ऋषिकेश : घूमिये योग नगरी, और भी बहुत कुछ है यहां

#rishikesh_गीता-भवन-ऋषिकेश

प्रकाश नौटियाल@Yatrapartner.

प घूमने के शौकीन हैं और उत्तराखण्ड में घूमना चाहते हैं? आइये स्वागत है आपका। बरसात का मौसम है, ऊपरी पहाड़ी इलाकों में घूमना खतरनाक हो सकता है। हम आपको एक ऐसी जगह घुमायेंगे जिसे आपने अब तक गौर से नहीं देखा होगा। इस स्थान को इसलिए भी हल्के में लिया होगा कि गढ़वाल आना-जाना ज्यादातर इसी रास्ते होता है। सोचते होंगे कि यहां लक्ष्मण झूला, स्वर्गाश्रम, नीलकण्ठ ही खास हैं, बाकी होगा ही क्या यहां? जी हां, हम बात कर रहे हैं ऋषिकेश की। लेकिन, ऐसा है नहीं जैसाकि आमतौर पर लोग समझते हैं। पवित्र मन्दिरों, घाटों, शांत आश्रमों और सदाबहार जंगलों से घिरे इस शांत शहर में हर किसी के लिए घूमने और देखने के लिए कुछ न कुछ जरूर है। (Rishikesh: Visit Yoga Nagri, there is much more here)

त्रयम्बकेश्वर मन्दिर

उत्तराखण्ड के देहरादून जिले में स्थित ऋषिकेश एक ऐसा मशहूर पर्यटन स्थल है जिसे “गढ़वाल हिमालय का प्रवेश द्वार” और “योग कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड” के रूप में जाना जाता है। इस शहर ने “विश्व की योग राजधानी” के रूप में प्रसिद्धि तब अर्जित की जब 60 के दशक में लोकप्रिय अंग्रेजी रॉक बैण्ड ग्रुप बीटल्स यहां आया। गढ़वाल हिमालय का यह प्रवेश द्वार हरिद्वार से 25 किलोमीटर उत्तर तथा देहरादून से 43 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यहां का इतिहास विभिन्न मिथकों और किंवदन्तियों से जुड़ा है। इस स्थान के बारे में प्रचलित किंवदन्तियों में से एक ऋषि रैभ्य हैं जिन्होंने गंगा नदी के तट पर तपस्या की थी। उनकी साधना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु स्वयं उनके सामने हृषिकेश के रूप में प्रकट हुए। इसी कारण इस नगरी का नाम ऋषिकेश पड़ा।

ये हैं दर्शनीय स्थल

त्रिवेणी घाट :

त्रिवेणी घाट पर गंगा आरती

पतित पावनी गंगा नदी के तट पर स्थित त्रिवेणी घाट यहां का सबसे बड़ा घाट है। यहां पर हर शाम “महाआरती” होती है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के साथ ही रामायण और महाभारत में भी इसका उल्लेख है। पुराणों में कहा गया है कि इस घाट पर गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं। आप यहां कुछ देर बैठकर पानी में मछलियों को तैरते हुए देख सकते हैं और उन्हें खाना भी डाल सकते हैं।

भरत मन्दिर : त्रिवेणी संगम घाट पर ही अगला पड़ाव है भरत मन्दिर जहां बड़ी संख्या में  श्रद्धालु आते हैं। यह यहां का सबसे प्राचीन मन्दिर है जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मन्दिर का नाम भगवान राम के भाई भरत के नाम पर पड़ा। मान्यता है भरत ने इस जगह पर तपस्या की थी।

ऋषिकुण्ड : भारत की धरती पर कई रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। इन्हीं में से एक है ऋषिकुण्ड जो कभी ऋषियों के तपोबल के माध्यम में उत्पन्न हुआ था। उनके स्नान करने के लिए गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का जल इस कुण्ड में उत्पन्न हुआ। सर्दी के मौसम में इस कुण्ड का पानी गर्म रहता है जो अपने आप में अद्भुत है। ऋषिकुण्ड और रघुनाथ मन्दिर एक ही जगह स्थित हैं जहां भगवान राम और देवी सीता की सुन्दर प्रतिमा के दर्शन होते हैं। यह स्थान त्रिवेणी घाट से पैदल दूरी पर स्थित है।

लक्ष्मण झूला : लक्ष्मण झूला गंगा नदी पर बना एक बहुत प्रसिद्ध हैंगिंग ब्रिज है जो क्रमशः टिहरी और पौड़ी गढ़वाल जिलों में स्थित तपोवन और जोंक नामक दो गांवों को जोड़ता है। पूरी तरह लोहे का बना यह पुल नदी से लगभग 70 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। कई लोगों के लिए यह महान आध्यात्मिक श्रद्धा का स्थान है। किंवदन्ती है कि भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने एक बार इसी स्थान पर रस्सी से बने पुल से गंगा नदी को पार किया था। जूट (लक्ष्मण के सम्मान में) से बना मूल पुल 1924 की बाढ़ में नष्ट हो गया था। 1939 में इसे फिर से बनाया गया और आज यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। युवाओं के लिए तो यह सेल्फी पॉइंट बन गया है। सबसे खास बात यह है कि यहां पर राम और जानकी झूला भी बनाये गये हैं। ये दोनों पुल भी पर्यटकों को गंगा पार कराने का काम करते हैं।

#Naimisharanya: 88 हजार ऋषि-मुनियों की तपोभूमि नैमिषारण्यMust read

आप लोगों के मन में यह सवाल ज़रूर कौंध रहा होगा कि जब यहां पहले से लक्ष्मण झूला था तो फिर बाकी दो और पुल क्यों? आपकी बात सही हो सकती है पर धर्मप्रेमियों का मानना था कि भगवान राम के परिवार का इस स्थान से वास्ता रहा तो फिर भगवान राम और माता जानकी के नाम पर भी पुल होने चाहिये।

स्वर्ग आश्रम : लक्ष्मण झूला के आगे आपको मिलेगा स्वर्ग आश्रम। यहां पर कई ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी। इस स्थान पर आपको स्वर्ग जैसा अहसास होने लगेगा।

मधुबन आश्रम : जब आप जानकी झूला जायेंगे तो रास्ते में मधुबन आश्रम पड़ेगा। मधुबन जितना प्यारा नाम है, उतना ही खूबसूरत है यहां का इस्कॉन मन्दिर। राधा-कृष्ण की सुन्दर झांकियों से सुशोभित इस मन्दिर को देखना न भूलें।

तेरह मंजिल मन्दिर : इस मन्दिर को त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर नाम से भी जाना जाता है। यह ऋषिकेश के सबसे प्रसिद्ध मन्दिरों में से एक है। गंगा नदी के तट पर स्थित इस 13 मंजिले मन्दिर की वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है। इस मन्दिर में कई देवताओं की प्रतिमाएं हैं और आपको एक ही समय में कई देवताओं की पूजा करने का मौका मिलता है।

बीटल्स आश्रम :

बीटल्स आश्रम

बीटल्स आश्रम को चौरासी कुटी के नाम से भी जाना जाता है। यह राम झूला से एक किमी दूर स्वर्गाश्रम क्षेत्र में एक चट्टान पर स्थित है। यह वही आश्रम है जहां 1968 में बीटल्स बैंड ने कुछ समय रहकर ध्यान किया था और कई गीत भी लिखे। आश्रम परिसर में एक मन्दिर, पुस्तकालय, रसोई, महर्षि योगी का घर और मेडिटेशन झोपड़ियां हैं। आश्रम की ज्यादातर इमारतें खराब हो चुकी हैं लेकिन उन पर रंगीन भित्तीचित्र मौजूद हैं। यहां एक छोटी गैलेरी और कैफे भी है।

नीरगढ़ जलप्रपात :

नीर जलप्रपात

नीरगढ़ जलप्रपात ठंडे पानी की एक सुंदर संकरी धारा है जो घने हरे जंगल के बीच एक चट्टानी इलाके में बहती है। जलप्रपात तक पहुंचने के लिए जंगल से होते हुए लगभग एक किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है और एक चट्टान से नीचे उतरना पड़ता है। आप इस जगह पर घूमते हुए वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता देख सकते हैं। इस जगह पर आकर आपको आसपास की घाटियों के कुछ मनमोहक दृश्य भी देखने को मिल जाएंगे।

शिवपुरी :

राफ्टिंग केंद्र, शिवपुरी

यह ऋषिकेश की सबसे रोमांचक जगहों में से एक है। शिवपुरी रिवर राफ्टिंग एक्टिविटी के साथ-साथ आसपास के घने जंगलों और पहाड़ी दृश्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां बॉडी सर्फिंग, क्लिफ जम्पिंग और रॉक क्लाइम्बिंग जैसी एक्टिविटीज में भी शामिल हो सकते हैं। शिवपुरी बीच कैम्पिंग, पर्वतारोहण, जंगल की सैर और जंगल ट्रैकिंग जैसी गतिविधियों के लिए भी मशहूर है।

जम्पिंग हाइट्स :

जम्पिंग हाइट्स

अगर आपका मन कुछ थ्रिलिंग और मजेदार करने का कर रहा हो तो आपको जम्पिंग हाइट्स जाना चाहिए जो 83 मीटर की ऊंचाई के साथ भारत का सबसे ऊंचा बंजी जम्पिंग प्लेटफॉर्म है। जम्पिंग हाइट्स एक मशहूर टूरिस्ट प्लेस है। इस एडवेंचर स्पोर्ट्स पॉइंट में फ्लाइंग फॉक्स और जाइन्ट स्विंग के भी कुछ विकल्प मौजूद हैं।

कुन्जापुरी मन्दिर ट्रैक :

कुंजापुर मन्दिर ट्रैक से सूर्योद्य का दृश्य

कुंजापुरी 1645 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहां से आप उत्तर में हिमालय की चोटियां और दक्षिण में ऋषिकेश, हरिद्वार और दून घाटी के मनोरम दृश्य देख सकते हैं। कुन्जापुरी मन्दिर ट्रैक ऋषिकेश में ट्रैकिंग के लिए बहुत प्रसिद्ध है। नरेन्द्र नगर से लगभग छह किलोमीटर की दूरी पर गंगोत्री की ओर जाते हुए सड़क हिंडोलाखाल में विभाजित हो जाती है जो इस मन्दिर की ओर जाती है। यहां से मन्दिर की दूरी मात्र पांच किमी है। यह एक प्रमुख धार्मिक स्थल भी है। पूरे वर्ष विशेष रूप से नवरात्र (अप्रैल और अक्टूबर) में हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं।

गीता भवन : इस खूबसूरत भवन की दीवारों को रामायण और महाभारत के चित्रों से बड़ी संजीदगी से सजाया गया है जो काफी शानदार दिखते हैं। इस भवन के भीतर बने ऋषिकेश टूरिस्ट प्लेस में पर्यटकों के रुकने के लिए सभी सुविधाओं से युक्त सैकड़ों कमरे बनाये गये हैं।

वशिष्ठ गुफा :  ऋषि वशिष्ठ ने यहां कई वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की थी। यह स्थान ऋषिकेश से 22 किलोमीटर दूर बदरीनाथ-केदारनाथ मार्ग पर स्थित है।

नीलकण्ठ महादेव मन्दिर : यह मन्दिर स्वर्गाश्रम की पहाड़ी पर लगभग 5500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मन्दिर के चारों ओर देवी-देवताओं की कई प्रतिमाएं हैं। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मन्थन के बाद निकले विष को भगवान् शिव ने पिया था। उसके बाद उनका पूरा शरीर नीला पड़ गया था जिसकी वजह से मन्दिर में शिव की विशाल प्रतिमा नीले रंग की है और इस मन्दिर का नाम नीलकण्ठ पड़ा।

झिलमिल गुफा : यह गुफा नीलकण्ठ मन्दिर से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है  और गुरु गोरखनाथ की रहस्यमयी जगह भी कहलाती है। इस स्थान पर ऋषि-मुनियों की तपस्या और योग साधना की वजह से मां गंगा का जल प्रकट हुआ था। इसे गुप्त गंगा के नाम से जाना जाता है जो झिलमिल जलधारा के रूप में बहती है।

गणेश गुफा : झिलमिल गुफा से आगे मणिकूट की सबसे ऊंची श्रृंखला में स्थित गणेश गुफा देखने के लिए आपको थोड़ा चढ़ाई तय करनी होगी तभी भगवान गणेश के दर्शन होंगे।

परमार्थ निकेतन :  यहां पर योग के लिए बहुत ही बढ़िया केन्द्र है। साथ ही यहां पर कई देवी-देवताओ की ऐसी प्रतिमाएं विराजमान हैं जिन्हें संजीदगी से देखने पर वे जीवन्त नजर आती हैं।

मेंढक मन्दिर : लखीमपुर खीरी में रंग बदलते नर्मदेश्वर

राजाजी नेशनल पार्क : यदि आप वाइल्ड लाइफ सफारी का आनन्द उठाना चाहते हैं तो राजाजी नेशनल पार्क आपके लिए उपयुक्त जगह है। परमार्थ निकेतन के पास ही स्थित इस स्थान पर आपको जंगली जानवरों और पक्षियों की सुन्दर प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी।

कौडियाला बीच : कौडियाला बीच (तट) एक ऐसी जगह है जहां पर गोवा के समुद्र तट जैसा मजा ले सकते हैं। पहाड़ी गलियारों से बहती हुई गंगा की जलधारा में वाटर स्पोर्ट्स का मजा ही कुछ और है। यह जगह प्री-वेडिंग शूटिंग के लिए शानदार है। यहां पर राफ्टिंग, बोटिंग और पैराग्लाइडिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं।

इसके अलावा हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा भी आकर्षण का केन्द्र है। अगर आपके पास अपना वाहन नहीं है तो शेयरिंग ऑटो में बहुत सी जगह घूम सकते हैं। किराये पर बाइक, स्कूटी भी मिल जाती हैं। रुकने के लिए यहां कई आश्रम, रिजार्ट और कैम्पिंग जैसी सुविधांएं हर बजट में मिल जाती हैं।

यदि आप किसी आश्रम में रुकना चाहें तो यहां पर कई आश्रम हैं, जैसे परमार्थ निकेतन, स्वर्ग आश्रम, गीता भवन, मधुबन आश्रम आदि। ये सभी आश्रम साफ-सुथरे होने के साथ ही यहां शुद्ध शाकाहारी भोजन भी मिलता है।

ऐसे पहुंचें ऋषिकेश (How to reach Rishikesh)

ऋषिकेश तक पहुंचने के लिए आपको पहले हरिद्वार आना होगा जो दिल्ली से 210 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हरिद्वार भारत के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। मात्र 50 रुपये में हरिद्वार से ट्रेन द्वारा भी ऋषिकेश पहुंच सकते हैं। किसी वजह से हरिद्वार की ट्रेन न मिले तो देहरादून का टिकट कटाया जा सकता है। गढ़वाल का प्रवेशद्वार होने की वजह से यहां के लिए कई स्थानों से बस मिल जाती हैं।

ऋषिकेश का नजदीकी हवाईअड्डा देहरादून का जौली ग्रांट एयरपोर्ट है जहां पहुंचकर टैक्सी या बस द्वारा ऋषिकेश तक 34 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। आने वाले समय यानि 3-4 साल के भीतर ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल सेवा भी शुरू हो जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *