्ग और रोपवे की सुविधा है। जॉलीग्राण्ट एयरपोर्ट के लिए दिल्ली के इन्दिरा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से स्पाइस जेट और इन्डिगो की सुविधा है। कोलकाता के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अन्तरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से यहां के लिए स्पाइस जेट और इंडिगो की उडानें मिलती हैं। मुम्बई के छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल से जॉलीग्राण्ट एयरपोर्ट के लिए स्पाइस जेट और इन्डिगो की उड़ानें हैं।

रेल मार्ग : हरिद्वार रेलवे स्टेशन औली का निकटतम रेलवे स्टेशन है जो यहां से लगभग 193 किलोमीटर दूर है। नन्दादेवी एक्सप्रेस,  हरिद्वार एक्सप्रेस, दून एक्सप्रेस जैसी ट्रेन हरिद्वार को दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता जैसे महानगरों से जोड़ती हैं। देहरादून रेलवे स्टेशन और ऋषीकेश रेलवे स्टेशन अन्य निकटतम रेलहेड हैं जो उत्तराखण्ड के हल्द्वानी, काठगोदाम समेत भारत के अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। हावड़ा स्टेशन से उपासना एक्सप्रेस (12327) और कुम्भ एक्सप्रेस (12369) लेकर आप हरिद्वार पहुंच सकते हैं। नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन से हरिद्वार के लिए शताब्दी एक्सप्रेस (12017) जैसी तेज रफ्तार और आधुनिक ट्रेन है।

सड़क मार्ग : औली पहुंचने के लिए आपको जोशीमठ तक बस या टैक्सी पकड़नी होगी। जोशीमठ उत्तराखण्ड के प्रमुख शहरों जैसे देहरादून, ऋषीकेश और हरिद्वार से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से जोशीमठ के लिए बस सेवा उपलब्ध है। जोशीमठ से औली 10 किमी की दूरी पर स्थित है और आपको रोपवे या सड़क मार्ग से इस दूरी को कवर करना होगा। दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग-7 के माध्यम से यहां से 501 किमी है जबकि कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग-19 के माध्यम से 1,627 किमी पड़ता है। चण्डीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग-7 के माध्यम से औली से 476 किमी पड़ता है।


Comments

2 responses to “औली : भारत का मिनी स्विट्ज़रलैण्ड”

  1. Pradeep Kumar Avatar
    Pradeep Kumar

    nice article, keep it up @yatrapartner

    1. Thanks Pradeep ji. your valuable suggestions are welcome to make yatrapartner much better. regards.

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